कर में खप्पर खड्ग विराजै..
जागरण संवाददाता, हाथरस : शनिवार को नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की गई। दे
जागरण संवाददाता, हाथरस : शनिवार को नवरात्र के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की गई। देवी मंदिरों पर भजन-कीर्तन की धूम रही। तमाम भक्तों ने अष्टमी का व्रत भी रखा और कन्या -लांगुरा को भोजन कराया।
मां दुर्गा के सातवें स्वरूप का नाम कालरात्रि है। कहा जाता है कि मां का रंग गहन अंधकार की भांति काला है। उनके गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र ब्रह्मांड की भांति गोल हैं, नासिका के श्वास प्रश्वास से अग्नि की ज्वालाएं निकलती हैं। इनका वाहन गर्दभ है। मां का स्वरूप सदैव शुभ फल देता है। उनके दर्शन मात्र से विपत्तियों व कठिनाइयों से जूझने की क्षमता विकसित होती है। शनिवार को मां कालरात्रि देवी की आराधना की गई। सुबह से ही घरों में लौंग कपूर गूग्गुल चढ़ाया गया। आरती करते हुए प्रसाद का भोग लगाया गया। देवी भक्त हाथों में पूजा की थाल लिए देवी मंदिरों की ओर उमड़ते रहे। देवी की पूजा कर मां कालरात्रि का ध्यान कर कवच स्तोत्र का पाठ किया। ऐसी मान्यता है कि इस जाप से अग्निभय, आकाश भय व भूत पिशाच स्मरण मात्र से भाग जाते हैं। कालरात्रि माता भक्तों को अभय प्रदान करती हैं।
इस देवी के पूजन के लिए किला गेट पथवारी मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर, चामड़ गेट स्थित काली मंदिर, मुरसान गेट स्थित काली मंदिर, भद्रकाली समेत अनेक देवी मंदिरों पर भारी भीड़ लगी रही। मठों-मंदिरों पर देवी भजनों व नारे के बीच भक्तों ने देवी के चरणों में शीश नवाया। शाम होते ही देवी मंदिर बिजली की सजावट से जगमगा उठे। देवी प्रतिमाओं का भव्यता से श्रृंगार किया गया। सुरक्षा के लिए खुद देवी के भक्त व बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी लगे हुए थे, ताकि किसी भी भक्त को दर्शन-पूजन में दिक्कत न हो।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।