होली पर रहें सावधान! बाजार से न खरीदें ऐसे मिष्ठान; पकड़े गए माल को देख पुलिस भी हैरान
ठंडे रसगुल्ले और नकली पनीर सेहत के लिए खतरा बन रहे हैं। मुरादाबाद अमरोहा और बुलंदशहर के आसपास के गांवों में ये मिलावटी खाद्य पदार्थ धड़ल्ले से बिक रहे हैं। खाद्य सुरक्षा विभाग ने कई बार छापेमारी की है लेकिन ये लोग पकड़े जाने के बाद भी अपना काम जारी रखते हैं। बाजार में यही रसगुल्ले 250 रुपये व पनीर करीब 300 रुपये किलो बिक रहे हैं।

जागरण संवाददाता, गढ़मुक्तेश्वर। तहसील क्षेत्र के गांव रजैती, मुरादपुर, सैंया आदि गांवों में ठंडे रसगुल्ले (स्तवरी) बिक रहे हैं, तो टोडलपुर सहित कई अन्य गांवों में पनीर व दूध का अवैध कारोबार फल-फूल रहा है।
यहां बनने वाले रसगुल्ले 80 से 100 रुपये किलो व पनीर 120 रुपये किलो के सस्ते दामों पर मिल रहे हैं, जबकि बाजार में यही रसगुल्ले 250 रुपये व पनीर करीब 300 रुपये किलो बिक रहे हैं।
पुलिस ने उठाया सख्त कदम
नकली खाद्य पदार्थों पर रोक लगाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में मुरादाबाद, अमरोहा की ओर से आने वाले वाहनों की जांच के लिए ब्रजघाट में चेकिंग प्वाइंट बनाया गया है। यहां दो खाद्य सुरक्षा अधिकारी शिफ्टों में पुलिस सुरक्षा के साथ खाद्य पदार्थों के सैंपल ले रहे हैं।
नकली पनीर का कारोबार फल-फूल रहा
इसी तरह जिले की बाहरी सीमा पर भी चेकिंग प्वाइंट बनाए गए हैं। तहसील क्षेत्र के रजैती, मुरादपुर, सैना आदि गांवों में कई स्थानों पर प्रतिदिन सैकड़ों कुंतल ठंडे रसगुल्ले (स्तवड़ी) बनाए जा रहे हैं। इसी तरह टोडलपुर समेत कई गांवों में नकली पनीर का कारोबार फल-फूल रहा है।
आलू या अरारोट से तैयार पनीर
जिले के प्रवेश व निकास द्वारों पर चेकिंग प्वाइंट बनाए जाने के बाद इस तरह का काम करने वाले लोग जिले के अंदर के साथ ही आसपास के जिलों बुलंदशहर, अलीगढ़, मेरठ में भी इसकी सप्लाई करने लगे हैं। यहां बनने वाले रसगुल्ले थोक में 80 से 100 रुपये प्रति किलो तक बिक रहे हैं। जबकि बाजार में इनकी कीमत 250 रुपये से अधिक है।
इसी तरह आलू या अरारोट से तैयार पनीर भी 120 रुपये प्रति किलो बिक रहा है, जबकि बाजार में यही पनीर करीब 300 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
सैंपल हो चुके हैं फेल
पिछले छह महीने में खाद्य सुरक्षा विभाग ने रसगुल्ले के आठ और पनीर के चार बार सैंपल लिए हैं। इनमें से कई सैंपल फेल हो चुके हैं। इसके चलते विभाग की ओर से इन लोगों के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई है। लेकिन ये लोग कुछ दिन बाद ही अपना काम शुरू कर देते हैं। ऐसी मिठाइयों या पनीर के सेवन से लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है।
छह माह की अवधि में रसगुल्ला व पनीर के 12 नमूने लिए गए हैं। इनमें से कई नमूने फेल हो गए हैं। इसलिए उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की गई है।
- सोवेंद्र सिंह, खाद्य सुरक्षा अधिकारी
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