तपस्या छोड़ धन की खोज में रहने वाला होता दरिद्र
तपस्या छोड़ धन की खोज में रहने वाला

तपस्या छोड़ धन की खोज में रहने वाला होता दरिद्र
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संवाद सहयोगी, माधौगढ़ : ग्राम मिहौनी के हनुमान मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत के कथा व्यास पं अरविंद जी महाराज ने कहा कि जो मनुष्य जीवन भर धन की खोज में लगा रहता है, उसे जीवन का आनंद प्राप्त नहीं हो पाता हैं।
उन्होंने कहा कि मनुष्य सच्चे मन से यदि भगवान से प्रेम करे तो उसके जीवन की समस्याओं का अंत भगवान स्वयं करते हैं। भगवान की तपस्या को छोड़ जो मनुष्य धन की खोज में लगा रहता है, वह दरिद्र रहता है। उसके जीवन में सुख एवं शांति की कमी बनी रहती हैं। उन्होंने भगवान शंकर व सती की कथा सुनाते हुए कहा कि राम जी बिरही लीला देखकर सती जी को मोह हो गया और परमात्मा को साधारण मनुष्य मान बैठे। शंकरजी के समझाने के बाद भी सती ने एक न सुनी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से जब मनुष्य का विनाश का समय आता है, उसे महापुरुषों की बात समझ में नहीं आती है। इसलिए हर मनुष्य को भव सागर से पार जाने के लिए ईश्वर का स्मरण करना चाहिए। क्योंकि ईश्वर सत्य है।
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