कान्हा को ना लगे सर्दी... ठंड बढ़ी तो बदल गई भगवान की पोशाक, बाजार में गर्म कपड़ों की आईं ये खास वैरायटी
हाथरस में सर्दी बढ़ने के साथ ही भगवान के वस्त्र भी बदल गए हैं। लड्डू गोपाल, राधा-कृष्ण और माता रानी के लिए ऊनी कपड़ों की मांग बढ़ गई है। बाजारों में डिजाइनर वस्त्रों की दुकानें सज गई हैं, जहां भक्त अपने इष्टदेव के लिए जैकेट, लहंगे और धोती सूट खरीद रहे हैं। गजक-रेवड़ी का बाजार भी गुलजार है, और लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं।

कान्हा के लिए गर्म कपड़े खरीदती युवती।
संवाद सहयोगी, जागरण. हाथरस। सर्दी की दस्तक के साथ ही भगवान की पोषाक भी बदल गई हैं। कान्हा के भक्तों ने लड्डू गोपाल, राधा-कृष्ण और माता रानी के लिए ऊनी कपड़ों की खरीदारी शुरू कर दी है। गुडहाई मार्केट, रामलीला मैदान और कमला बाजार में भगवान के डिजाइनर कपड़ों का बाजार सज गया है। भक्त अपने इष्टदेव को सर्दी से बचाने के लिए जाकेट, धोती सूट, टोपी, मोजे, पोचू, रजाई, कंबल और गद्दे खरीद रहे हैं।
माता रानी के लिए ऊनी लहंगे की हो रही खूब मांग
जिले के गुड़हाई बाजार के दुकानदार विजय अग्रवाल ने बताया कि इस बार कान्हा के लिए जाकेट की नई रेंज उतारी गई है, जो खूब पसंद की जा रही है। आकर्षक पोचू, टोपी और मोजे भी बाजार में मुहैया हैं। माता रानी के लिए जार्डन के खास लहंगे बनाए गए हैं, जो भक्तों को आकर्षित कर रहे हैं। हाथ से क्रोसिया से बुने लड्डू गोपाल के डिजाइनर ऊनी कपड़े 50 से 400 रुपये तक की रेंज में उपलब्ध हैं। राधा-कृष्ण के लिए आकर्षक धोती सूट 400 से 700 रुपये में मिल रहे हैं।
कान्हा के लिए गर्म कपड़े
कान्हा के गरम कपड़े के पेंट व शर्ट, शाल 50 से 250 रुपये तक में हैं। कमला बाजार स्थित दुकानदार संदीप वर्मा ने बताया कि माता रानी के ऊनी लहंगे और चुनरी की भी अच्छी डिमांड है। भक्त अपने बजट के अनुसार कपड़े चुन रहे हैं। कोई 50 रुपये का पोचू खरीद रहा है, तो कोई 400 रुपये का जाकेट। भक्तों का कहना है कि यूं तो भगवान सभी को जाड़े, गर्मी, बरसात से बचाते हैं, लेकिन मौसम बदलने पर उनकी भी चिंता करनी चाहिए। एक भक्त राजा ने बताया कि वह हर साल अपने लड्डू गोपाल के लिए नए कपड़े खरीदते हैं। इस बार सर्दी के लिए खास ऊनी जाकेट लिया है। शहर के बाजार में भगवान के कपड़ों का बाजार सज गया है। भक्त अपने इष्टदेव को सर्दी से बचाने के लिए जमकर खरीदारी कर रहे हैं।
थोक में छह सौ से एक हजार रुपये किलो
गुड़हाई बाजार और कमला बाजार से भगवान के ऊनी कपड़ों की थोक बिक्री होती है। यहां शहर के आसपास के कस्बों के दुकानदार भी कपड़े थोक में ले जाते हैं। थोक दुकानदार दीपक अग्रवाल ने बताया कि भगवान के कपड़े थोक में छह सौ से एक हजार रुपये किलो में बिक्री किए जाते हैं। पीस के हिसाब से भी बिक्री होती है। इस बार माता रानी के डिजाइनर लहंगे भी बाजार में हैं।
कान्हा के लिए खास कपड़े
- लड्डू गोपाल के डिजाइनर ऊनी कपड़े 50-400 रुपये
- राधा-कृष्ण के धोती सूट 400-700 रुपये
- माता रानी के ऊनी लहंगे और चुनरी 200-500 रुपये
- कान्हा के पेंट, शर्ट, शाल 50-250 रुपये
हाथरस की गजक-रेवड़ी का बाजार सर्दी की दस्तक से खूब गर्माया
हाथरस। सर्दी के मौसम में हाथरस की गजक-रेवड़ी का बाजार गुलजार है। शहर की गलियों में गजक की खुशबू लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। बेहतर स्वाद और गर्म तासीर के चलते गजक-रेवड़ी की मांग बढ़ गई है। शहर में कई दुकानें हैं जहां गजक-रेवड़ी की बिक्री और निर्माण होता है। इन दुकानों पर कुटेमा, तिलपट्टी, बड़ी और छोटी रेवड़ी, काजू गजक, मूंगफली वाली गजक, तिल खोवा की गजक, तिल और काजू के लड्डू, गजक रोल आदि विभिन्न वैरायटी उपलब्ध हैं। कीमतें क्वालिटी के अनुसार हैं
गुड़ और खांड की गजक-रेवड़ी 240 रुपये प्रति किलो, काजू-तिल की गजक-लड्डू 280 रुपये प्रति किलो और गजक रोल 260 रुपये प्रति किलो। जिले की गजक-रेवड़ी की डिमांड न केवल स्थानीय स्तर पर है, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी इसकी खास पहचान है। लोग नाते-रिश्तेदारी में भी मिठाई की जगह गजक ही ले जा रहे हैं। वहीं, मकर संक्रांति के पर्व पर गजक-रेवड़ी का विशेष महत्व है, जिससे इसकी बिक्री और भी बढ़ जाती है। इस सर्दी, हाथरस की गजक-रेवड़ी का स्वाद जरूर चखें।

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