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    गोविंद भगवान की आलौकिक छटा ने मोहा मन

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    Updated: Thu, 28 Mar 2013 10:36 PM (IST)

    कार्यालय संवाददाता, हाथरस : शहर भर में गुरुवार की शाम को गोविंद भगवान की ऐतिहासिक 102 वीं रथयात्रा की धूम रही। श्री वाष्र्णेय समाज द्वारा संचालित इस शोभायात्रा में आकर्षण तीन मंजिला रथ रहा। जिसमें गोविंद भगवान व श्री राधिका-रानी की आलौकिक छटा ने सभी का मन मोह लिया। रथयात्रा में अन्य झांकियां भी आकर्षण का केंद्र रहीं। श्रद्धालुओं ने जगह-जगह गोविंद भगवान का स्वागत किया। आतिशबाजी के बीच भक्तजन गोविंद भगवान के जयकारे लगाते हुये रथ को खींचते हुये चल रहे थे।

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    गुरुवार की सुबह घंटाघर स्थित मंदिर श्री गोविंद भगवान में नंदलाल का अभिषेक किया तथा विधिवत पूजा-अर्चना की गई। सुबह से ही भक्तजन भगवान के एतिहासिक रथ को सजाने में जुटे हुये थे। शाम के समय रथ तैयार होने के बाद गोविंद भगवान व राधारानी को रथ में विराजमान किया गया। दुर्गा प्रसाद राजकुमार भट्टे वालों ने महाआरती कर रथयात्रा का शुभारंभ किया। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु गोविंद भगवान की झलक पाने के लिये उमड़ पड़े।

    गोविंद भगवान मंदिर से प्रारंभ होकर रथ यात्रा नगर के विभिन्न मार्गो से होती हुई अक्रूर इंटर कॉलेज पर पहुंची । रथ यात्रा में दो दर्जन से अधिक झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं। कलाकारों ने राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती आदि स्वरूपों में मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुतियां दीं। नफीरी ढोल तांसे, श्री अक्रूर जी का ढोला, तथा फूलों व विद्युत रोशनी से जगमगाता रथ देखते ही बन रहा था। बैंड बाजों की धुन पर लोग थिरक रहे थे। हजारों की संख्या में श्रद्धालु गोविंद भगवान व राधिका जी का नाम लेते व झूमते चल रहे थे। इस भक्तिमय माहौल में सराबोर हाथरस नगरी वृंदावनमय हो गई। अक्रूर इंटर कॉलेज से रथयात्रा मंदिर आकर विश्राम हुई। रथयात्रा में प्रीवन वाष्र्णेय गोल्ड मोहर वाले मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि में जिला पूर्ति अधिकारी दीपक वाष्र्णेय, जिला सूचना अधिकारी यतीश गुप्ता,नायब तहसीलदार मनोज वाष्र्णेय, नवल किशोर, संजीव वाष्र्णेय, दिवाकर वाष्र्णेय रहे।

    यात्रा में यह रहे उपस्थित :

    रथयात्रा में विशप स्वरूप वाष्र्णेय, सतीशचंद्र वाष्र्णेय, आनंद वाष्र्णेय, योगेश वाष्र्णेय, मुकेश वाष्र्णेय, हरीश आंधिवाल, गिरधर गोपाल, प्रियंका वाष्र्णेय, नवनीत वाष्र्णेय, कृष्ण गोपाल वाष्र्णेय, मदनमोहन, नितिन वाष्र्णेय, मनीष वाष्र्णेय, रमेशचंद्र, कन्हैयालाल, शंकरलाल, मनोज वाष्र्णेय, हरेंद्र वाष्र्णेय, हरीओम ्रकाश, अतुल, सुबौधचंद्र वाष्र्णेय, प्रवीन वाष्र्णेय, ओमप्रकाश गुप्ता, बसंतलाल वाष्र्णेय, राकेश, जगदीश, धर्मेंद्र वाष्र्णेय, हरी शंकर वाष्र्णेय, अनिल आंधीवाल, दाऊदयाल वाष्र्णेय, महादेव शरण, कृष्ण मुरारी, रामू वाष्र्णेय, राजकुमार, अमित, योगेश गुप्ता, संजीव वाष्र्णेय, मदन गोपाल, तन्नू वाष्र्णेय, कन्हैयालाल, सुभाषचंद्र, गंगा सरन, श्याम बाबू, अनुज वाष्र्णेय, राहुल वाष्र्णेय, बंटू वाष्र्णेय, नैना वाष्र्णेय, तनिष्क आंधीवाल, सतीश चंद्र, शिवम वाष्र्णेय आदि लोग शामिल थे।

    सन 1912 में निकली थी पहली यात्रा

    वाष्र्णेय समाज के अनुसार घंटाघर स्थित मंदिर श्री गोविंद भगवान 129 वर्ष पुराना है। मंदिर बनने के 27 वर्ष बाद समाज के वरिष्ठ लोगों ने धुलैड़ी के बाद नगर में गोविंद भगवान की रथयात्रा निकालने का मन बनाया है। समाज में यह भी धारणा है कि इसके लिये गोविंद भगवान ने समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति को स्वप्न दिया था। सन् 1912 में गोविंद भगवान की प्रथम रथ यात्रा निकला गई, जिसके बाद से यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती गई।

    रथ से रुक गई थी ट्रेनें :

    वर्ष 1912 में प्रथम रथयात्रा के दौरान पूर्वोत्तर ट्रेक पर ट्रेनों को रोकना पड़ गया था। बताते हैं कि शहर में भ्रमण करते हुये रथ जब अक्रूर इंटर कॉलेज की चला तो रेलवे फाटक पर बीच पटरियों पर रथ को रोक देना पड़ा। रेलवे के लिये स्पेशल बिजली व टेलीफोन की लाइन दे रखी थी, जो कि तिमंजिला रथ के बीच में आ रही थी। इस कारण रथ को रोकना पड़ा। रथ के रुकने से ट्रेनें भी यथा स्थिति में रोक दी गई। बाद में मथुरा से अधिकारियों के आने के बाद तार काटे गये। इसके बाद ही रथ आगे बढ़ सका।

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