सच साबित हुई 'डूबते को तिनके का सहारा' कहावत, नाराज होकर नदी में कूदा युवक, हाथ लगी पतावर तो बची जान
पचदेवरा के सहुआपुर नेवादा गांव के मेहंदी हसन ने पारिवारिक विवाद के कारण गर्रा नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया। तैरना न आने के कारण वे लगभग चार किलोमीटर तक बह गए। ग्रामीणों ने उन्हें एक झाड़ी पकड़े हुए पाया और उनकी जान बचाई। पुलिस ने उन्हें परिजनों को सौंप दिया।

जागरण संवाददाता, हरदोई। कहते हैं कि डूबने वाले को एक तिनके का सहारा होता, ऐसा मामला पचदेवरा क्षेत्र में सामने आया। जरा सी बात पर अपनों से नाराज होकर एक व्यक्ति जान देने का प्रयास किया। पिपरिया पुल से उफनाती गर्रा नदी में छलांग लगा दी।
नदी के तेज बहाव में चार किलोमीटर तक गोते खाए। किसी तरह हाथ-पैर मारकर एक झाड़ी का सहारा मिल गया। हाथ से पतावर को पकड़ लिया। शोर मचाने पर चरवाहों ने नदी से बाहर निकालकर जान बचाई। पाली पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पूछताछ की।
पचदेवरा के ग्राम सहुआपुर नेवादा के मेहंदी हसन खेती करता है। स्वजन के अनुसार मंगलवार शाम किसी बात को लेकर घर में कहासुनी हो गई। मेहंदी हसन नाराज होकर घर से निकल गया। गांव से करीब पांच किलोमीटर दूर पिपरिया पुल से गर्रा नदी में छलांग लगा दी।
मेहंदी हसन तैरना नहीं जानते हैं। उफनाई नदी के तेज धार में हाथ-पैर चलाते हुए चार किलोमीटर तक गोते खाए। पाली के ग्राम गनुआपुर के निकट नदी के किनारे पतावर खड़ी होने पर हाथ से पकड़ लिया। पतावर का सहारा मिलने पर जान बची। शोर मचाने पर नदी के किनारे जानवर चरा रहे ग्रामीण मौके पर पहुंचे।
ग्रामीणों में नदी में घुसकर मेहंदी हसन को बाहर निकाला। सूचना मिलने पर पाली पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने पूछताछ कर मेहंदी हसन को स्वजन के सिपुर्द कर दिया। मेहंदी हसन ने पुलिस व ग्रामीणों के समझाने पर वादा किया कि वह अब दोबारा कभी ऐसा कदम नहीं उठाएगा।
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