वरासत के लिए अब आश्रित को देना होगा आदेवन
हरदोई, जागरण संवाददाता : प्रदेश में नई राजस्व संहिता के प्रभावी किए जाने के बाद से अब किसानों को वर
हरदोई, जागरण संवाददाता : प्रदेश में नई राजस्व संहिता के प्रभावी किए जाने के बाद से अब किसानों को वरासत के लिए तहसील और लेखपालों के भी चक्कर लगाने पड़ सकते हैं। नई व्यवस्था में किसान की मृत्यु पर आश्रित को वरासत के लिए प्रमाण पत्र के साथ क्षेत्रीय लेखपाल को आवेदन देना होगा। अभी तक अविवादित मामलों में लेखपाल किसान की मृत्यु पर आश्रित का सत्यापन कर वरासत दर्ज कर देते थे। प्रदेश में राजस्व विभाग में चल रही व्यवस्था में बदलाव करते हुए 11 फरवरी से राजस्व संहिता को लागू किया गया है। राजस्व संहिता के प्रभावी किए जाने से राजस्व के कई व्यवस्था में बदलाव हो गया है। अभी तक किसान की मृत्यु की जानकारी पर क्षेत्रीय लेखपाल इसे स्वत: सज्ञान लेकर आश्रित के संबंध में सत्यापन कर वरासत दर्ज कर दिया करते थे। राजस्व संहिता के प्रभावी होने से अब लेखपाल ऐसे मामलों को स्वत: सज्ञान नहीं लेंगे। राजस्व संहिता के नियम 33 (1) में दी गई व्यवस्था में अब किसान की मृत्यु पर आश्रित को प्रमाण पत्र के साथ लेखपाल को आवेदन देना होगा। आवेदन पर क्षेत्रीय लेखपाल की ओर से जांच पड़ताल की जाएगी। जांच पड़ताल में मामला सही पाए जाने पर ही वरासत दर्ज की जाएगी। ऐसे में आश्रित को वरासत के लिए तहसील और लेखपाल के चक्कर लगाने पड़ेंगे। साथ ही अभी तक समय से दर्ज हो जाने वाली वरासत भी दर्ज नहीं हो पाया करेंगी। वरासत दर्ज किए जाने की शासन स्तर पर होने वाली समीक्षा से राजस्व विभाग से जुड़े अधिकारियों में ¨चता है। सदर के एसडीएम पप्पू गुप्ता का कहना है कि किसानों में जागरूकता के लिए तहसील में शिविर लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि वरासत के लिए आश्रित लेखपाल, काननूगो, नायब तहसीलदार और उन्हें भी आवेदन दे सकते हैं। उनका कहना है कि नई व्यवस्था से लेखपालों की मनमानी पर अंकुश भी लगेगा।
जीवित के बदले नहीं कर पाएंगे वरासत : तहसीलदार सदर राजेश चौरसिया का कहना है कि राजस्व संहिता के प्रभावी होने से अब लेखपालों की मनमानी पर रोक लगेगी। अभी तक ऐसे भी मामले सामने आते थे जिनमें किसान के जीवित होने के बावजूद भूमि की वरासत किसी दूसरे के नाम दर्ज हो जाती रही थी। ऐसे में भूमि धरी किसान को मुकदमा तक लड़ना पड़ता था। राजस्व संहिता के प्रभावी होने से आश्रित यानी कि आवेदनकर्ता के साथ ही वरासत दर्ज करने वाले लेखपाल की जिम्मेदारी भी निहित रहेगी।
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