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    यूपी में पराली जलाने पर किसानों और हार्वेस्टर संचालकों पर होगी कार्रवाई, लगेगा भारी जुर्माना

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 03:30 PM (IST)

    उरई में इस बार धान की बंपर फसल हुई है, लेकिन कटाई के बाद खेतों में पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ रहा है। कृषि विभाग ने पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माने का प्रावधान किया है और उन्हें जागरूक करने का अभियान चलाया है। किसानों को पराली से खाद बनाने या उसे गोशाला भेजने की सलाह दी जा रही है ताकि पर्यावरण को बचाया जा सके।

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    जागरण संवाददाता, उरई। जिले में इस बार लक्ष्य से कहीं अधिक क्षेत्रफल में धान की बोआई किसानों ने की है। बारिश अच्छी होने से धान की फसल भी बेहतर है। इसकी कटाई शुरू हो गई है। साथ ही खेतों से निकलने वाली पयार को किसान या तो खेत में जला देते हैं या फिर इकट्ठा करके आग लगाते हैं जिससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है। साथ ही खेत की उर्वरा शक्ति भी कम होती है।

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    ऐसे में पयार जलाने वाले किसानों के साथ खेत में कटाई करने वाले हार्वेस्टर संचालकों पर भी कार्रवाई होगी। उप कृषि निदेशक एसके उत्तम ने बताया कि शासन की गाइड लाइन जारी हो गई है। किसानों पर जुर्माना भी लगाया जाएगा।

    उप कृषि निदेशक एसके उत्तम ने बताया कि किसान पयार न जलाएं इसके लिए उन्हें जागरूक भी किया जा रहा है। इससे होने वाले नुकसान के बारे में भी बताया है जिससे कि किसान धान की कटाई के बाद पयार न जलाएं। जिन किसानों की धान फसल कट गई है वह पयार को खेतों में ही नष्ट कर दें या फिर उसे गोशाला भिजवाएं जिससे चारा व भूसा में मिलाकर जानवरों को खिलाया जा सके।

    उन्होंने कहा कि अगर किसी क्षेत्र से किसानों के पयार जलाने की सूचना मिलती है तो ऐसे किसानों को चिह्नित कर उन पर तीन हजार से लेकर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। हार्वेस्टर संचालकों से कहा गया कि वह भी खेतों में पयार न जलवाएं नहीं तो उन पर प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। इस पयार से आग्रेनिक खाद बनाकर इसका उपयोग कर सकते हैं।

    धान की पराली से बनाएं ऑर्गेनिक खाद

    कृषि विज्ञानी मोहम्मद मुस्तफा ने बताया कि जिले में जिन किसानों ने धान की फसल बोई है वह कटाई के बाद इसकी पयार को आग लगा देते हैं जिससे प्रदूषण फैलता है और कई बार इस आग से दूसरे खेतों को भी नुकसान पहुंचता है। धान की पराली से किसानों को आर्गेनिक खाद बनाने के लिए कृषि विभाग जागरूक कर रहा है।

    किसान कटाई के बाद धान की भूसे की तरह कुटी बना लें इसके बाद इसमें पानी के साथ डिकंपोजर डालकर इसे सड़ा दें और बखराई करते समय खेत में डाल दें जिससे यह आर्गेनिक खाद का काम करेगी और पैदावार भी बढ़ेगा। साथ ही आग लगाने की नौबत नहीं रहेगी।