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    Hathras Stampede Update: 121 लाेगों की मौत में न्याय का इंतजार, आयोजकों को जमानत; हाथरस सत्संग हादसा का एक साल

    हाथरस में साकार विश्व हरि के सत्संग में हुई भगदड़ की पहली बरसी पर 121 मृतकों के परिवार अभी भी न्याय की प्रतीक्षा कर रहे हैं। जांच एजेंसियों ने साकार विश्व हरि को क्लीनचिट दे दी है जबकि कुछ अधिकारियों को निलंबित किया गया और बाद में बहाल कर दिया गया। इस घटना में 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया था जिन्हें अब जमानत मिल चुकी है।

    By himanshu gupta Edited By: Abhishek Saxena Updated: Wed, 02 Jul 2025 11:30 AM (IST)
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    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, हाथरस। दो जुलाई 2024 की मनहूस तारीख भला कौन भूल सकता है। नारायण साकार विश्व हरि उर्फ सूरजपाल के सत्संग में आस्था के सैलाब से मौत का ऐसा बबंडर उठा कि पूरा देश हिल गया। मीडिया, शासन-प्रशासन, राजनेताओं की नजर हाथरस पर टिक गई। उस समय दिल्ली की संसद में बोल रहे प्रधानमंत्री ने भी संबोधन को रोककर हाथरस के सत्संग हादसे पर दुख जताया था।

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    राष्ट्रपति ने भी संवेदनाएं प्रकट कीं। आज इस घटना को एक वर्ष पूर्ण हो गया है। गत एक वर्ष में इस केस में बहुत कुछ हुआ। कई एजेंसियों ने जांच की। अफसरों पर कार्रवाई हुई। 11 आरोपित जेल गए। अब अफसर बहाल हो चुके हैं। आरोपित जमानत पर बाहर हैं। साकार विश्व हरि को जांच एजेंसी से क्लीनचिट मिली। 121 लोगों की मौत के जिम्मेदार आज भी तय नहीं हो सके हैं। मृतकों के परिवारों काे न्याय का इंतजार है। पढ़िये हिमांशु गुप्ता की रिपोर्ट।

    एक साल पहले मची भी भगदड़

    हाथरस मुख्यालय से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर जीटी रोड पर फुलरई गांव के पास खेतों में साकार विश्वहरि उर्फ भोले बाबा का सत्संग चल रहा था। सत्संग के बाद वहां भगदड़ मच गई। इसमें 121 लोगों की मौत हुई। दो जुलाई की शाम को मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार हाथरस पहुंच गए थे। सीएम के निर्देश पर एसआइटी गठित की गई।

    इसमें एडीजी आगरा जोन अनुपम कुलश्रेष्ठ व मंडलायुक्त अलीगढ़ चैत्रा वी. शामिल रही। इन्होंने 24 घंटे में एक रिपोर्ट सीएम को दी। इसमें सेवादारों को दोषी ठहराया गया। किसी षडयंत्र की आशंका भी जताई गई। इसमें डीएम, एसपी सहित 100 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं।

    बयानों में चरणरज लेने के कारण भगदड़ की बात कही गई है। नौ जुलाई को फाइनल रिपोर्ट अब सीएम को सौंपी गई है, जिस पर कार्रवाई हुई है। इसमें पुलिस-प्रशासनिक अफसर और कर्मी दोषी बताए गए। इसके बाद एसडीएम, तहसीलदार, सीओ, इंस्पेक्टर और दो चौकी प्रभारियों पर निलंबन की कार्रवाई हुई। इनमें से पांच अधिकारी और कर्मी बहाल हो चुके हैं। एसडीएम रवेंद्र कुमार की बहाली अभी बाकी है। उन पर बिना कार्यक्रम स्थल का मुआयना किए आयोजन की अनुमति देने और वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत नहीं कराने की लापरवाही मानी गई।

    इन अधिकारियों की हुई बहाली

    आनंद कुमार, सीओ- सिकंदराराऊ में दिसंबर 2022 से क्षेत्राधिकारी थे। उन्होंने न तो वरिष्ठ अधिकारियों को इतने बड़े कार्यक्रम के बारे में अवगत कराया और न हीं सुरक्षा व्यवस्था के पर्याप्त इंतजाम किए। बहाली के बाद उन्हें डीजीपी कार्यालय से संबद्ध किया गया है।

    सुशील कुमार, तहसीलदार- चार जुलाई 2023 से सिकंदाराराऊ में तैनात थे। लाखों की भीड़ की संभावना की रिपोर्ट जुटाने में असफल रहे। इतने बड़े कार्यक्रम में इंतजामों को वरिष्ठ अधिकारियों को नहीं बताया। बहाली के बाद वर्तमान में वह सिरसागंज में तहसीलदार पद पर तैनात हैं।

