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    Hathras Scholarship Scam: फर्जी छात्र दिखाकर 24.92 करोड़ का गबन, जांच में 65 स्कूल और मदरसे शामिल

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 08:10 AM (IST)

    हाथरस में 2011-2013 के बीच हुए अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच में तेजी आई है। इस मामले में 65 विद्यालय और मदरसे जांच के घेरे में हैं। तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वीरेंद्र पाल सिंह को घोटाले का मास्टरमाइंड बताया गया है। अब तक 47 आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं और 24 करोड़ से अधिक का घोटाला सामने आया है। ईओडब्ल्यू मामले की गहराई से जांच कर रही है।

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    छात्रवृत्ति घोटाले में ईओडब्लयू टीम द्वारा गिरफ्तार तत्कालीन प्रधानाचार्य दिनेश चंद्र। - सौ. से ईओडब्ल्यू टीम

    जागरण संवाददाता, हाथरस। जिले में वर्ष 2011 से 2013 तक हुए अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले का मामला 14 वर्ष बाद भी शांत नहीं हुआ है। इसकी परतें खुलती जा रही हैं। अब तक 47 आरोपित गिरफ्तार किया जा चुके हैं। अन्य की गिरफ्तारी बाकी है। ईओडब्ल्यू की टीम की छापेमारी से एक बार फिर से खलबली मच गई है।

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    तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वीरेंद्र पाल सिंह इस घोटाले का मास्टर माइंड था। उसकी सह पर जिले के 66 विद्यालयों और मदरसों में छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के नाम पर धनराशि का बंदरबांट किया गया था।

    जांच में 65 विद्यालय-मदरसे आए सामने, नहीं कराया गया भौतिक सत्यापन

    अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के खातों के स्टेटमेंट व भौतिक सत्यापन से यह बात सामने आई कि वर्ष 2011 से 2013 तक हाथरस जनपद के 65 विद्यालयों और मदरसों में छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि दी गई।

    एनआइसी से प्राप्त विद्यालयवार डाटा बेस एवं एसबीआई हाथरस के छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के खाते की समीक्षा करने पर सामने आया कि वीरेंद्र पाल सिंह द्वारा भारत सरकार की प्री मैट्रिक स्कालरशिप प्राप्त करने के लिए विभिन्न संस्थाओं के नाम फर्जी व मनमाने तरीके से विद्यार्थियों का डाटा फीड कर धनराशि की मांग की गई थी। इन स्कूलों में छात्र संख्या का भौतिक सत्यापन नहीं कराया गया था।

    तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी है घोटाले का मास्टर माइंड

    वीपी सिंह की गिरफ्तारी के बाद इस घोटाले की परतें खुलती चली गईं। कुल 65 मदरसों और स्कूलों के नाम पर 24 करोड़ 92 लाख 76 हजार रुपये का घोटाला सामने आया है। तभी से ईओडब्ल्यू इस मामले में जांच कर रही है।

    ईओडब्ल्यू की विवेचना में 81 अभियुक्तों की संलिप्तता पाई गई। इनमें से तीन सरकारी कर्मचारी और 78 लोग निजी संस्थानों से जुड़े हैं। 47 लोगों के जेल भेजा जा चुका है। 34 आरोपितों की गिरफ्तारी बाकी है।

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