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    तंत्र के गण.. योग-तंत्र से लड़ रहे जन सेहत की जंग

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 23 Jan 2018 12:44 AM (IST)

    नीरज सौंखिया, हाथरस : जहां दवाएं बेअसर हो जाती हैं, वहां योग असरदार साबित होता है। यह ऐसी

    तंत्र के गण.. योग-तंत्र से लड़ रहे जन सेहत की जंग

    नीरज सौंखिया, हाथरस :

    जहां दवाएं बेअसर हो जाती हैं, वहां योग असरदार साबित होता है। यह ऐसी विधा है जिससे गरीबी और बीमारी दोनों मोर्चो पर एक साथ जंग लड़ी जा सकती है। लोगों को योग से जोड़ने में जुटे विपिन आर्य का दावा है कि वे योग के जरिए दमा, जोड़ों के दर्द, पेट के विभिन्न रोग आदि से पीड़ित सैकड़ों लोगों को योग के जरिए राहत दिला चुके हैं। योग के प्रचार-प्रसार को इन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया है। इसके लिए न सिर्फ गांव-गांव जनजागरण करते हैं, बल्कि योग की कक्षाएं भी चलाते हैं। पीड़ितों का उनके घर पहुंचकर भी योगासन के जरिए उपचार करते हैं। इसके एवज में किसी से कुछ नहीं लेते, बस यही कहते हैं कि जिस तरह मैने आपकी सेवा की, वैसे ही आप भी अन्य पीड़ितों की सेवा करें।

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    संक्षिप्त परिचय

    सादाबाद के ऊंचागांव रसमई के इंद्रदेव आर्य उर्फ महाराज ¨सह के पांच बेटे-बेटियों में विपिन सबसे छोटे हैं। शिक्षा बीए तक ही पाई है, पिता अच्छे किसान हैं, सो परिवार में किसी बात की कोई कमी नहीं। परिवार आर्यसमाज से जुड़ा है, सो बचपन से ही बौद्धिक कार्यक्रमों में सहभागिता रही। यहीं से योग का प्रारंभिक ज्ञान मिला। शुरू में गांव के कुछ बीमार लोगों को योग कराया और उन्हें स्वस्थ होते देखा तो इसके प्रति रुझान बढ़ी। वर्ष 2015 में मुरसान के गांव बेरीसला में भारत स्वाभिमान संस्था ने योग शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग लगाया तो उसमें शरीक हुए और पूरा प्रशिक्षण लिया। इसके बाद कुछ समय हरिद्वार में योग गुरु बाबा रामदेव के सानिध्य में रहकर ज्ञान अर्जित किया और फिर यहां आकर जुट गए योग के प्रचार-प्रसार में।

    साइकिल से किया प्रचार

    हरिद्वार से लौटने के बाद विपिन को ऐसा जुनून चढ़ा कि साइकिल पर ही माइक लगाकर सुबह-सुबह गांवों में निकल जाते। वहां लोगों को इकट्ठा कर उन्हें योग के बारे में जानकारी देते। ऐसे में कुछ जगह लोग उनका मजाक भी उड़ाते और तरह-तरह की बातें करते, मगर उन्होंने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। उनका एकमात्र उद्देश्य योग का प्रचार-प्रसार ही रहा। कुछ लोग जोड़ों के दर्द आदि से पीड़ित मिलते तो उन्हें वहीं योग क्रियाएं बताते। इन लोगों का फायदा हुआ तो उनकी पहचान बनती चली गई। अब तो उन्हें लोग खुद योग सीखने के लिए बुलाते हैं। चौपालों व स्कूलों में योग की क्लास लगाते हैं।

    दस हजार लोगों को जोड़ा

    विपिन योग के जरिए सैकड़ों लोगों को विभिन्न बीमारियों से छुटकारा दिला चुके हैं और दस हजार से ज्यादा लोगों को योग से जोड़ चुके हैं। अब तक करीब अस्सी गांवों में योग शिविर लगा चुके हैं। अब वे जिस गांव में निकल जाते हैं लोग खुद ब खुद इकट्ठे हो जाते हैं। वे गांवों के स्कूलों में बच्चों को भी योग की शिक्षा देते हैं।

    अनुष्ठानों में भी रुचि

    विपिन कुमार की रुचि सामाजिक कार्यों के साथ धार्मिक अनुष्ठानों में भी है। वे हवन-यज्ञ भी कराते हैं। उनका कहना है कि इससे भी वातावरण शुद्ध होता है और बीमारियां दूर भागती हैं।

    इनका कहना है-

    मैं पेट के रोगों से ग्रसित था। गैस, कब्ज, एसिडिटी के साथ ही हाथ-पैरों में सुन्नाहट से परेशान था। चिकित्सकों से इलाज कराया पर स्थाई निदान नहीं मिला। विपिनजी के सानिध्य में आकर योग सीखा। आज में इन रोगों से निजात पा चुका हूं।

    अमर ¨सह, ऊंचागांव।

    मैं सात साल से रीढ़ की हड्डी व घुटने के दर्द से परेशान था। पाचन क्रिया भी ठीक नहीं रहती थी। दवाओं से राहत नहीं मिल पा रही थी। मैंने योगाचार्य विपिन आर्य से योग क्रियाएं सीखीं और आज भी उनको कर रहा हूं, मुझे काफी फायदा है।

    नारायण ¨सह, ऊंचागांव