तात्या टोपे का बनवाए मंदिर की भी नही ली सुध
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों द्वारा स्थापित प्र ...और पढ़ें

महेश प्रजापति, उरई : प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों द्वारा स्थापित प्रसिद्ध बटाऊलाल मंदिर उपेक्षित धार्मिक स्थलों में शुमार है। देश पर मर मिटने वालों की गाथा समेटे इस मंदिर को पर्यटन में शामिल नहीं किया जा सका। इस मंदिर के सुंदरीकरण व रखरखाव के लिए भी सरकारी स्तर से कोई प्रयास अब तक नहीं किया गया है।
शहर के पश्चिम दिशा में स्थित बटाऊलाल मंदिर का अस्तित्व प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय से है। इतिहासकार कुलदीप शर्मा के अनुसार प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857-58 के समय जब क्रांतिकारियों और अंग्रेजों के बीच युद्ध चल रहा था। उसी समय तात्या टोपे अपनी सेना के साथ नगर में आए थे। वह अपने साथ दो हनुमान जी की प्रतिमाएं भी लाए थे। इन मूर्तियों की स्थापना बटाऊलाल के रूप मे की थी। दूसरी मूर्ति को कालिया स्थान में स्थापित किया गया था। दोनों मूर्तियां भगवान बजरंगबली के बाल रूप की है। तात्या टोपे ने क्रांतिकारियों के साथ यहां पूजा अर्चना की थी। उसके बाद यहां पर एक अखाड़ा भी स्थापित किया गया ताकि युवा व्यायाम कर शारीरिक रूप से मजबूत बन सकें। मंदिर के आसपास का वातावरण बेहद सुरम्य
मंदिर के आसपास हरे भरा जंगल है। जिससे यहां का दृश्य बेहद मनोहारी दिखता है। मंदिर तक जाने के लिये नगर पालिका परिषद द्वारा सडक बनवाई गई है। बिजली पानी की भी व्यवस्था है लेकिन मंदिर के अखाड़े को विकसित नही किया गया है। मंदिर परिसर को सुंदरीकरण की आवश्यकता है। हालांकि विधायक नरेन्द्र सिह जादौन ने मंदिर में टीन शेड लगवाया है। जिससे लोगों को बैठने उठने की परेशानी न हो।
आम लोगों की जुबानी
बटाउलाल मंदिर प्राचीन तो है ही, इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। प्राकृतिक रूप से भी यह स्थान भरापूरा है। इस मंदिर को पर्यटन मे शामिल करना चाहिए।
- अमित पाण्डेय
नगर का बटाऊलाल मंदिर श्रृद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां पर मंदिर के साथ प्राचीन अखाडा भी है इस स्थान का सुंदरीकरण हो जाए तो यह बहुत ही रमणीक स्थान बन सकता है। लोगो को रोजगार भी उपलब्ध होगा।
राजेन्द्र साहू बटाऊलाल मंदिर से जिले भर के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। यहां पर नगर ही नही बल्कि आसपास के जनपदों से लोग आते है। फिर भी मंदिर का विकास नही कराया गया जबकि यह मंदिर प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की यादों से जुड़ा है।
- हनी पुरवार

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