Updated: Fri, 13 Jun 2025 06:24 PM (IST)
डकोर के चिल्ली गांव में किसानों ने इंद्रदेव से अच्छी बारिश की प्रार्थना की। आषाढ़ की परेवा पर आयोजित इस कार्यक्रम में किसानों ने खेतों की जुताई से पहले भूमि पूजन किया और अच्छी फसल की कामना की। यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है जिसमें किसान सामूहिक रूप से एकत्र होकर इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थना करते हैं।
जागरण संवाददाता, डकोर। अबकी बरस घर आंगन धन-धान से भर देवा, हे इंद्रदेवा हम गरीबन पर तरस खावा...मिट्टी की मटकी में जल और पात्र में मिष्ठान लेकर पहुंचे सैकड़ों की संख्या में किसानों ने पहले ट्रैक्टर में पीछे लगे हल को टीका किया। इस दौरान खेत में बैठे सैकड़ों की संख्या में किसान प्रार्थना करते हैं, और इंद्रदेव से अच्छी बरसात करने की कामना करते हैं।
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शुक्रवार की दोपहर को डकोर ब्लाक के चिल्ली गांव में खेतों पर सफेद वस्त्रों व सिर पर पगड़ी धारण किए सैकड़ों किसान की भीड़ इस भीषण गर्मी में भी उत्साहित है। उत्साह इस बात का कि उनकी प्रार्थना इंद्रदेव खाली नहीं जाने देंगे। किसानों की ओर से हर साल आषाढ़ की परेवा को इसका आयोजन किया जाता है।
हमे सुधि नाय कि जौ परंपरा कब सै होत है, 88 वर्षीय गोविंद कहते हैं कि जब वह छोटे थे तब भी इसी तरह खेत पर आकर पूजन होता था। वह दौर अब से अलग इतना था कि तब हल-बैल और किसान को टीका करके खेतों की ओर भेजा जाता था।
आषाढ़ माह की परेवा के दिन केवल चिल्ली ही नहीं बल्कि आसपास कई गांवों में इस तरह का आयोजन होता था। 80 वर्षीय शंभू दयाल कहते हैं कि पहले खेत में पानी, पूजन सामग्री के साथ बतासा लेकर आते थे, पूजन के बाद सभी को बांटा जाता था। खेत आने से पहले किसान, बैल को टीका भी होता था।
शुक्रवार को डकोर ब्लाक क्षेत्र के ग्राम चिल्ली में आषाढ़ मास की परेवा को सामूहिक रूप से एकत्र हुए किसानों ने मिलकर खेतों की जोताई होने से पहले खेतों का भूमि पूजन किया। बारिश होने के लिए इंद्र भगवान को प्रसन्न करने आह्वान किया गया। चिल्ली गांव में पूर्वजों के समय से चली आ रही इस परंपरा को आज भी वैसे ही निभाया जा रहा है।
पूजन कराने आए आचार्य सनम दुबे कहते हैं कि आज शुभ मुहूर्त में खेत पर पूजन करके बरसात होने की प्रार्थना की गई। इससे मान्यता है कि आगे आने वाली फसल बेहतर होगी। इस दौरान प्रधान करन सिंह रजक, अनिल कुमार, पिंटू, दौलत, राकेश, सुशील, दीनदयाल, प्रेम बाबू, मनोज के अलावा एक सैकड़ा से अधिक किसान मौजूद रहे
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