Jagran Chunavi Chaupal : बेटियां बोलीं- टूटते सपने, ख्वाबों को बिखरते देखा है...
डा. हरीशंकर मिश्र पीजी कालेज में दैनिक जागरण के चौपाल में बेटियां किसी एक से नहीं पूरे सिस्टम से नाराज हैं। सरकारें आई गईं नेताओं ने वादे भी किए पर उनका सपना पूरा नहीं हो सका।
हरदोई, जेएनएन। उनकी आंखों में चमक है। चेहरों पर कुछ करने का जज्बा भी दिख रहा। हौसलों पंख से वह उड़ना भी चाहती हैं, पर उड़ने के लिए उन्हें आसमान नहीं मिल रहा। पढ़ेगी बेटियां, बढ़ेगी बेटियां सुनने में अच्छा है, कहते भी सभी हैं लेकिन अफसोस की बात कि हरदोई में बालिकाओं की उच्च और तकनीकी शिक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। किसी तरह स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई तक सीमित होकर रह जाती हैं। वह भी इंजीनियर, डाॅॅक्टर बनना चाहतीं। बीबीए, एमबीए आदि कोर्स करने का उनका भी सपना है।
अंधेरे सिस्टम में उनकी आंखों की चमक खो जाती है। बेटियां सहनशील होती हैं। जिनके माता पिता बाहर नहीं भेज पाते, वह मन मारकर घर में ही रह जाती हैं। उच्च और तकनीकी शिक्षा के अभाव में अपने पैरों पर भी खड़ी नहीं हो पाती। शादी में भी दहेज का दानव मुंह फैलाए खड़ा रहता। दैनिक जागरण की चुनावी चौपाल ने तकनीकी आैर उच्च शिक्षा पर बेटियों को विचार रखने का मंच दिया तो उनका दर्द सामने आया।
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बेटियां करना तो बहुत चाहती लेकिन कर नहीं पाती। एलएलबी छात्रा मोनिका सिंह जिले बोली कि गांव-देहात की बहनें चाहकर भी नहीं पढ़ पातीं। उच्च तो दूर, माध्यमिक शिक्षा से भी दूर रहती हैं। अंतिमा यादव जिले में एक भी तकनीकी संस्थान न होने से दुखी हैं। डीएलएड कर रहीं सीमा तिवारी बोली चुनाव आते हैं तो नेता वादा कर चले जाते फिर कोई लौटकर नहीं आता। हिना नाज ने जोरदार ढंग से अपनी बात रखी। बोली न जाने कितनी सरकारें आईं और चली गईं पर जिले को तकनीकी संस्थान तक नहीं मिल सका।
सीमा तिवारी बोली, वादे केवल कहने के लिए होते हैं। मणि सिंह बोली गांव की छात्राएं चाहकर भी नहीं पढ़ पातीं। कौढ़ा की शिखा सिंह ने तो पूरे सिस्टम की पोल खोल दी। बोली उसने सपनों को टूटते और ख्वाबों को बिखरते देखा है। माता पिता दूर नहीं भेजना चाहते हैं। वह तो पढ़ रही हैं लेकिन ऐसी बहुत सी बहनें हैं जोकि शिक्षा से दूर हो गईं।
पूजा पाल, शालिनी कुशवाहा, वंदना सिंह, प्रीती गुप्ता समेत कई अन्य छात्राएं बोली कि बाहर जाने की अनुमति नहीं होती है। लोग कहते हैं कि जितने में बेटी को बाहर पढ़ाने भेजेंगे उतने में तो शादी हो जाएगी। चौपाल में ममता, वंदना सिंह, स्वाती, कृष्णा गौतम, गीता सिंह, शालिनी, अवंतिकाराव, अर्तिका, स्वाती, अनुपमा पाल,गीता सिंह, प्रियम शुक्ला, मामता, शिप्रा सिंह सभी ने विचार रखे और सभी के निशाने पर सिस्टम ही रहा। उनका कहना था कि जिले में अगर तकनीकी और उच्च शिक्षा का इंतजाम हो जाए तो वह लोग भी पढ़ लिख लें।