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    भक्ति ही मोक्ष प्राप्ति का श्रेष्ठ मार्ग

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    Updated: Wed, 02 Nov 2011 09:01 PM (IST)

    कार्यालय संवाददाता, हाथरस : श्रीमद्भागवत में भक्त और भगवान की प्रेम भक्ति की रसधारा है, जो जीवन को परिवर्तित कर देती है। इसीलिए भागवत से जीवन जीने की कला का संदेश ग्रहण करना चाहिए। जहां भक्ति प्रादुर्भाव होता है, वहां ज्ञान भी अपने आप आ जाता है। बुधवार को तीसरे दिन की कथा में आचार्य मृदुल शास्त्री ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार मोक्ष प्राप्ति के तीन मार्गो में से भक्ति एक श्रेष्ठ एवं सरल मार्ग है। भक्ति नौ प्रकार की होती है। भक्ति की नौ विधाओं में से कोई भी एक विधा को अपना कर भक्त भगवान तक पहुंच सकता है। इन विधाओं में श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन, अर्चना, वंदन, दास्य, सख्य, आत्म निवेदन हैं। आचार्य ने कहा कि भक्ति का एक अर्थ पूजा भी होता है। भक्ति की उत्पत्ति ही मान सेवायाम् धातु से होती है।भक्त के अंदर तीन बातों का होना आवश्यक है, सत्संग, सेवा और सुमिरन। कथा प्रसंग में कपिल देवहूति संवाद में आचार्य ने बताया कि भगवान कपिल मां देवहूति से कहते हैं कि सच्चा भक्त सत्संग में जाकर भगवान से निकता प्राप्त करने का प्रयास करता है। यह सम्मान धन आदि की अपेक्षा न करते हुए शुद्ध अन्त:करण से परमात्मा को याद करता है। किसी भी समय भगवान का स्मरण बंद नहीं करता। भगवान के ध्यान की विधि का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भक्त भगवान का ध्यान करें तो प्रभु के चरणों से प्रारंभ कर श्री मुखारबिंद पर रोक देना चाहिए। यदि मां दुर्गा आदि का ध्यान करें तो मां के श्री मुखारबिंद से प्रारंभ कर श्री चरणों में ध्यान को स्थिर कर दें। भागवत कथा में धु्रव चरित्र का बखान हुआ। इस दौरान मनमोहक झांकियों ने श्रद्धालुओं को आनंदित किया। कथा आयोजकों ने बताया कि गुरुवार को भगवान श्रीराम व श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा।

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    लोकेश शर्मा.....भूपसिंह

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