गांव-गांव बेचे गए 99 सिम से देशभर में की गई ठगी, वेरीफिकेशन में सामने आया चौंकाने वाला मामला
हरदोई में साइबर अपराधियों का नेटवर्क उजागर हुआ है। 3402 सिम की जांच में 99 सिम ठगी में इस्तेमाल हुए। पीड़ितों को इसकी जानकारी तक नहीं थी। सिम कंपनी के विक्रेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है। जांच में पता चला कि एजेंट फर्जी आईडी पर सिम निकालकर ठगों को बेचते थे। अभी 736 सिम की जांच बाकी है।

जागरण संवाददाता, हरदोई। साइबर अपराधियों की जड़ें हरदोई तक फैली हैं। ठगी में इस्तेमाल हो रहे मोबाइल नंबरों की जब जांच शुरू हुई, तो मामला चौंकाने वाला निकला। 3402 सिम के सत्यापन में 99 सिम ऐसे निकले, जिनसे देश के विभिन्न हिस्सों में ठगी की गई थी।
सबसे खास बात तो यह निकली, कि जिनके नाम सिम थे, उन्हें कुछ पता तक नहीं था। उन लोगों ने 22022-23 में गांव में सिम बेचने आए लोगों से खरीदे थे। इस मामले में सिम कंपनी के अधिकृत विक्रेता के विरुद्ध कोतवाली शहर में एफआइआर दर्ज कराई गई है। देखा जाए तो यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी ऐसे कुछ मामले आ चुके हैं।
देशभर में लगातार बढ़ रहे आन लाइन फ्राड, बैंक खाते खाली करने और फर्जी काल के पीछे जो मोबाइल नंबर इस्तेमाल होते हैं, उनकी जांच में हरदोई बार-बार सामने आ रहा है। वर्ष 2022–23 के दौरान जारी किए गए कई सिम कार्ड अब संदिग्ध पाए जा रहे हैं।
इन सिमों को न सिर्फ दुकानों से बेचा गया, बल्कि कुछ एजेंट गांव-गांव जाकर भी इनकी बिक्री करते रहे। इसी दौरान सामने आया कि एक संगठित नेटवर्क फर्जी तरीकों से सिम एक्टिवेट कर साइबर ठगों तक पहुंचा रहा था। फर्जीवाड़े का तरीका बेहद खतरनाक था।
एजेंट पहले किसी उपभोक्ता की एक वैध आईडी पर उसे एक सिम कार्ड उपलब्ध कराते थे, लेकिन उसी आईडी पर दो और अतिरिक्त सिम निकाल लेते थे। इन सिमों को बाद में ऊंचे दामों पर उन लोगों को बेचा जाता था जो अपनी पहचान छिपाना चाहते थे या साइबर ठगी जैसे अपराध में शामिल थे।
साइबर सेल की तरफ से हरदोई को 3402 संदिग्ध सिम की जांच के लिए भेजा गया, जिसमें से 2111 का सत्यापन पूरा किया जा चुका है। इनमें 99 सिम ऐसे पाए गए जो हरदोई से फर्जी तरीके से जारी किए गए थे। अभी भी 736 सिम की जांच जारी है, जिससे संख्या और बढ़ने की संभावना है।
इस मामले में हरदोई के सिविल लाइन निवासी एजेंट आशुतोष गुप्ता के खिलाफ कोतवाली शहर में एफआईआर दर्ज कराई गई है। चौकी प्रभारी रेलवेगंज विश्वास शर्मा की तरफ से दर्ज कराई गई एफआइआर की साइबर सेल द्वारा जांच की जाएगी। सीओ सिटी अंकित मिश्र ने बताया कि जांच में कई और मामले सामने आ सकते हैं।
देखा जाए तो जिले में पहले भी कई बार अवैध तरीके से सिम कार्ड बेचने, फर्जी दस्तावेज इस्तेमाल करने और एक ही आईडी पर कई सिम एक्टिवेट करने के मामले पकड़े जा चुके हैं। इससे साफ है कि जिले में सिम बिक्री के नाम पर चल रही अनियमितताएं साइबर अपराधियों के लिए खुला रास्ता बनी हुई थीं।

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