हापुड़ में उत्कल ट्यूबर कंपनी ने तोड़ा अनुबंध, 184 किसानों का करोड़ों का भुगतान अटका
हापुड़ में उत्कल ट्यूबर कंपनी ने 184 किसानों के साथ अनुबंध तोड़ दिया है, जिससे उनका करोड़ों रुपये का भुगतान अटक गया है। कंपनी पर अनुबंध का उल्लंघन करने का आरोप है, जिससे किसानों में भारी आक्रोश है। किसान प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं ताकि उन्हें उनका बकाया भुगतान मिल सके।

(सांकेतिक तस्वीर)
जागरण संवाददाता, हापुड़। उत्तर प्रदेश के प्रमुख आलू उत्पादक जिले हापुड़ में निजी कंपनी के साथ अनुबंध खेती का सपना आर्थिक संकट में बदल गया है। बंगलुरू स्थित उत्कल ट्यूबर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने करीब 184 आलू किसानों से फसल खरीदने के बाद पिछले छह महीने से अधिक समय से उनका भुगतान अटकाए रखा है। किसानों की सैकड़ों शिकायतों के बाद जिला डीएम के सख्त निर्देश पर बाबूगढ़ थाने में कंपनी और उसके चार अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया गया है।
बीज से फसल तक का वादा, भुगतान पर सन्नाटा
उत्कल ट्यूबर प्राइवेट लिमिटेड, जो 2016 में स्थापित एक एग्री-टेक स्टार्टअप है। आलू बीज की आपूर्ति और अनुबंध खेती पर फोकस करती है। कंपनी उच्च गुणवत्ता वाले रोग-प्रतिरोधी आलू बीज विकसित करने के लिए टिश्यू कल्चर और एरोपोनिक्स तकनीक का उपयोग करती है। 2019 में आईपीएम पोटैटो ग्रुप से फंडिंग प्राप्त करने के बाद यह गुजरात, असम, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक जैसे राज्यों में फैली है। कंपनी ने हापुड़ जैसे आलू बेल्ट क्षेत्रों में कंपनी ने किसानों को आकर्षित करने के लिए आकर्षक आफर दिए। जिनमें मुफ्त या सब्सिडाइज्ड बीज, निश्चित खरीद मूल्य और तत्काल भुगतान का वादा शामिल था।
मई 2025 में शुरू हुए इस अनुबंध के तहत कंपनी ने हापुड़ के कनिया कल्याणपुर, बाबूगढ़ और आसपास के गांवों के सैकड़ों किसानों को बीज उपलब्ध कराए। किसानों ने कंपनी के अधिकारियों संजय महंत, परवीर, अमित तोमर और तरूण के साथ लिखित समझौते किए।
फसल कटाई के बाद (जून-जुलाई 2025) आलू की उपज कंपनी को सौंप दी गई, लेकिन भुगतान की प्रतीक्षा लंबी होती गई। अनुमानित बकाया राशि करोड़ों में है – एक औसत किसान के लिए 2-5 लाख रुपये तक। जिला उद्यान अधिकारी डाक्टर हरित कुमार के अनुसार किसानों ने बीज के बदले फसल दी, लेकिन कंपनी ने हर बार जल्द भुगतान का बहाना बनाया। अब आर्थिक संकट इतना गहरा है कि कई किसान कर्ज चुकाने में असमर्थ हैं।
आंदोलन की धमकी, प्रशासन ने सुनी पुकार
किसानों की परेशानी तब चरम पर पहुंची जब सितंबर 2025 में भाकियू (भारतीय किसान यूनियन) के नेतृत्व में महापंचायत हुई। किसानों ने डीएम को ज्ञापन सौंपा, जिसमें कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। गांव कनिया कल्याणपुर के किसान संदेश गिल ने धोखाधड़ी का आरोप लगाया था।
जिला उद्यान विभाग ने बाबूगढ़ थाने में कंपनी और उसके चार अधिकारियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है जांच में अनुबंध दस्तावेज, बीज वितरण रिकार्ड और फसल खरीद बिलों की पड़ताल होगी।
डीएम अभिषेक पांडेय
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