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    विषैली गैसों के दुष्प्रभाव से भी बचाएंगी होम्योपैथिक दवाएं

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 02 Oct 2021 12:25 AM (IST)

    होम्योपैथी दवाइयों द्वारा विभिन्न विषैली गैसों से बचाव व उपचार संभव है।

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    विषैली गैसों के दुष्प्रभाव से भी बचाएंगी होम्योपैथिक दवाएं

    जासं, हाथरस : होम्योपैथी दवाइयों द्वारा विभिन्न विषैली गैसों से बचाव व उपचार संभव है। होम्योपैथिक चिकित्सक का दावा है कि सीवर गैस के दुष्प्रभाव से बचने के लिए कर्मचारियों के सीवर में उतरने से एक घंटा पूर्व दवा खिलाएं। वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डा. लक्ष्मीपति सेकसरिया ने सलाह देते हुए केंद्र व राज्य सरकारों से अनुरोध किया है कि वे इन होम्योपैथिक दवाओं के प्रयोग का प्रबंध करें। साथ ही अन्य सरकारी व गैर सरकारी संस्थान, विभिन्न उद्योग, जिनमें टैंक बने हुए हों, जिनके अंदर विषैली गैस का खतरा रहता हो, इन दवाइयों का प्रयोग करें। इससे जीवन रक्षा होगी। साथ ही इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं पड़ता है।

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    सीवर में उतरने से पहले कर्मचारी को पायरोजीनम 200 की चार गोली यानी एक खुराक खिला दीजिए। इस दवाई की एक खुराक और तथा दवाई वैप्तीसिया 30 कर्मचारी की जेब में रख दें। कर्मचारी विषैली गैस का दुष्प्रभाव होने पर पायरोजीनम 200 की एक खुराक का प्रयोग दुबारा तुरंत करें और उसके आधा घंटा बाद वैप्तीसिया 30 चार-चार गोली आधा घंटे के अंतर से चार-पांच बार लेनी है। ऐंथ्रासीनम 30 भी लाभकारी है। एक खुराक (चार गोली) केवल एक बार ले सकते हैं।

    चारकोल (तारकोल) के धुएं का तथा अन्य विषैली गैसों का प्रभाव खत्म करने के लिए एसीटिक एसिड 30 तथा अमोनियम कार्ब 30 का प्रयोग चार-चार घंटे के अंतर से दो-तीन बार करें।

    होम्योपैथिक दवाइयों के प्रयोग से आधा घंटा पहले तथा आधा घंटा बाद कुछ न खायें और न पीयें। मुंह में प्राकृतिक लार होना आवश्यक है। दवाइयों का प्रयोग गोलियों में ही करें एक बार में चार गोली पर्याप्त हैं। दवाइयों की गोलियों को छुए नहीं। दवाई को शीशे के ढक्कन में अथवा कागज पर निकाल कर मुंह में डाल लें तथा चूसें। ऊपर से पानी न पीएं। किसी खुशबू अथवा बदबू वाली चीज का प्रयोग न करें।

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