स्वास्थ्य ही संपदा है, जागरूकता उपचार
लोगों को जागरूक करने के लिए जनप्रतिनिधि व समाजसेवी आए आगे - बहुत आवश्यक होने पर ही लोग घरों से निकलें और एहतियात बरतें
संवाद सूत्र, सिकंदराराऊ (हाथरस) : स्वास्थ्य ही संपदा है। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहकर भी हम देश सेवा का कार्य करते हैं। बीमारी के बारे में जागरूकता इलाज से कम नहीं है। इसी वजह से जनप्रतिनिधि और समाजसेवी लोगों को जागरूक करने में लगे हैं। कोरोना वायरस महामारी के चलते जहा प्रदेश के मुख्यमंत्री ने तीन दिन के लिए लॉक डाउन की घोषणा की है, वहीं समाज के प्रमुख लोग भी इसकी गंभीरता को समझते हुए इसके लिए लोगों से अपील कर रहे हैं कि लोग घरों में रहें, बहुत आवश्यक होने पर ही बाहर निकले और दिशा निर्देशों का पालन करें। साबुन करते हैं हाथों को कीटाणु मुक्त
शिक्षाविद राजकुमार सिंह राठौर का कहना है कि साबुन सस्ता हो या महंगा सभी कीटाणु मारने में सक्षम हैं, क्योंकि सभी का केमिकल फार्मूला एक जैसा ही होता है। बस ध्यान रखने वाली बात यह है कि हाथ धोते समय सभी हिस्सों में साबुन लगाया जाए। घर में घुसकर शिकार नहीं करता कोरोना
लेखक एवं कवि देवेश सिसौदिया का कहना है कि कोरोना तभी आपके पास आएगा, जब आप घर के बाहर जाएंगे। यह हवा में नहीं फैलता है। यह एक इंसान से दूसरे इंसान में जाता है। इसके अलावा अगर कोई संक्रमित व्यक्ति किसी भी वस्तु को छू लेता है तो वहा वायरस छूट जाता है और ऐसी किसी भी चीज को कोई भी व्यक्ति छूएगा तो वह भी संक्रमित हो जाएगा। कोरोना के लक्षण
इसके संक्रमण होने पर मनुष्य में बिल्कुल वैसे ही लक्षण मिलते हैं, जैसे कि जुकाम के मरीजों में मिलते हैं। इन लक्षणों में नाक से पानी बहना, गले में खरास, खासी, सिर दर्द, बुखार आदि प्रमुख हैं। इसके संक्रमण से मुख्य रूप से श्वसन, पाचन एवं प्रजनन तंत्र संक्रमित होते हैं। बचाव से ही रोकथाम संभव
कोरोना वायरस को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्साधिकारी डॉ. संजय सिंह का कहना है कि इस वायरस से डरने की जरूरत नहीं है। इसके बचाव से ही रोकथाम संभव है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें व विटामिन-सी युक्त फल खाएं। बरतें यह सावधानिया
उन्होंने बताया कुछ भी खाने से पहले हाथ जरूर धोएं। बात करते समय व खासते, छींकते समय मुंह पर मास्क लगाकर रखें या मुंह ढककर रखें। सार्वजनिक स्थल पर जाने से बचें। हाथ मिलाने से बचें। इनका कहना है
पहला सुख निरोगी काया, दूसरा सुखी घर में हो माया। अर्थात् जीवन को सुखी बनाने के लिए स्वस्थ शरीर और धन, सम्पत्ति आवश्यक हैं। सरकार द्वारा कोरोना को लेकर दिए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए। सभी घरों में रहें, महामारी से बचने के लिए एकातवास से श्रेष्ठ कोई उपाय नहीं है।
-सुभाष चंद शर्मा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक
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