आर्यसमाज से विवाह व श्राद्ध कर्म कराने का बढ़ा प्रचलन
हरदोई, जागरण संवाददाता : हाल के वर्षों में तक उपनयन, विवाह व श्राद्ध कर्म आदि अनुष्ठानों को पारंपरि
हरदोई, जागरण संवाददाता : हाल के वर्षों में तक उपनयन, विवाह व श्राद्ध कर्म आदि अनुष्ठानों को पारंपरिक तरीके से ही कराया जाता था। लेकिन अब इन संस्कारों को कराने के लिए लोग आर्यसमाज की शरण लेने लगे है। इसके लिए आर्य समाज द्वारा अपनाई जाती वैदिक रीति व विवाह में प्रमाण पत्र मिलने का कारण प्रमुख है। विदित आर्य समाज संस्था तमाम आडम्बर से दूर रहकर कार्य करती है। वैदिक मान्यता विधि के अनुसार बिना तामझाम के विवाह संस्कार मात्र तीन घंटे में संपन्न हो जाता है। इसलिए शिक्षित समाज के लोग आर्यसमाज की ओर आकर्षित हो रहे हैँ।
आर्यसमाज से 90 फीसद प्रतिशत शांति पाठ होते
अंतिम संस्कार के बाद परंपरागत रीति से एकादशा व तेरहवीं संस्कार में लोगों को 13 दिन तक समय देना होता है। इसी के साथ इसमें खर्चा भी काफी हो जाता है। आर्यसमाज के द्वारा शांति पाठ अधिकतम तीसरे दिन करा दिया जाता है। आर्य समाज के पूर्व प्रधान रामदेव अग्निहोत्री बताते हैं कि मान्यता है कि शोक से जितनी दूर हो जाएं उतना ही अच्छा होता है। इसलिए तीसरे दिन शांति पाठ करा दिया जाता है। आर्य समाज के आचार्य नहीं लेते दक्षिणा आर्य समाज के पूर्व प्रधान बताते हैं कि आर्य समाज के समाज सेवा को आंदोलन के रूप में लेता है। इसके आचार्य संस्कार या प्रवचन आदि का कोई शुल्क नहीं लेते है। श्रद्धा से जो भी यदि दे दिया जाता है तो उसे स्वीकार कर लेते हैं।
प्रमाण पत्र मिलने की सुविधा से बढ़े विवाह संस्कार
विदेश जाने के लिए या सेना में नौकरी करने के बाद विवाह के प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। परंपरागत तरीके से विवाह होने पर प्रमाण पत्र नहीं मिल पाता है। इसलिए प्रमाण लेने के लिए लोग परंपरागत विवाह करने के बाद भी आर्य समाज से विवाह कर प्रमाण पत्र प्राप्त करते हैं। उसके बाद विवाह का पंजीयन कराते हैं। प्रेम विवाह तो अधिकांश आर्य समाज के द्वारा किए जाते हैं। क्यों कि इसके बाद न्यायालय जाने के लिए सशक्त संस्था का प्रमाण पत्र मिल जाता है।
जिले में 67 चल रहीं आर्य समाज की संस्थाएं
आर्य समाज के पूर्व प्रधान रामदेव अग्निहोत्री के अनुसार जिले में आर्य समाज की 67 संस्थाएं चल रही हैं। वैसे तो सभी स्वतंत्र है लेकिन इनका प्रतिनिधित्व जिला आर्य प्रतिनिधि सभा करती है। आर्यसमाज श्रद्धानगर के प्रधान सत्यवीर प्रकाश आर्य व आर्य समाज यासीनपुर के मंत्री उमेश वर्मा ने बताया के आर्य समाज के द्वारा जन्म दिन, अन्नप्रासन, उपनयन संस्कार भी होते हैं। इसके अलावा मासिक, साप्ताहिक व दैनिक सत्संग का कार्यक्रम होता है। इसके अलावा हवन के द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता है।
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