लॉकडाउन में खड़ी कर दी नमकीन फैक्ट्री
400 से अधिक लोगों का रोजगार बचाया उत्पादन में गिरने न दिया कई ब्रांडेड कंपनियों को टक्कर दे रही लेसी और चाचा चौधरी नमकीन ।

हिमांशु गुप्ता, हाथरस : लॉकडाउन में एक तरफ कारोबारी परेशान थे, वहीं हाथरस के नमकीन कारोबारी रामकुमार अग्रवाल ने आपदा में भी अवसर तलाश कर मिसाल पेश कर दी। लॉकडाउन में उन्होंने अत्याधुनिक नमकीन फैक्ट्री तैयार कराई। इसमें देश ही नहीं विदेशों से भी आईं मशीनें लगाई गई हैं। कई ब्रांडेड कंपनियों को टक्कर दे रही लेसी और चाचा चौधरी ब्रांड की नमकीन के निर्माता रामकुमार अग्रवाल ने यह फैक्ट्री सलेमपुर इंडस्ट्रियल एरिया में लगाई है। यहां नमकीन, चिप्स समेत दो दर्जन से अधिक स्नैक्स की वैराइटी तैयार की जा रही हैं।
हाथरस निर्मित लेसी और चाचा चौधरी नमकीन की सप्लाई उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा समेत कई राज्यों में हैं। कंपनी के सीईओ रामकुमार अग्रवाल बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान जहां लोगों की नौकरी चली गई, उन्होंने किसी को भी कारोबार से नहीं हटाया। लॉकडाउन में बाजार तो बंद हो गए, मगर सभी लोगों के घर पर रहने से खाद्य पदार्थाें की डिमांड बनी रही। ऐसे में उन्होंने उत्पादन को गिरने नहीं दिया। सलेमपुर में निर्माणाधीन फैक्ट्री को तेजी से पूरा कराया। फैक्ट्री के निर्माण में लगे मजदूरों को भी काम और खर्च मिलता रहा। उन्हें अपने गृह जनपदों में वापस जाने की जरूरत नहीं पड़ी। सब कुछ मशीन से
नवनिर्मित फैक्ट्री में अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं। इनमें कुछ मशीनें अमेरिका से भी आई हैं। इसमें कच्चा माल डाला जाता है, इसके बाद मिक्सिग, रोस्टिग समेत उत्पाद को क्रिस्पी बनाने का काम मशीन में ही होता है। खाद्य उत्पाद पैक होकर ही मशीन से बाहर आते हैं। पूरी तरह से हाइजनिक उत्पादों को श्रमिक कॉर्टन में पैकिग, लोडिग-अनलोडिग करते हैं। ट्रांसपोर्ट से इन्हें अलग-अलग राज्यों में भेजा जाता है। 40 दिन बंद रखनी पड़ी थी फैक्ट्री
कंपनी के डायरेक्टर पुनीत अग्रवाल ने बताया कि पिछले वर्ष 25 मार्च को जब पूर्णत: लॉकडाउन हुआ तो फैक्ट्री को बंद करना पड़ा था। हालांकि कुछ दिनों के बाद आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन शुरू करने के लिए सरकार ने गाइडलाइन जारी कर दी, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने उसे लागू कराने में देर की। इस बीच करीब 40 दिन फैक्ट्री बंद रखनी पड़ी थी। 400 से अधिक लोगों को रोजगार
बड़े-बड़े शहरों में काम कर रहे श्रमिकों को लॉकडाउन में घर लौटना पड़ा। उनकी नौकरी चली गई, लेकिन रामकुमार अग्रवाल ने किसी को भी काम से नहीं निकाला। 40 दिन बाद फैक्ट्री खुलते ही मजदूर काम पर आने लगे, लेकिन काम शिफ्ट के अनुसार कराया गया। शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए पहली शिफ्ट दस से दो बजे तक और दूसरी दो से छह बजे तक रखी गई। मास्क, सैनिटाइजर, ग्लव्स के साथ श्रमिकों से काम कराया जा रहा है। 30 करोड़ से तैयार की फैक्ट्री
सलेमपुर में बनी नमकीन फैक्ट्री दो महीने पहले ही चालू हुई है। इसे तैयार करने में करीब 30 करोड़ की लागत आई है। इसमें फिलहाल 80 मजदूर काम कर रहे हैं। इसके अलावा दो फैक्ट्रियां ढकपुरा, हाथरस में संचालित हैं। यहां 350 से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं। हाथरस जनपद में नमकीन और स्नैक्स की एक दर्जन से अधिक फैक्ट्रियां संचालित हैं। 25 से 30 करोड़ के टैक्स पेयर
रामकुमार अग्रवाल बताते हैं कि उनकी दो फर्म नमकीन का उत्पादन करती हैं। दोनों ही फर्माें को मिलाकर 25 से 30 करोड़ रुपये सालाना का टैक्स जमा कराया जाता है। उनका दावा है कि इस ट्रेड में जनपद में सर्वाधिक टैक्स दे रहे हैं। लॉकडाउन में ज्यादातर पेमेंट ऑनलाइन होने लगा। व्यापारियों को फैक्ट्री तक आने की जरूरत नहीं पड़ी। इससे महामारी से भी बचाव हुआ। इनका कहना है -
लॉकडाउन में कारोबार में दिक्कत तो आई, लेकिन सकारात्मक सोच के साथ काम करते हुए नई फैक्ट्री शुरू की है। कई प्रदेशों में माल की सप्लाई की जा रही है।
-रामकुमार अग्रवाल, सीईओ फैक्ट्री में सभी उत्पाद मशीनों से ही होते हैं। हाइजनिक तरीके से उन्हें कॉर्टन में पैक कराया जाता है। कोविड नियमों का ध्यान रखते हुए श्रमिकों से काम कराया जा रहा है।
-पुनीत अग्रवाल, डायरेक्टर
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