8 साल में बना शहर का पहला नृसिंह मंदिर
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आस्था : 14 मई से शुरू होगा प्राण प्रतिष्ठा समारोह
-भगवान विष्णु ने हरदोई की धरती पर दो बार रखा कदम
हरदोई, प्रतिनिधि: अगले माह भगवान नृसिंह की प्रतिमा शहर के नव निर्मित प्रहलाद घाट स्थित मंदिर में स्थापित होगी। भगवान नृसिंह का हरदोई से गहरा नाता रहा है। मान्यता है कि भगवान नृसिंह ने भक्त प्रहलाद को आतंकित करने वाले उसके पिता हिरण्याकश्यप का वध हरदोई की धरती पर ही गया था। नृसिंह भगवान का कोई मंदिर शहर में पहले से स्थापित नहीं है। प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा समारोह 14 मई से शुरू होगा।
शहर के बुजुर्ग सांडी रोड स्थित ऊंचा थोक मोहल्ले को राजा हिरण्याकश्यप के महल का डीह बताते हैं। डीह का कुछ हिस्सा अब भी मौजूद है। अब यहां डीह के ऊपर चारों ओर आबादी बस गयी है। डीह के निकट ही कुछ कदम की दूरी पर प्रहलाद घाट नाम का अति प्राचीन मंदिर है। मंदिर से सटा एक विशाल प्राकृतिक सरोवर है। इस सरोवर को प्रहलाद घाट नाम दिया गया है।
वर्ष 2003 में शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था, तब से लगातार निर्माण किया जा रहा है। नृसिंह भगवान मंदिर समिति प्रहलाद घाट के संरक्षक पूर्व विधायक लालन शर्मा कहते हैं कि हरदोई में भगवान ने दो बार अवतार लिया। पहली बार प्रहलाद को पिता के आतंक से छुटकारा दिलाने के लिए नृसिंह भगवान बनकर आये। दूसरी बार प्रहलाद के पौत्र राजा बलि के एकछत्र राज्य को चुनौती देने के लिए भगवान विष्णु ने वामन भगवान का रूप धारण किया और राजा बलि के अहंकार को तोड़ दिया है।
हरदोई गजेटियर और किंवदतियों की हवाले से श्री शर्मा कहते हैं कि हरदोई से 10 किलोमीटर दूर बावन नाम का कस्बा राजा बलि की राजधानी थी। इतना ही नहीं शहर में भी बावन चुंगी नाम का एक स्थान है। समिति के महामंत्री इंद्रेश्वर नाथ गुप्त बताते हैं कि 14 से 16 मई तक नृसिंह भगवान की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा, इसके बाद गर्भ गृह में मूर्ति स्थापित की जायेगी। इसके साथ ही शहर का पहला नृसिंह मंदिर निर्माण का काम पूरा हो जायेगा। यह निर्णय रविवार मंदिर समिति की बैठक में लिया गया।
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