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    हाथरस भगदड़: न्यायिक जांच रिपोर्ट सदन में हुई पेश, 121 मौतों का इन्हें बताया गया जिम्मेदार

    Updated: Wed, 05 Mar 2025 09:01 PM (IST)

    हाथरस के फुलरई मुगलगढ़ी में हुए सत्संग में भगदड़ की घटना में 121 लोगों की मौत हो गई थी। न्यायिक जांच में सामने आया है कि पुलिस-प्रशासन की लापरवाही और आयोजकों की अनदेखी इस हादसे के लिए बड़ी वजह थी। रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। भगदड़ के लिए तत्कालीन एसडीएम रवेन्द्र कुमार व सीओ आनन्द कुमार की भूमिका रही।

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    पुलिस-प्रशासन-आयोजकों की लापरवाही से मची थी सत्संग में भगदड़। (तस्वीर जागरण)

    राज्य ब्यूरो, लखनऊ। हाथरस के ग्राम फुलरई मुगलगढ़ी में दो जुलाई, 2024 को साकार नारायण विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ हुई थी। भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के पीछे पुलिस-प्रशासन की लापरवाही व आयोजकों की अनदेखी बड़ी वजह थी।

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    न्यायिक जांच में सामने आया है कि तत्कालीन एसडीएम रवेन्द्र कुमार व सीओ आनन्द कुमार ने बिना मौके का निरीक्षण किए ही इतनी बड़े आयोजन की अनुमति दे दी थी। एक ही दिन में अनुमति प्रदान किए जाने का काम पूरा हो गया था।

    एसओ और चौकी प्रभारी की भी थी लापरवाही

    दोनों अधिकारियों के अलावा एसओ व चौकी प्रभारी भी लापरवाही के दोषी थे। आयोजन में 80 हजार श्रद्धालुओं के आने का अनुमान था पर कार्यक्रम में ढाई से तीन लाख श्रद्धालु पहुंचे थे। दो जुलाई से पूर्व ही श्रद्धालुओं के आयोजन स्थल पर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन व पुलिस नहीं जागा।

    पुलिसकर्मियों ने मोबाइल का नेटवर्क काम न करने के बयान दिए, जबकि इतने बड़े आयोजन में वायरलेस सेट की व्यवस्था नहीं की गई। जिससे स्थिति बिगड़ने पर समय से सूचना का आदान-प्रदान भी नहीं हो सका। ड्यूटी पर लगाए गए पुलिस व राजस्व कर्मियों की कोई ब्रीफिंग भी नहीं की गई थी।

    आयोजकों की कार्यशैली पर भी उठे  सवाल

    आयोजकों की भूमिका व कार्यशैली पर भी कई सवाल उठाए गए हैं। हालांकि साकार नारायण विश्व हरि की भूमिका को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। न्यायिक आयोग ने घटना के पीछे किसी षड्यंत्र के नतीजे पर पहुंचने के लिए अपराध की विवेचना करने वाली एसआइटी (विशेष जांच दल) के ही जांच किए जाने को विधि पूर्ण बताया है। माना है कि आयोजन को सार्वजनिक चर्चा में लाने, सरकार को बदनाम करने अथवा किसी प्रकार का लाभ प्राप्त करने के लिए सुनियोजित षड्यंत्र को नकारा नहीं जा सकता।

    न्यायिक आयोग की 1670 पेज की है रिपोर्ट

    न्यायिक आयोग की 1670 पन्नों की जांच रिपोर्ट बुधवार को विधान मंडल के दोनों सदनों में रखी गई। इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बृजेश कुमार श्रीवास्तव (द्वितीय) की अध्यक्षता में गठित न्यायिक जांच आयोग ने भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति रोकने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं। आयोग में पूर्व आइएएस अधिकारी हेमन्त राव व पूर्व आइपीएस अधिकारी भवेश कुमार सिंह बतौर सदस्य शामिल थे।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि 18 जून, 2024 काे मुख्य आयोजक देवप्रकाश मधुकर व अन्य द्वारा आवेदन पत्र एसडीएम सिकंदराराऊ, हाथरस काे दिया गया था। उसी दिन एसडीएम ने आवेदन पत्र को सीओ व एसओ सिकंदराराऊ को भेज दिया था और उपनिरीक्षक मनवीर सिंह ने अपनी आख्या संस्तुति सहित दे दी। एक ही दिन में पूरी प्रक्रिया पूरी कर एसडीएम ने 18 जून, 2024 को ही अनुमति प्रदान कर दी और अन्य संशोधित अनुमति भी 19 जून, 2024 को जारी कर दी गई।

    प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों ने आयोग के समक्ष अपने बयानों पर आयोजन स्थल का निरीक्षण करने का दावा तो किया पर बयानों व दस्तावेजी साक्ष्यों में किसी के निरीक्षण करने की पुष्टि नहीं हुई। साफ है कि आयोजन की अनुमति देने में कोई गंभीरता नहीं बरती गई थी। सत्संग के दिन से 10 दिन पहले से ही आयोजन की तैयारी शुरू हो गई थी। श्रद्धालुओं का आना भी शुरू हो गया था। सत्संग से एक दिन पूर्व काफी संख्या में श्रद्धालु आ गए थे पर पुलिस ने कोई सुरक्षा प्रबंध नहीं किया। कोई ड्यूटी नहीं लगाई गई।

    कई विभागों ने मूंद रखी थी आंख

    पुलिस, प्रशासन, पीडब्ल्यूडी, अग्निशमन, विद्युत, स्वास्थ्य व अन्य संबंधित विभागों के किसी अधिकारी ने मौके पर जाकर न कोई जानकारी ली और न ही निर्देश दिया। सबकुछ आयोजकों पर ही छोड़ दिया गया। श्रद्धालुओं के आने-जाने के मार्ग, पीने के पानी, सुरक्षा, हवा, आकस्मिक स्थिति में निकलने के प्रबंध, सत्संग स्थल पर मंच-पंडाल की गुणवत्ता का भी किसी अधिकारी ने कोई संज्ञान नहीं लिया था।

    जांच में सामने आया कि घटना दोपहर 1:36 बले से दो बजे के मध्य हुई थी। आयोजकों ने रूट चार्ट से लेकर अन्य प्रबंधों में अनुमति की शर्तों का उल्लंघन किया। पार्किंग स्थल के लिए कोई दिशा सूचक नहीं लगाए गए। वाहन बेतरतीब सड़क किनारे खड़े कर दिए गए।

    भीड़ बढ़ने पर भी नहीं चेती थी पुलिस

    आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं के मुकाबले पुलिसकर्मियों की संख्या बहुत कम थी। मौके पर भीड़ बढ़ाने पर भी एसओ ने वरिष्ठ अधिकारियों को कोई सूचना नहीं दी और न ही अतिरिक्त सुरक्षा प्रबंधों का कोई प्रयास किया गया था। गर्मी व उमस के बावजूद मौके पर नगर निगम के दो टैंकर पहुंचे थे, जिन्हें हाईवे पर खड़ा किया गया था।

    जहां पानी गिरने से कीचड़ हो गया था, जो भगदड़ के दौरान श्रद्धालुओं के फिसलकर गिरने का बड़ा कारण भी बना। सेवादार टैंकर से पानी ले जाकर श्रद्धालुओं को दे रहे थे। जबकि प्रशासन की ओर से पीने के पानी की कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं की गई थी।

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