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    दलित को बेदखल करने के मामले में कानून को ठेंगा

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    Updated: Mon, 06 Jul 2015 01:00 AM (IST)

    संवाद सहयोगी, हाथरस : सासनी के गांव अजरोई में बनाई गई पेयजल परियोजना के निर्माण में भले ही प्रशास ...और पढ़ें

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    संवाद सहयोगी, हाथरस : सासनी के गांव अजरोई में बनाई गई पेयजल परियोजना के निर्माण में भले ही प्रशासनिक अधिकारी दलित का नाम उनके राजस्व अभिलेखों में दर्ज न होने का बहाना बना रहे हों, लेकिन वह यह अच्छी तरह जानते हैं कि कानूनन 1975 से पहले से काबिज दलितों को ग्राम पंचायत की भूमि से बेदखल नहीं किया जा सकता है।

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    अजरोई प्रकरण प्रशासन की मनमानी के विरोध में पहले ही कोर्ट की शरण में जा चुका है। अब मारपीट प्रकरण के बाद यह मामला मुख्यमंत्री के पास भी भेजा गया है, जिसमें प्रशासन की भूमिका पर भी उंगली उठाई गई है। अजरोई के गोधना पुत्र देविया को ग्राम प्रधान की रसीद के आधार पर 1973 में ही खसरा संख्या 57 में कब्जा मिल गया था। पीडि़त अनुसूचित जाति के खटीक समाज से है। ऐसे में कानून में भी उन्हें बेदखली करने का अधिकार नहीं दिया गया है। जमींदारी विनाश अधिनियम बनाते समय 122 में कुछ प्रावधान दिए गए हैं, जिसमें यह स्पष्ट कहा गया है कि अगर अनुसूचित जाति का कोई व्यक्ति ग्राम समाज की जमीन पर 1975 से पूर्व से काबिज है तो उसे बेदखल नहीं किया जा सकता है। इतना ही नहीं इसका संज्ञान आने के बाद जिला कलक्टर इस भूमि को तीन माह के अंदर उसके पक्ष में दाखिल करेंगे, लेकिन यहां तो इस दलित को जमीन से बेदखल करने के लिए वहां पर पेयजल परियोजना लगवाई गई। विरोध का परिणाम शांति भंग के रूप में झेलना पड़ा। अब प्रशासन मामला कोर्ट में होने की वजह से अपने बचाव में जुटा है। कलक्टर व डिप्टी कलक्टर इस मामले में जमीन को राजस्व अभिलेखों में उसके नाम न होने का मामला बताकर अलग-थलग हो गए हैं।

    अजरोई में सार्वजनिक

    संपत्तियों पर कब्जे

    हाथरस : अजरोई में कितने सार्वजिनक उपयोग व ग्राम पंचायत की आबादी की भूमि ऐसी है, जिनके आज तक कब्जे हटाने के लिए प्रशासन को कभी सुध भी आई हो। खुद जिलाधिकारी शमीम अहमद खान अजरोई गए तो उनके सामने भी इन स्थलों को कब्जामुक्त कराने की मांग की गई, लेकिन आज तक हुआ कुछ नहीं। पंचायत घर, बीज गोदाम, कब्रिस्तान, होली स्थल की जगह का पता नहीं है। गांव का परिक्रमा मार्ग अवैध कब्जे में है। गांव में सीसी ईंटों का खरंजा लगने पर निकली ईंटों का पता नहीं है।

    पलायन कर गए मुसलमान

    हाथरस : अजरोई में मुस्लिमों के करीब दस घर थे, लेकिन वह दबंगों के सामने टिक नहीं पाए और पलायन कर गए। उनके आवास आदि के अलावा कब्रिस्तान की जगह पर दबंगों का कब्जा है। अलीगढ़ में रह रहा सकूर खान प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुका है, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

    544 कब्जे हटे, 57

    हेक्टेयर जमीन मुक्त

    हाथरस : सार्वजनिक उपयोग की 544 जमीनों से जून माह में विशेष अभियान के जरिए कब्जे हटाए गए। इससे 36 तालाब, 12 चारागाह, 24 कब्रिस्तान, 20 श्मशान, 312 चकमार्ग, 74 नाली, 10 खाद के गड्ढे, 3 खेल मैदान, 4 कुम्हारी कला स्थान, 3 खलिहान, 47 अन्य से कब्जा हटाकर 57.475 हेक्टेयर भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया, लेकिन अभी तक प्रशासन के पास इसका रिकार्ड नहीं है कि जिले में कुल कितनी भूमि पर कहां कहां कब्जे हैं। इनके हटाने के लिए कब अभियान चलेगा।