    आशीष कुमार, एसएचओ- 27 मार्च 2023 को सिकंदराराऊ कोतवाली का कार्यभार संभाला था। इतने बड़े कार्यक्रम को लेकर अपने अधिकारियों को सही रिपोर्ट नहीं देने और सुरक्षा व्यवस्था में लापरवाही पर उनके खिलाफ कार्रवाई हुई। बहाली के बाद वह हाथरस में आपरेशन पहचान का प्रभार संभाल रहे हैं।

    ब्रजेश पांडे- चौकी प्रभारी पोरा- घटना से डेढ़ वर्ष पहले से वह चौकी प्रभारी थे। सत्संग स्थल पोरा चौकी के अंतर्गत था। सत्संग हादसे में मुकदमा भी उनकी ओर से आयोजकों पर दर्ज कराया गया है। अनुमति पत्र में चौकी इंचार्ज की रिपोर्ट अहम होती है। इसमें लापरवाही बरतने पर कार्रवाई हुई। बहाली के बाद वह सादाबाद कोतवाली में तैनात हैं।

    मनवीर चौधरी, चौकी प्रभारी कचौरा- घटना से दो महीने पहले ही उन्हें कचौरा चौकी प्रभारी का दायित्व मिला। मनवीर चौधरी को इसलिए निलंबित किया गया है कार्यक्रम स्थल के सामने राेड के जिस तरफ खेत में श्रद्धालुओं की मृत्यु हुई वह कचौरा चौकी के अंतर्गत था। उन्होंने भी इतने बड़े कार्यक्रम की सूचना अधिकारियों को नहीं दी। बहाली के बाद वह पुलिस लाइंस में हैं।

    11 आरोपितों के खिलाफ दाखिल हुआ आरोप पत्र

    पोरा चौकी प्रभारी ब्रजेश पांडे की ओर से मुख्य सेवादार देव प्रकाश मधुकर व अन्य के खिलाफ भारतीय न्याय सहिता की धारा 105, 110, 126 (2), 223, 238 के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत किया गया, जिसमें 80 हजार लोगों की अनुमति लेने और दो लाख से अधिक भीड़ आने, चरण रज लेने व दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ को सेवादारों द्वारा भीड़ रोकने, धक्का-मुक्की करने के चलते हादसा होने व साक्ष्य छिपाने का आरोप था।

    देवप्रकाश मधुकर समेत कुल 11 सेवादार और आयोजकों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। बाद में विवेचना अधिकारी और सीओ रामप्रवेश राय के प्रार्थनापत्र पर आरोपितों पर धारा 132/121 (1) बीएनएस और 7 सीएलए की वृद्धि कर दी गई है। पुलिस ने सभी 29 सितंबर 2024 को 11 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया। साकार विश्वहरि का नाम चार्जशीट में नहीं था। सभी की जमानत हो चुकी है।

    इन आयोजकों को गिरफ्तारी के बाद मिली जमानत

    • 1- देवप्रकाश मधुकर, गांव गादरी, थाना अवागढ़, एटा, हाल निवासी मोहल्ला दमदपुरा नई कालोनी, सिकंदराराऊ
    • 2. उपेंद्र यादव, बाईपास एटा रोड शिकोहाबाद, फिरोजाबाद
    • 3. मेघसिंह, मोहल्ला दमदपुरा, सिकंदराराऊ,
    • 4. मंजू यादव, कचौरा, सिकंदराराऊ
    • 5. मुकेश कुमार, न्यू कालाेनी दमदपुरा, सिकंदराराऊ
    • 6. मंजू देवी, कचौरा, सिकंदराराऊ
    • 7. राम लड़ैते यादव, भानपुरा, मैनपुरी
    • 8- रामप्रकाश शाक्य, खांकेताल, बेवर, मैनपुरी
    • 9- संजू यादव, गोपालपुर, सिकंदराराऊ
    • 10- दुरवेश कुमार, शिवनगर कालोनी, बेवर, मैनपुरी
    • 11-दलवीर पाल, किनशनपुर गढ़िया, मैनपुरी

    इन धाराओं में दाखिल की गई चार्जशीट

    धारा 105- गैरइरादतन हत्या - पांच वर्ष से आजीवन कारावास।

    धारा 110- गैर-इरादतन हत्या का प्रयास- तीन वर्ष से सात वर्ष कारावास।

    धारा 126(2)- गलत तरीके से रोकने के लिए। एक महीने तक की अवधि के लिए साधारण कारावास या जुर्माना।

    धारा 223- लोकसेवक द्वारा प्रख्यापित आदेश की अवज्ञा। - छह माह से एक वर्ष तक की सजा।

    धारा 238- अपराध के साक्ष्य को गायब करना- 10 वर्ष तक की सजा

    धारा 121 (1) लोक सेवक के कार्य में वाधा- पांच वर्ष कारावास

    धारा 132 (1) लोकसेवक काे कार्य से रोकने के लिए अपराधिक बल प्रयोग- दो वर्ष कारावास

    7 सीएलए- किसी व्यक्ति के रोजगार या कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए परेशान करना।