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    दोहरे हत्याकांड मामले में पूर्व MLA छोटे सिंह चौहान पर जल्द आ सकता है फैसला, जानें उनका राजनीतिक सफर

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 04:37 PM (IST)

    बसपा के पूर्व विधायक छोटे सिंह चौहान जो 2007 में कालपी से विधायक बने थे 1994 के एक हत्याकांड में आरोपी हैं। न्यायालय ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है जो 11 सितंबर को सुनाया जाएगा। छोटे सिंह पहले बसपा में थे लेकिन 2022 में भाजपा में शामिल हो गए थे। पिछले चुनाव में वे निषाद पार्टी से लड़े थे लेकिन 2816 वोटों से हार गए थे।

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    बसपा से टिकट न मिलने पर रुतबा कायम रखने को थामा था भाजपा का दामन।

    जागरण संवाददाता, उरई। बसपा के पूर्व विधायक पार्टी में टिकट के लिए 2005 से ही सेवा में लग गए थे। इसके बाद कालपी विधानसभा सीट से 2007 में उन्हें जब बसपा ने टिकट दिया तो वह चुनाव लड़े और जीत भी गए थे।

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    बाद में 2012 में बसपा ने टिकट दिया इसके बाद भी वह पार्टी में सेवा देते रहे लेकिन जब 2017 में उन्हें बसपा ने एक मौका फिर से दिया लेकिन वह दूसरे स्थान पर रहे। 2021 में उन्हें लगा कि इस बार उन्हें टिकट नहीं मिलेगा तो डूबते राजनीतिक भविष्य को बचाने के लिए उन्होंने भाजपा का दामन थामने का निर्णय लिया और 23 अक्टूबर 2021 को वह भाजपा में चले गए थे और निषाद पार्टी के टिकट से चुनाव लड़े थे।

    चुर्खी थाना क्षेत्र के ग्राम बिनौरा वैद में 30 मई 1994 में दो सगे भाइयों रामकुमार, जगदीश शरण की हत्या में पूर्व विधायक छोटे सिंह चौहान पर फैसला न्यायालय में सुरक्षित कर लिया गया है, जो 11 सितंबर को सुनाया जाएगा।

    उस समय हत्या में नाम शामिल होने के बाद पूर्व विधायक छोटे सिंह ने आत्म समर्पण कर दिया था और जेल चले गए थे। जमानत पर बाहर आने के बाद में वह फिर से राजनीतिक भविष्य संभालने में लगे और अपने दोस्त लल्ले गुर्जर के साथ ही राजनीतिक पार्टियों के कार्यों में जाने लगे थे।

    सबसे पहले वह 2005 में बसपा से जुड़े और क्षेत्र में पहचान बनाने के कारण उन्हें 2007 के विधानसभा चुनाव में टिकट भी मिल गया था। कालपी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर 2012 तक उन्होंने क्षेत्र में काम कराया लेकिन बसपा ने फिर से उन पर विश्वास नहीं जताया और 2012 के चुनाव में उनका टिकट काट दिया था।

    अपना सिक्का जमाने को उन्होंने फिर मेहनत की और इस बार बसपा सुप्रीमो ने 2017 में उन्हें प्रत्याशी बनाया लेकिन इस बार वह दूसरे स्थान पर रहे थे। बाद में जब 2022 का चुनाव आया तो फिर बहनजी ने उनसे किनारा करते हुए दूसरे प्रत्याशी को टिकट देने की सोची तो छोटे सिंह अपना राजनीतिक भविष्य बचाने को भाजपा में शामिल हो गए थे।

    बाद में भाजपा के सहयोगी दल निषाद पार्टी के हिस्से में यह सीट आ गई थी। जिस कारण निषाद पार्टी ने छोटे सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया था। मामले में पूर्व विधायक छोटे सिंह से फोन पर संपर्क किया गया तो उनका नंबर बंद बताता रहा।

    2816 वोटों से हार गए थे चुनाव

    उरई : 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा के खाते में कालपी विधानसभा की सीट नहीं आई थी। इस कारण छोटे सिंह को कमल का चुनाव चिह्न नहीं मिला था। उन्हें निषाद पार्टी के तरफ से भोजन भरी थाली का चिह्न मिला था।

    वहीं निर्दलीय प्रत्याशी अहमद हसन मंजूरी को खाली थाली की चुनाव चिह्न मिला था। जिस कारण 8146 वोट उन्हें मिल गए थे। इस कारण छोटे सिंह 2816 वोटों से चुनाव हार गए थे।