UP Chakbandi: यूपी के इस जिले में सात गांवों में चकबंदी की प्रक्रिया हुई पूरी, ऑनलाइन होगा डाटा
UP Chakbandi News चकबंदी आयुक्त ने चकबंदी प्रक्रिया पूर्ण करने वाले सभी सात गावों का चकबंदी अधिनियिम की धारा 52 (1) के तहत प्रकाशन कराए जाने का आदेश दिया है। प्रकाशन के बाद सभी गांवों के अभिलेख राजस्व विभाग को वापस भेज दिए जाएंगे इसके बाद सारा डेटा ऑनलाइन हो जाएगा। एक सैकड़ा से अधिक गांवों में चकबंदी प्रक्रिया चल रही है।

जागरण संवाददाता, हरदोई। लंबे समय से चकबंदी प्रक्रिया में चल रहे सात गावों में चकबंदी प्रक्रिया पूरी हो गई है। चकबंदी आयुक्त ने चकबंदी प्रक्रिया पूर्ण करने वाले सभी सात गावों का चकबंदी अधिनियिम की धारा 52 (1) के तहत प्रकाशन कराए जाने का आदेश दिया है। प्रकाशन के बाद सभी गांवों के अभिलेख राजस्व विभाग को वापस भेज दिए जाएंगे, इसके बाद सारा डेटा ऑनलाइन हो जाएगा।
एक सैकड़ा से अधिक गांवों में चकबंदी प्रक्रिया चल रही है। चकबंदी प्रक्रिया की सभी कार्रवाई पूरी होने में लगभग पांच से दस साल तक का समय लग जाता है। इस दौरान संबंधित गांवों के सारे अभिलेख चकबंदी विभाग के पास रहते हैं।
इस अवधि में मालियत निर्धारण, चक, कब्जा परिवर्तन समेत सारी कार्रवाई पूरी करने व सामान्य विवादों के निस्तारण के बाद चकबंदी विभाग धारा 52 (1) के तहत विज्ञप्ति का प्रकाशन कराते हुए संबंधित गांवों के अभिलेख राजस्व विभाग को वापस भेज देता है। दिवाली से पहले ही चकबंदी आयुक्त ने चकबंदी प्रक्रिया पूरी कर चुके सात गांव का प्रकाशन कराए जाने का आदेश दिया है।
एसओसी डा. सुरेश सागर ने बताया कि इन गांवों में जल्द ही उप्र जोत चकबंदी अधिनियम की धारा 52 के तहत विज्ञप्ति प्रकाशन करा, संंबंधित गांवों के अभिलेख राजस्व विभाग को भेज दिए जाएंगे।
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इन गांवों में पूरी हुई चकबंदी प्रक्रिया
चकबंदी आयुक्त की ओर से यहां तहसील बिलग्राम के ग्राम गढ़ी रसूलपुर, शाहाबाद के ग्राम भरौना, शाहाबाद के ग्राम डेल पंडरवा, शाहाबाद के ग्राम बहादुर नगर, सवायजपुर के ग्राम खसौरा, बिलग्राम हैबतपुर व खंदेरिया खंजहानपुर में चकबंदी प्रक्रिया पूरी हो जाने पर उप्र जोत चकबंदी अधिनियम की धारा 52 (1) के तहत प्रकाशन कराने के लिए विज्ञप्ति निर्गत की जा चुकी है। इनमें से खसौरा गांव में वर्ष 2008 से जबकि अन्य गांवों में वर्ष 2015-16 में चकबंदी प्रक्रिया चल रही थी।
ऑनलाइन होगा डाटा, मिलेगी सहूलियत
जिन गांवों में चकबंदी शुरू हो जाती है, राजस्व विभाग की ओर से उन गांवों के सारे अभिलेख चकबंदी विभाग को सौंप दिए जाते हैं। ऐसे में इंतखाब, खसरा आदि सब ऑफलाइन बनते हैं, जिसके लिए ग्रामीणों को काफी दौड़ लगानी होती है। इससे अलग अभिलेख राजस्व विभाग में आते ही सारा डाटा ऑनलाइन हो जाएगा, इसके बाद ग्रामीण कहीं से भी इंतखाब आदि ले सकेंगे, साथ ही विवाद की स्थिति में निस्तारण के अधिकार भी राजस्व विभाग के पास रहते हैं।
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