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    जब भारत माता की जय बोलना बन गया था अपराध

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 24 Jun 2020 10:18 PM (IST)

    आपातकाल का वह समय जब भारत माता की जय बोलना ही अपराध बन गया था।

    जब भारत माता की जय बोलना बन गया था अपराध

    जासं, हरदोई : आपातकाल का वह समय जब भारत माता की जय बोलना ही अपराध बन गया था। 25 जून 1975 को घोषित किए गए आपातकाल के दिन से ही जनसंघ के लोगों की गिरफ्तारी शुरू हो गई। 4 जुलाई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। प्रतिबंध लगते ही संगठन ने कार्यकर्ताओं को बताया कि संघर्ष लंबा चलेगा। इसलिए गिरफ्तारी बचना होगा।

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    लोकतंत्र सेनानी अधिवक्ता समरादित्य कहते हैं कि अधिकांश नेताओं को भूमिगत रहते हुए कार्य करने का निर्देश दिया गया। वरिष्ठ जनसंघी सुरेंद्र विक्रम सिंह गौसगंज व रघुराज सिंह ने अलग-अलग तिथियों में पुलिस का रुख देखने के लिए कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन करने का निर्णय लिया। जैसे ही भारत माता की जय व इंदिरा गांधी मुर्दाबाद का घोष किया पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उस समय पुलिस के अलावा आइबी, स्पेशल इंटेलीजेंस व एलआइयू जनसंघ व आरएसएस के कार्यकर्ताओं को आतंकवादियों के समान मानते थे। नाम बदल कर करते थे काम

    संगठन के लोगों को निर्देश था कि अपना असली नाम छिपा कर आंदोलन के समय के लिए अलग नाम रख लें। उसी नाम के अनुसार संबोधन करें। गिरफ्तारी के समय भी वहीं नाम बताएं जिससे प्रशासन धोखा कर गिरफ्तारी न कर सकें। संगठन के लोग रात में पोस्टर सरकार के खिलाफ पोस्टर लगाते थे। सरकार के खिलाफ साहित्य लोगों में वितरित करते। नैमिष से हुए प्रांत प्रचारक गिरफ्तार

    साहित्य वितरण करते समय प्रशासन को खबर लग गई। प्रांत प्रचारक देवडे, विभाग प्रचारक शिवप्रसाद व जिला प्रचारक हृ़दय जी सहित नौ लोगों की गिरफ्तारी नैमिष से कर ली गई। हालांकि इन लोगों ने अपनी पहचान उजागर नहीं की लेकिन हुलिए के आधार पर व कुछ स्थानीय लोगों की मौजूदगी के कारण प्रशासन ने पहचान कर ली। छात्रों व युवाओं को आंदोलन से जोड़ने का निभाया दायित्व

    विद्यार्थी परिषद के जिला महामंत्री समरादित्य सिंह को जिले के युवाओं व छात्राओं को आंदोलन से जोड़ने का दायित्व दिया गया। उन्होंने भूमिगत रहते हुए भी नगर के सीएसएन, माधौगंज, पुरवावां सहित नौ कालेजों में इंदिरा गांधी का पुतला जलवा कर युवाओं ने आंदोलन से जोड़ा। कानपुर से साहित्य लाकर जिले में वितरण के लिए देने का दायित्व भी श्री सिंह ने ही निभाया। 20 दिसंबर को हरदोई रेलवेस्टेशन पर उन्हें प्रशासन से पहचान लिया और आरएसएस के विस्तारक खेमचंद्र व यादव चौहान के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। इस दौरान पर आई बी, स्पेशल इंटेलीजेंस व एलआइयू के द्वारा प्रताड़ित कर पूछताछ की गई। आंदोलन के बना लिए थे नए संगठन

    : प्रतिबंध लगने के साथ ही अलग नामों से संघर्ष समिति का गठन कर लिया गया। इसके अलावा मौके के अनुसार संगठनों का गठन कर लिया गया। इन के नामों से साहित्य वितरण व चिपकाया जाता था। एक विग को संगठन के गिरफ्तार लोगों की देखरेख व अन्य कामों के लिए गिरफ्तारी से बच कर काम करने का निर्देश दिया गया था।

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