हरदोई में मौसम में बदलाव से सांस के रोगियों की बढ़ रही परेशानी, ऑक्सीजन प्लांट रहता है बंद
हरदोई में मौसम बदलने से सांस के रोगियों की हालत गंभीर है। अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ रही है, और ऑक्सीजन की कमी के कारण रोगियों की जान खतरे में है। प्रतिदिन कई मरीज भर्ती हो रहे हैं और कुछ की मौत हो रही है। चिकित्सकों का कहना है कि पुराने रोगियों की तकलीफें बढ़ गई हैं, और अस्पताल में ऑक्सीजन की व्यवस्था सुचारू रूप से न होने के कारण स्थिति और भी गंभीर हो रही है।

मौसम में बदलाव होने से अस्पतालों में भर्ती हो रहे मरीज।
जागरण संवाददाता, हरदोई। बदलते मौसम और हवा में धूल-धुआं से सांस और अस्थमा मरीजों की हालत खराब हो रही है। खासकर पुराने सांस के रोगियों का खांस-खांस कर बुरा हाल हो रहा है। बलगम में खून भी आ रहा है। अस्थमा का अटैक का खतरा बढ़ रहा है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सांस के रोगी बढ़ रहे हैं। रोजाना 15 से 20 गंभीर रोगियों को भर्ती किया जा रहा है।
वहीं, रोज या दो मरीज दम तोड़ रहे हैं। खबर में तीन सांस के रोगियों की मौतें सिर्फ जिम्मेदारों को आइना दिखाने के लिए है। अगर अस्पताल में ऑक्सीजन के बेहतर इंतजाम हो जाएं तो शायद सांस रोगियों की परेशानी करम हो जाए।मेडिकल कॉलेज अस्पताल के वक्ष एवं क्षय रोग विभागाध्यक्ष डॉ. शिवम गुप्ता ने बताया कि मौसम बदलने से पुराने सांस के रोगियों को दिक्कतें बढ़ रहीं हैं। ओपीडी में पिछले एक माह से रोजाना 200 से 250 रोगी परामर्श के लिए आ रहे हैं।
वहीं, सांस उखड़ने पर अस्थमा अटैक के 15-20 मरीज रोजाना भर्ती भी किए जा रहे हैं। इसके अलावा कई रोगी ऐसे होते हैं जिन्हें धूल-धुआं के संपर्क में आने के बाद तकलीफ हुई हो रही है। रोगियों को दवाओं की डोज बढ़ाने के साथ धूल-धुआं से बचने की सलाह दे रहे हैं।
इसके अलावा सांस रोगियों के लिए यह मौसम किसी आफत से कम नहीं हैं। शायद ऐसा कोई दिन गुजरता हो, एक या दो सांस के रोगी दम न तोड़ने हों। सांस रोगियों की मौत के पीछे की वजह चिकित्सक भले ही पुरानी मर्ज बता रहे हों, लेकिन अस्पताल की बदहाल आक्सीजन व्यवस्था भी परेशानी का कारण बन रही है। जिम्मेदार आक्सीजन को लेकर गंभीर नहीं है। इसके चलते सांस के रोगियों की जान को खतरा बना है।
ऑक्सीजन प्लांट रहता बंद
ऑक्सीजन प्लांट तो बंद रहता है। सिलेंडर और कंसंट्रेटर से राेगियों को ऑक्सीजन दी जा रही है। जानकारों का कहना है कि कंसंट्रेटर सिर्फ सांसों को सहारे देने भर के लिए हैं। जबकि सांस के रोगियों को हाई ऑक्सीजन पर रखने की जरूरत है। जरूरत के अनुसार आक्सीजन न मिलना सांस रोगियों के लिए जानलेवा हो रहा है।
शहर कोतवाली के ग्राम काशीपुर के मुन्ना सक्सेना सांस के रोगी थे। 25 अक्टूबर को स्वजन ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया। मुन्ना की दिक्कतें कम होने के बजाय बड़ गईं। दूसरे दिन मुन्ना ने दम तोड़ दिया।
शहर के मुहल्ला सुभाषनगर के विनोद कुमार सांस की बीमारी थी। तबीयत बिगड़ने पर स्वजन ने 25 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती कराया। कुछ ही देर में विनोद की मौत हो गई थी।
शहर की रहने वाली सुशीला को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। स्वजन ने उन्हें 24 अक्टूबर को भर्ती कराया। सुशीला को आराम नहीं मिला। कुछ घंटे उपचार चला और सुशीला ने दम तोड़ दिया।

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