अवैध पशु कटान पर खुली पुलिस नाकामी की कलई
वरिष्ठ संवाददाता,हाथरस:आखिरकार उसी सच का खुलासा हुआ,जिसका 'दैनिक जागरण' को भी अंदेशा था। जिले में अवैध पशु कटान पर अंकुश न लग पाने का खामियाजा रहा पुरदिलनगर कांड। अगर तंत्र का पशु कटान पर अंकुश होता तो इस कस्बे के सोरों गेट क्षेत्र में कट्टी के लिए घर के आगे बांधे गये बछड़ों को न तो दलित महिला खोलती और न ही उसे दरिंदगी का शिकार होना पड़ता। इलाका पुलिस ने भले ही घटना के दो नामजदों को गिरफ्तार करके अपने हाथ से अपनी पीठ ठोक ली हो,किंतु खाकी की सफलता तभी मानी जायेगी,जब जिले में इस अवैध कारोबार पर लगाम लगेगी।
गोरखधंधा:-पुरदिलनगर कांड में जिन दो लोगों की गिरफ्तारी हुई है,उससे पशु अवैध कटान के पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ है। पुलिस की मानें तो काफिल उर्फ कालिया आदि का ऐसा ग्रुप है, जो आस-पड़ोस की पशु पैठ में से सस्ती कीमतों पर पशु खरीदते है,जिनमें से हष्ट-पुष्ट पशुओं को तो दूसरी बड़ी पैठों में ले जाकर ऊंची कीमतों पर बेच देते है,लेकिन जो कमजोर और बीमार पशु होते है,उनका अवैध कटान कर मांस को पशु खरीद से ज्यादा कीमतों में बेच देते है, जिसमें सबसे ज्यादा डिमांड गोवंश के मांस की होती है। पूरे धंधे को अंजाम देने के लिए ग्रुप के पास बंदी बनाये गये रामगोपाल जाटव और उनके अन्य साथी पप्पू जाटव,शोभाराम जाटव समेत ऐसे तमाम लोग है, जो पशुओं को खरीद कर दूसरी जगह बेचने या फिर उन्हें काट कर मांस बेचने की एवज में सौ-पचास रुपये प्रति पशु बतौर मजदूरी या दलाली हासिल कर लेते है।
यूं हुई घटना:-पशुओं और उनके व्यापार में जुटे नेटवर्क के लोग कुछ बछड़ों को कहीं से लाये और उन्हें नहर किनारे वहां बांध गये,जहां दलित महिला का घर है। इस महिला को पूरे कृत्य का पहले से ही आभास था,लिहाजा उसने पशु कटान के विरोध स्वरूप इन बछड़ों को खोल कर भगा दिया,जब ये लोग आये तो बिफर उठे। वाद-विवाद ने रंजिश का रूप धारण कर लिया,तभी महिला को सबक सिखाने की चेतावनी दे डाली,जिसे किसी ने कतई कोई गंभीरता से नहीं लिया। 14 जनवरी की रात जब इस दलित महिला के घर में घुसकर इन नामजदों ने दरिंदगी को अंजाम दिया तो सुनने व देखने वाले लोग दहल उठे। पीड़ित दलित महिला की हालत को अभी भी खतरे से बाहर नहीं कहा जा सकता। वह अभी भी अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कालेज में भर्ती है। तीन दिन वेंटीलेटर पर भी उसे रखना पड़ा।
पुलिस गुडवर्क:-शनिवार की देर रात पुलिस चौकी पुरदिलनगर पहुंची पुलिस अधीक्षक हैप्पी गुप्तन ने दो नामजदों की गिरफ्तारी के साथ समूची घटना के पटाक्षेप का दावा कर दिया है। सीओ विजयेन्द्र कुमार तौमर की मानें तो मुखबिर की सूचना के आधार पर कोतवाली सिकंदराराऊ के एसएसआइ आरपी सिंह ने अपने अधीनस्थों के साथ जलेसर रोड से काफिल उर्फ कालिया पुत्र एजाज अहमद निवासी मोहल्ला गड्डा पुरदिलनगर,इसी कस्बे के रामगोपाल पुत्र बुद्ध सैन जाटव को बंदी बनाया लिया पूछताछ पर इन्होंने इस घटना का न केवल जुर्म स्वीकार किया,बल्कि दलित महिला के पति ने भी दबोचे गये काफिल उर्फ कालिया की भी शिनाख्त कर ली है। दोनों को कोर्ट में पेश करने के साथ जेल भेज दिया है। ये दोनों रिपोर्ट में नामजद थे,जबकि पुलिस छानबीन के दौरान शेष चार लोगों के रूप में जिनका नाम प्रकाश में आया है,वे एजाज पुत्र इशाक,चांद मियां पुत्र शहीद निवासीगण नौरंगाबाद मोहल्ला,थाना सिकंदराराऊ और इसी मोहल्ले के फेंसी व बंटी है,जिनकी सरगर्मी के साथ तलाश की जा रही है।
फिर भी सांसत में:-इतना सब-कुछ हो जाने के बाद भी इस घटना को लेकर पुलिस अफसरों की जान सांसत में है। सामूहिक दुराचार के आरोप उनके दिन के शकून और रात की नींद को छीन बैठा है। जेएन मेडिकल कालेज में पीड़ित महिला के हुए चिकित्सकीय परीक्षण में डाक्टर ने दुराचार के होने या न होने का खुलासा करने की बजाय 'नो डेफिनेट ओपीनियन' अंकित कर गैंद पुलिस तफ्तीश के पाले में डाल दी है। दिल्ली से आयी राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की टीम भी सामूहिक दुराचार के मसले को पुलिस तफ्तीश का विषय बताने के साथ पल्ला झाड़ कर चली गयी। पकड़े गये दोनों अभियुक्त सिर्फ मारपीट स्वीकारने के साथ दुराचार और लूट के आरोपों को सिरे से खारिज कर रहे है। ऐसे में पुलिस यह नहीं समझ पा रही कि वह इस कांड में दुराचार की धाराओं को रखे या हटाये? अगर रखे तो किस आधार पर और हटाये तो किस आधार पर?
इनकी सुनो..
पीड़ित महिला अभी बयान देने की स्थिति में नहीं है,वह जेएन मेडिकल कालेज अलीगढ़ में भर्ती है। दुराचार के बारे में उसके होश में आकर बयान दिये जाने पर ही कुछ निर्णय लिया जा सकेगा।
-विजयेन्द्र सिंह तौमर
पुलिस उपाधीक्षक,सिकंदराराऊ।
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