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    यूपी के इस जिले में चार गांवों की भूमि होगी अधिग्रहित, कितना हिस्सा व मुआवजा; राजस्व टीम कर रही निर्धारण

    Updated: Sun, 17 Mar 2024 04:26 PM (IST)

    औद्योगिक क्षेत्र के विस्तारीकरण की प्रक्रिया के तहत चार गांवों में अधिग्रहित किए जाने वाली भूमि में किसका कितना हिस्सा है राजस्व विभाग की टीम इसके निर्धारण में जुटी है। राजस्व टीम से मिली जानकारी के अनुसार इस समय तहसील स्तर पर अधिग्रहित किए जाने वाले गाटो में किस किसान का कितना हिस्सा है और उसे कितना मुआवजा दिया जाना है इसका निर्धारण किया जा रहा है।

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    यूपी के इस जिले में चार गांवों की भूमि होगी अधिग्रहित

    संवाद सूत्र, संडीला। औद्योगिक क्षेत्र के विस्तारीकरण की प्रक्रिया के तहत चार गांवों में अधिग्रहित किए जाने वाली भूमि में किसका कितना हिस्सा है राजस्व विभाग की टीम इसके निर्धारण में जुटी है।

    यूपीसीडा कानपुर भूमि अध्यप्ति अनुभाग के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रेम प्रकाश मीणा द्वारा 23 जनवरी 2024 को जारी पत्र में औद्योगिक क्षेत्र के विस्तारीकरण के लिए ग्राम रैसों, बघुआमऊ, जमसारा, समौधा के किसानों की जमीन का अधिग्रहण करने का निर्देश जिलाधिकारी के माध्यम से तहसील प्रशासन को प्राप्त हुआ था, जिसमें ग्राम रैसो की 363 एकड़, समौधा की 138 एकड़, 249 एकड़ जमीन जमसारा व बघुआमऊ के किसानों की अधिग्रहीत करने का निर्देश मिला था, जिसके बाद से तहसील की राजस्व टीम युद्ध स्तर पर काम कर रही है।

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    राजस्व टीम से मिली जानकारी के अनुसार इस समय तहसील स्तर पर अधिग्रहित किए जाने वाले गाटो में किस किसान का कितना हिस्सा है और उसे कितना मुआवजा दिया जाना है इसका निर्धारण किया जा रहा है।

    किसान सर्किल रेट पर जमीन देने को तैयार नहीं

    रामसेवक, राजाराम, कृपाशंकर, रामदयाल, अखिलेश, प्रमोद कुमार, हरिशंकर आदि दर्जनों किसानों का कहना है कि इस क्षेत्र का सर्किल रेट बहुत कम है और सरकार ने 2017 से सर्किल रेट बढ़ाया भी नही है। उनका कहना है कि सर्किल रेट के चार गुना से अधिक मूल्य पर जमीन खरीदी जा रही है तो हम लोग आधे मूल्य पर अपनी जमीन क्यों देंगे। राजस्व विभाग से मिली जानकारी के हिसाब से रैसों को 24 लाख, जमसारा व समौधा 18.50 लाख, बघुआमऊ को 15.50 लाख रुपया प्रति बीघा मिलना चाहिए।

    भूमि अधिग्रहण अधिनियम का है नियम

    भूमि अधिनियम के अनुसार इसके लिए निजी क्षेत्र की परियोजनाओं और सार्वजनिक निजी भागीदारी परियोजना हेतु कम से कम से 80 से 70 प्रतिशत भू-मालिको की सहमति को अनिवार्य कर दिया गया है। मतलब जब तक 70 से 80 प्रतिशत किसान अधिग्रहण के लिए अपना सहमति पत्र नहीं देते तब तक संबंधित जमीनों का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता।