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    25 करोड़ से बदलेगी हाथरस के कांशीराम आवासों की तस्वीर, 13 साल में चोरी हो गए खिड़की-दरवाजे

    Updated: Tue, 16 Dec 2025 01:30 PM (IST)

    हाथरस में कांशीराम आवासीय योजना के तहत खंडहर बने आवासों को 25 करोड़ रुपये से सुधारा जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में बने ये आवास सपा स ...और पढ़ें

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    25 करोड़ से सुधरेगी खंडहर बने कांशीराम आवासों की सूरत

    योगेश शर्मा, हाथरस, जागरण। हाथरस में जलेसर रोड पर दूसरे चरण में बने कांशीराम आवास और सिकंदराराऊ में कासगंज रोड पर बने कांशीराम आवासीय योजना के तहत खंडहर बने आवासों के अच्छे दिन आने वाले हैं। शासन की ओर से मांगे एस्टीमेट के बाद प्रशासन की कवायद के बाद 25 करोड़ रुपये के प्रस्ताव शासन को भेज दिए गए हैं। सभी आवास पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में बनाए गए थे जो सपा सरकार के बाद खंडहर होना शुरू हो गए। इन आवासों में न बिजली दी गई और पानी की सुविधा की गई।

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    शासन के निर्देश पर चार विभागों ने तैयार किए अलग-अलग एस्टीमेट, शासन को भिजवाए


    फिलहाल स्थिति ये है कि तमाम बेघर परिवार के सदस्य प्रशासन के पास आकर आवास के लिए चक्कर काट रहे हैं तो दूसरी तरफ शहर में पूर्व मायावती सरकार के कार्यकाल में तैयार हुए 952 कांशीराम आवास आवंटन के इंतजार में खंडहर हो गए। अब आकर शासन ने इन आवासों की सुध ली है। इन आवासों को दुरुस्त कराके इनका आवंटन किया जाएगा। इसके लिए लोक निर्माण विभाग, बिजली विभाग और जल विभाग के साथ आवास विकास की ओर से एस्टीमेट तैयार कर लिए गए हैं।


    मायावती के शासनकाल में सिकंदराराऊ और हाथरस में कराया गया था आवासों का निर्माण

    बता दें कि हाथरस नगर के जलेसर रोड पर कांशीराम आवास योजना के तहत वर्ष 2010 में पहले चरण में 1500 आवासों का आवंटन किया गया था। दूसरे चरण में सिकंदराराऊ में 2011-12 में 850 से ज्यादा आवास बनाकर इनका आवंटन कर दिया गया, जबकि तीसरे चरण में हाथरस में जलेसर रोड पर ही 2012-13 में 952 आवास बनाए गए, लेकिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव में अभी तक आवंटन नहीं हो सका है। ा

    बसपा के बाद बनीं सरकारों ने इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर ध्यान नहीं दिया। न तो इन आवासों को जरूरतमंद बेघरों को दिया गया और न हीं इनमें बिजली और पानी जैसी जरूरी सुविधाएं दी गईं, जबकि समय-समय पर इन आवासों को जरूरतमंदों को आवंटित करने की मांग उठती रही हैं।


    13 सालों में दरवाजे-खिड़की भी हो गए चोरी

    पिछले 13 सालों में कांशीराम आवासीय योजना में बने आवासों के दरवाजे व खिड़की भी चोरी हो गए हैं। अधिकांश आवासों में लगीं लोहे की खिड़कियां गायब हैं। कई जगह तक इनकी चौखट भी नजर नहीं आ रहीं। यही हाल दरवाजों का भी है। कई दरवाजे चौखट सहित चोरी हो गए।


    बिजली-पानी की सुविधा नहीं मजबूरी में रह रहे परिवार

    हाथरस के जलेसर रोड पर बनी कांशीराम कॉलोनी में वर्तमान में बिना बिजली-पानी की सुविधा के बाद भी तमाम परिवार इन आवासों में अवैध रूप से रह रहे हैं। कुछ मोमबत्ती के सहारे रात गुजारते हैं तो कुछ सोलर से चलने वाली टार्च से घर में रोशनी करने को मजबूर हैं। यहां अवैध रूप से रह रहे गरीब परिवारों को भी पानी भी बाहर जाकर हैंडपंप से लाना पड़ता है।


    सिकंदराराऊ में गरीब परिवारों में जागी आस

    नया सवेरा योजना के तहत सिकंदराराऊ में द्वितीय फेज में बन कर तैयार आवास आवंटित कर दिए गए हैं। कासगंज रोड पर 500 आवासों की टाउनशिप बन कर तैयार हुई थे। मगर यहां भी पानी- बिजली की सुविधा न मिलने के कारण आवास खंडहर हो गए। अब लोगों को आवासों में मूलभूत सुविधाएं मिलने की आस जागी है। जानकारी करने पर गरीब परिवारों को तहसील स्तर से जानकारी दी गई कि शासन की ओर से बिजली-पानी देने को पूरी कार्ययोजना बनाकर शासन को भेज दी गई है।



    ये भी जानिए...

    1.47 करोड़ रुपये लोक निर्माण विभाग

    2.94 करोड़ रुपये बिजली विभाग

    7.71 करोड़ रुपये जल निगम

    13.34 करोड़ रुपये आवास विकास



    सरकारों को गरीबों की परवाह करनी चाहिए। बसपा शासन काल में बने कांशीराम आवासों में अगर सुविधाएं दी गई होतीं तो अब आकर 25 करोड़ रुपये खर्च न होते। अफसर खां।

    हम गरीबों के बारे में सरकार अब खंडहर बन चुके आवासों में मूल भूत सुविधाएं देगी। ये बात कई बार हो चुकी है। सच तो ये है कि जब पैसा मिल जाए तब जानेंगे। अनिल कुमार।

    हाथरस में कांशीराम आवास में न पानी की सुविधा है और न पानी की। खंडहर बने आवासों से खिड़कियां तक उखाड़कर चोर ले जा चुके हैं। सभी सुविधाएं अब मिलनी चाहिए। गिर्राज सिंह।

    सिकंदराराऊ में बरसों से पहले कांशीराम आवासों का निर्माण किया गया है जो अब खंडहर बन चुके हैं। सरकार को इन खंडहर बन चुके आवासों को दुरुस्त कराना चाहिए। राधेश्याम सिंह।



    शासन की ओर से कांशीराम आवासों में बिजली-पानी की सुविधाएं देने को एस्टीमेट मांगे गए थे। सभी विभागों से एस्टीमेट तैयार कराकर शासन को भेज दिए गए हैं। −धर्मेद्र सिंह चौहान, एसडीएम एवं प्रभारी डूडा।