15 मल्लाहों की हत्या, फूलन को चुनौती... कभी बीहड़ में बोलती थी कुसुमा नाइन की तूंती; कुख्यात डकैत की पूरी कहानी
कुख्यात डकैत कुसुमा नाइन का निधन हो गया। कुसुमा पर 200 से अधिक मुकदमे दर्ज थे और उसने कई हत्याएं की थीं। 1984 में उसने औरैया जिले के अस्ता गांव में 12 मल्लाहों की हत्या कर दी थी। बाद में उसे इस मामले में बरी कर दिया गया था। 1995 में उसे सेवानिवृत्त एडीजी हरदेव आदर्श के अपहरण और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

जागरण संवाददाता, उरई। जिस पति का साथ छोड़ कर डकैत माधव के साथ कुसुमा भाग कर बीहड़ में कूदी थी आखिर अंतिम समय में उसी पति ने उसे मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार किया। मूल रूप से जनपद के महेवा ब्लाक के टिकरी मुस्तकिल की रहने वाली कुसम का शव उसकी ससुराल कुठौंद ब्लाक के कुरौली रविवार की शाम को लाया गया था। रात अधिक होने से सोमवार सुबह शव यात्रा निकली और गांव के बाहर उसका अंतिम संस्कार किया गया।
कुसुमा नाइन पर दो सौ से अधिक मुकदमा दर्ज थे। इसमें साठ से अधिक मुकदमा में गवाहों और साक्ष्य न मिलने से वह उनमें बरी हो गई। बाद में कानपुर के सेवानिवृत्त एडीजी की अपहरण कर हत्या के मामले में वह ऐसा फंसी की उसे आजीवन कारावास की सजा हुई, इसी सजा के चलते वह इटावा जेल में कैद थी।
14 साल की उम्र में माधव मल्लाह के साथ भाग गई कुसुमा नाइन
मूलरूप से जनपद के सिरसाकलार थाना के ग्राम टिकरी मुस्तकिल की रहने वाली कुसम 14 साल की उम्र में 1976 में अपने गांव के ही माधव मल्लाह के साथ भाग गई थी। एक साल बाद वापस लौटी तो उसके पिता डरू ने कुठौंद थाना के ग्राम कुरौली निवासी रामेश्वर के बेटे केदार नाई के साथ उसकी शादी कर दी।
शादी के कुछ ही दिन बीते कि कुसम वहां से फिर एक बार माधव के साथ 1977 में भाग निकली और वहां से वह सीधे बीहड़ में कूद गई। उसका प्रेमी माधव पहले से ही विक्रम मल्लाह के गिरोह में डकैत बन चुका था। इसके बाद ही कुसम का नाम कुसुमा नाइन पड़ गया।
फूलन से ली टक्कर
फूलन ने अपने उत्पीड़न का बदला कानपुर देहात के बेहमई के ठाकुरों से 14 फरवरी 1981 को लिया था। उसने वहां 20 लोगों को मारा था। इस कांड के एक साल के अंदर ही कुसुमा नाइन ने लालाराम, श्रीराम सहित अन्य साथियों के साथ मिल कर 1984 में औरैया जनपद के अस्ता गांव में धावा बोला। वहां 12 मल्लाहों की हत्या कर दी। दो मल्लाहों की जीवित रहते दोनों आंखें निकाल ली थीं। इसी कांड को अंजाम देने के बाद वह अधिक चर्चा में आ चुकी थी। बाद में वह इस कांड में भी साक्ष्य न मिलने के कारण बरी हो गई थी।
इटावा से कानपुर के अफसर का किया था अपहरण
चार जनवरी 1995 को सेवानिवृत्त एडीजी हरदेव आदर्श कानपुर से इटावा एक शादी समारोह में भाग लेने गए थे। आठ जनवरी 1995 को पुत्र पवन ने कानपुर के कल्याणपुर में गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई थी। बाद में 19 मार्च 1995 को इटावा में ही सेवानिवृत्त एडीजी का शव एक नाले में पड़ा मिला था। इसके बाद इस मामले में कुसुमा नाइन और उसकी साथी डकैत फक्कड़ पर अपहरण और फिरौती न मिलने पर एडीजी की हत्या करने का मुकदमा कल्याणपुर थाने में ही दर्ज हो गया था।
इसी प्रकरण में कुसुमा और फक्कड़ को आजीवन कारावास की सजा और 35-35 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुना कर इटावा जेल में कैद कर दिया गया था।
1980 में दर्ज हुआ था डकैती का पहला मुकदमा
ग्राम टिकरी मुस्तकिल निवासी कुसुमा पर 1980 में पहला मुकदमा डकैत का कुठौंद थाने में दर्ज हुआ था। उसके बाद से फूलनदेवी की तरह ही कुसुमा ने अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए अपने गिरोह के लालाराम, श्रीराम व विक्रम मल्लाह के साथ लूट, हत्या व डकैती आदि में लिप्त हो गई। जून 2004 में कुसुमा नाइन ने बिना शर्त मप्र के भिंड में आत्मसमर्पण कर दिया था, और तभी से वह इटावा जिला जेल में अपनी सजा काट रही थी।
इनाम किया गया था घोषित
कुसुमा नाइन पर उत्तर प्रदेश सरकार ने 20 हजार रुपये व मध्य प्रदेश सरकार ने 15 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। जब कुसुमा ने समर्पण किया तब उसके गिरोह के साथी छतरपुर के रामचंद वाजपेयी, इटावा के संतोष दुबे, कमलेश वाजपेयी, घूरे सिंह यादव और मनोज मिश्रा, कानपुर के कमलेश निषाद, जालौन के भगवान सिंह बघेल साथ थे।
फक्कड़ बाबा और कुसुमा नाइन ने समर्पण करते समय कई विदेशी हथियार भी पुलिस को सौंपे थे। इनमें अमेरिका निर्मित 306 बोर की तीन सेमी-आटोमेटिक स्प्रिंग फील्ड राइफलें, एक आटोमेटिक कारबाइन, बारह बोर की एक डबल बैरल राइफल और कुछ दूसरे हथियार शामिल थे।
अगला जन्म क्यों हो खराब यह कर कर रात को नहीं किया अंतिम संस्कार
रविवार रात डकैत कुसुमा नाइन का शव उसकी ससुराल कुरौली लाया गया था। देर रात होने के कारण कुसुमा के ससुरालीजन ने कहा कि इसका यह जन्म तो खराब ही हुआ, अगला जन्म और न बिगड़े इसलिए हम लोग रात में अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।
बाद में वहां पुलिस फोर्स तैनात किया गया था और सोमवार को उसका अंतिम संस्कार किया गया। पति ने मुखाग्नि दी। इस दौरान गांव में कुसुमा को देखने के लिए जिले भर से बहुत संख्या में लोग जुटे। पति केदार उर्फ रूठे नाई के साथ दूसरी पत्नी कुंती के पुत्र और पुत्रियां व ननद भी मौजूद रहीं। थाना प्रभारी निरीक्षक अजय ब्रह्म तिवारी ने बताया कि गांव में पुलिस फोर्स तैनात किया गया था। शांति पूर्ण तरीके से अंतिम संस्कार कर दिया गया।
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