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    अपराध की इबारत पर आतंक का अंत

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    Updated: Mon, 15 Sep 2014 01:20 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, हाथरस : भले ही अपराध की इबारत लिखी गई हो, मगर एक आतंक का अंत हो गया। जरायम की दुनिया के दो दोस्तों में बगावत का ऐसा बिगुल बजा कि एक अध्याय समाप्त हो गया। अपराध जगत में डेढ़ दशक तक साथ निभाने वाले राजेश का समाज की मुख्य धारा से जुड़ना मावी को रास नहीं आ रहा था। राजेश भी अपने साथी से खुद को खतरा भांप रहा था। बस मौका देख उसने कर दिया 'खतरे' का खात्मा।

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    यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, हकीकत है, जिससे पता चलता है कि अपराध की दुनिया में घुसने के बाद उससे निकल पाना मुश्किल होता है। दोस्त ही जान के दुश्मन बन जाते हैं।

    हाथरस के राजेश शर्मा और मेरठ के शार्प शूटर ब्रजेश मावी में गहरी दोस्ती थी। 2002 में इनकी दोस्ती तब जगजाहिर हुई जब यहां दीवानी कचहरी परिसर में दिनदहाड़े अखईपुर के शातिर भूपेंद्र सिंह की हत्या की गई। इस मामले में राजेश व उसके साथी को नामजद किया गया, दो अज्ञात लोगों का जिक्र किया गया था। पुलिस विवेचना हुई तो पता चला कि ये दोनों ब्रजेश मावी और मथुरा का हिस्ट्रीशीटर बबलू गौतम थे। बाद में राजेश और मावी की जोड़ी बन गई। 2004 में दिल्ली में हुई बड़ी वारदात में इन दोनों की गिरफ्तारी साथ-साथ हुई। तभी से इन दोनों में आपराधिक साझेदारी चल रही थी। कहा जा रहा है कि करीब एक साल से राजेश ने अपराधों से तौबा कर ली थी। वह अपने परिवार के साथ यहां गली सादाबादियान में रह रहा था। इसी गली में एक और मकान खरीदकर उसे भी बनवा रहा था। राजेश का अपराध जगत से दूर हटना मावी को रास नहीं आया। सूत्र बताते हैं कि मावी 10 सितंबर को एक वारदात की मंशा से राजेश के घर गया था। शहर के एक स्वर्णकार और मथुरा के एक डॉक्टर के अपहरण की योजना थी मगर राजेश ने इसमें शामिल होने से इन्कार कर दिया था। तभी से दोनों में तनातनी हुई और मावी को मौत के घाट उतार दिया गया।

    मावी ने मथुरा के कृष्णानगर में आवास बनाया था। काफी समय से वहीं रह रहा था। उसके साथ हाथरस आने वालों में कृष्णानगर के ही उसके मित्र भाजपा नेता प्रमोद चौधरी व अपराध की दुनिया से जुड़ा मथुरा के ही जनरल गंज का गोपाल यादव भी था। प्रमोद चौधरी के परिजनों ने उनके घर न लौटने पर तीनों की गुमशुदगी मथुरा कोतवाली में दर्ज कराई थी। बाद में गत दिवस इसे अपहरण में तरमीम कर मथुरा पुलिस ने हाथरस में राजेश के आवास पर दबिश दी थी। यहां उसके दोनों घरों पर ताले लगे मिले थे। प्रमोद चौधरी के परिजनों का कहना था कि तीनों मित्र यहां एक जमीन का सौदा करने के लिए राजेश से मिलने आए थे। राजेश ने उन्हें अगवा कर लिया है। बाद में मथुरा पुलिस वहां से सर्च वारंट लेकर आई और स्थानीय पुलिस को साथ लेकर राजेश के दोनों मकानों पर पहुंची। वहां लगे तालों को तोड़कर अंदर तलाशी ली मगर वहां कोई सबूत नहीं मिला। तलाशी की पुलिस ने वीडियोग्राफी भी कराई। रविवार को तड़के प्रमोद चौधरी व गोपाल यादव को मथुरा पुलिस ने हाथरस-मथुरा सीमा पर बल्देव थाना क्षेत्र में अख्तौनी गांव के पास से बरामद कर लिया। उन्होंने मथुरा पुलिस के समक्ष स्वीकार किया है कि राजेश ने मावी की अपने निर्माणाधीन मकान में गोलियों से भूनकर हत्या कर दी है और लाश को ठिकाने लगा दिया है।

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