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    'कौन हूं मुझसे मेरा नाम न पूछा जाए..'

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 03 Jan 2022 01:26 AM (IST)

    सिकंदराराऊ में एकता साहित्य संस्था के तत्वावधान में मुरली कृष्णा मंगल धाम में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व मुशायरा स्मृति शेष कवि एवं शायर बलवीर सिंह पौरुष की पुण्य स्मृति में आयोजित किया गया।

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    'कौन हूं मुझसे मेरा नाम न पूछा जाए..'

    संसू, हाथरस : सिकंदराराऊ में एकता साहित्य संस्था के तत्वावधान में मुरली कृष्णा मंगल धाम में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व मुशायरा स्मृति शेष कवि एवं शायर बलवीर सिंह पौरुष की पुण्य स्मृति में आयोजित किया गया। मंच पर सह अध्यक्ष के रूप में संतोष पौरुष मौजूद रहे। कवि सम्मेलन में अतिथि विधायक वीरेंद्र सिंह राणा, सुमंत किशोर सिंह और नगर के उद्योगपति विपिन वाष्र्णेय उपस्थित रहे।

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    कवि सम्मलेन व मुशायरे की अध्यक्षता करते हुए ़िफल्म निर्माता व निर्देशक परिवार से जुड़ी पूर्व विधायक पुष्पा चौहान ने कहा कि बलवीर सिंह पौरुष हिदी और उर्दू दोनों भाषाओं पर पकड़ रखते थे। इसके कारण वे कवि और शायर दोनों के ही चहेते रहे। त्रिशूल सिंह पौरुष, ज्ञानेंद्र पौरुष व रंजीत पौरुष ने कहा यह कार्यक्रम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है।

    सरस्वती वंदना दिल्ली से आईं कवयित्री रजनी सिंह अवनि ने की। उसके बाद आगरा के कवि सचिन दीक्षित ने सुनाया, 'मैंने बहुत सम्मान किया है बापू वाली सीखों का, लेकिन फिर भी कर्जदार हूं भगत सिंह की चीखों का।'

    बलवीर सिंह पौरुष के शिष्य अंतरराष्ट्रीय ओजकवि मनवीर मधुर की ओज की दहाड़ से सदन तालियों से गूंज उठा। उन्होंने सुनाया, 'भले बिखरे स्वयं का घर, ये क़ीमत कौन देता है, अगर बे़खौफ़ जीते हो तो हिम्मत कौन देता है। सिपाही और सैनिक ही रहे बांधे कफन सर पर, बताओ छोड़कर इनको, शहादत कौन देता है।' शायर कुंवर जावेद की शायरी ने जादू बिखेरा। उन्होंने सुनाया, 'नदी तो क्या है समंदर भी तैरने लगता, तुम्हारा डूबा मुकद्दर भी तैरने लगता। जो तुम जरा सी भी मंदोदरी की सुन लेते, तुम्हारे नाम का पत्थर भी तैरने लगता।'

    रीवा से पधारे ओज कवि राधाकांत पांडेय ने सुनाया- 'वीर वही जो सबके मन में शौर्य शक्ति भरते हैं, कायर तो कि†िचत निर्णय लेने से भी डरते हैं।'

    झांसी के शायर अर्जुन सिंह चाँद ने सुनाया, 'चलो हम गांव में कुछ दिन गुजारें, शहर में हर तरफ काला धुआं है।' नागपुर से पधारे हास्यकवि हेमंत मोहरे और धौलपुर से पधारे हास्यकवि रामबाबू सिकरवार ने श्रोताओं को हंसा हंसा कर लोट पोट किया। दिल्ली के युवा गीतकार सर्जन शीतल और अंतरराष्ट्रीय गीतकार डा. विष्णु सक्सेना ने गीतों की वर्षा की।

    कवि सम्मेलन में विजय भारत कुलश्रेष्ठ, बबलू सिसोदिया, कृष्ण कुमार राघव, संजीव भटनागर, शरीफ अली, राजुल चौहान, पंकज गुप्ता, नीरज वैश्य, कमलनयन, स्नेहलता सिंह, रामजीलाल, प्रबल प्रताप सिंह, सूरज बजाज, प्रदीप गर्ग, चंचल गुप्ता, जयपाल सिंह चौहान, मुकेश चौहान, तरुण सिंह राणा, मीरा माहेश्वरी, कमला जादौन, कमलेश शर्मा, साधना चौहान, मुकुल गुप्ता, भद्र पाल सिंह चौहान, प्रमोद विषधर, शुभम आजाद, रजाक नाचीज, आतिश सोलंकी, शमशुल अहद शम्स, बारिश उझियांवी, साबिर अली साबिर, डा. दानिश कैफ़ी, शमीम खान, समीम, शशि बाला वाष्र्णेय, राज कुमारी गुप्ता उपस्थित थे। संचालन कवि अवशेष विमल ने किया।