माता फूलमती देवी मंदिर
मल्लावां संवाद सूत्र : माता फूलमती मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां आने वाले हर भक्त की मनौत ...और पढ़ें

मल्लावां संवाद सूत्र : माता फूलमती मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां आने वाले हर भक्त की मनौती अवश्य पूरी होती है। इसलिए लोग शादी विवाह के पूर्व मां को विधिवत आमंत्रण देते हैं। वहां विवाह के बाद वैवाहिक जीवन शुरु करने के पूर्व मां का आर्शीवाद अवश्य लेते हैं। यहां नियमित हवन के अलावा पूरे नवरात्र भर दुर्गा पूजा महोत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
ऐसे पहुंचें मंदिर
माता फूलमती मंदिर मोहल्ला बाजीगंज में स्थापित है। मंदिर पहुंचने के लिए मल्लावां रेलवे स्टेशन व बस अड्डा पर उतरना पड़ता है। यहां से रिक्सा या पैदल भी जाया जा सकता है। बस अड्डे से मंदिर की दूरी एक किलोमीटर है। रेलवे स्टेशन से दो किलोमीटर की दूरी है।
इतिहास : मल्लावां के बाजीगंज स्थित इस मंदिर की स्थापना करीब 500 वर्ष पुराना है। कन्नौज के राजा जयचंद की कुलदेवी माता फूलमती थीं। राजकुमारी संयोगिता माता की नियमित पूजा करती थी। उसी से प्रेरित होकर यहां के लोगों ने कन्नौज मे स्थापित मूर्ति का अंश लाकर देवी मूर्ति की स्थापना बाजीगंज में की। तभी से बाजीगंज ,गोबर्धनपुर, भगवंत नगर के लोगों की यह कुलदेवी हैं। वैवाहिक कार्यक्रम करने से पूर्व देवी माता को निमंत्रण पत्र देकर आर्शीवाद लिया जाता है। इसके बिना कोई वैवाहिक कार्यक्रम नहीं होता है। वही चिकन पाक्स निकलने पर मां की मनौती मानी जाती है।
विशेषता : मंदिर में मां की मूर्ति स्थापित है। इसके अलावा मंदिर परिसर में अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाओं की भी स्थापना है। नवरात्र के मौके पर प्रति वर्ष मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित कर भव्य आयोजन किया जाता है। यह कार्यक्रम नवरात्र भर चलता है। जिसमें भक्त बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं। इसके बाद स्थापित मूर्ति को गंगा नदी में विसर्जित कर दिया जाता है।
वास्तुकला : नवरात्र में यहां प्रतिदिन सुबह से पूजन,आरती व यज्ञ का आयोजन किया जाता है। यहां पर स्थापित देवी माता की मूर्ति काले कंकड़ के पत्थर की है। यह मूर्ति प्राचीन है। पहले मंदिर लखौरी ईंट का बना था। पर धीरे-धीरे मंदिर कमेटी ने उसकी जगह पर भव्यता प्रदान कर दी है।
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मंदिर के पुजारी सर्वेश कुमार तिवारी बताते हैं कि वैसे तो मंदिर में सदैव ही भक्तों का तांता लगा रहा है लेकिन नवरात्र में विशेष आयोजनों में भीड़ अधिक होती है। विवाह या अन्य मांगलिक कार्यक्रमों में सबसे पहले देवी माता को ही न्योता दिया जाता है। शादी के पूर्व वर-वधू देवी माता के दर्शन करते आते हैं। मां का आर्शीवाद लेने के बाद भी अपना वैवाहिक जीवन शुरु करते हैं।
मंदिर की देखभाल करने वाले राम बिलास सैनी कहते हैं कि माता की कृपा उनके परिवार पर है। तभी वह रोज ही मंदिर की साफ-सफाई के साथ ही पूजन व आरती के लिए फूल व अन्य सामग्री लाते हैं। नवरात्र पर यहां प्रत्येक दिन हवन किया जाता है। नवमी को पूर्णाहुति के बाद कन्या भोज व भंडारे का आयोजन किया जाता है। यह सब मंदिर कमेटी की ओर से किया जाता है। उन्होंने बताया कि यह बहुत ही सिद्ध स्थान है।

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