फर्जी डिग्री रैकेट का सरगना... जमानत के लिए बैठा रहा जुगत, जानिए क्या है मामला
हापुड़ में फर्जी मार्कशीट और डिग्री रैकेट के सरगना विजेंद्र हुड्डा जमानत के लिए प्रयास कर रहा है। उसने जिला न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के वकीलों का पैनल बनाया है। एसटीएफ ने मोनाड विश्वविद्यालय में छापा मारकर इस रैकेट का पर्दाफाश किया था जिसमें विजेंद्र समेत 11 लोग गिरफ्तार हुए थे।

केशव त्यागी, जागरण, हापुड़। हापुड़ में फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने के रैकेट के सरगना विजेंद्र हुड्डा को एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद अब वह जमानत के लिए जोर-शोर से प्रयास कर रहा है।
सूत्रों के अनुसार, विजेंद्र ने अपनी कानूनी लड़ाई के लिए जिला न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के नामी अधिवक्ताओं का एक मजबूत पैनल तैयार किया है। जानकारी मिली है कि अगले एक सप्ताह के भीतर जिला न्यायालय में उसकी जमानत याचिका दाखिल की जा सकती है।
एसटीएफ ने मोनाड विश्वविद्यालय में एक बड़ी छापामार कार्रवाई कर फर्जी मार्कशीट और डिग्री बनाने का रैकेट का पर्दाफाश किया था। मामले में विजेंद्र सिंह हुड्डा सहित 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया। यह रैकेट लंबे समय से सक्रिय था।
इसके जरिए सैकड़ों लोगों को फर्जी शैक्षणिक दस्तावेज उपलब्ध कराए गए थे। जिनका इस्तेमाल नौकरियों और उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए किया जा रहा था। एसटीएफ की जांच में सामने आया कि विजेंद्र इस रैकेट का मास्टरमाइंड था। जिसने न केवल फर्जी दस्तावेज तैयार किए, बल्कि इसे एक संगठित नेटवर्क के रूप में संचालित किया।
जांच में यह भी पता चला कि इस रैकेट का जाल कई राज्यों तक फैला हुआ था। इसमें कई बिचौलियों की भूमिका थी। विजेंद्र की गिरफ्तारी के बाद से ही उसके स्वजन व सहयोगियों ने उसकी जमानत के लिए रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है।
सूत्रों के मुताबिक, उसकी जमानत के लिए जिला न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय तक के अनुभवी अधिवक्ताओं को अपने पक्ष में खड़ा किया जाएगा। एक वरिष्ठ अधिवक्ता, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि विजेंद्र की जमानत याचिका में यह दलील दी जा सकती है कि उसके खिलाफ सबूत पर्याप्त नहीं हैं। उसे इस मामले में फंसाया गया है। हालांकि, एसटीएफ का दावा है कि उनके पास विजेंद्र व अन्य आरोपितों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। जिनमें डिजिटल और भौतिक साक्ष्य शामिल हैं।
जमानत के की हुई है पूरी तैयारी
जिला न्यायालय में याचिका दाखिल होने के बाद अगर जमानत खारिज होती है, तो विजेंद्र का अधिवक्ताओं का पैनल उच्च न्यायालय और फिर सुप्रीम कोर्ट तक जाने की तैयारी में है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कानूनी जानकारों का मानना है कि जमानत की प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है।
बोले जिम्मेदार
इस रैकेट के तार कई अन्य राज्यों से जुड़े हो सकते हैं, और जल्द ही कुछ और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। इस तरह के फर्जीवाड़े को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सभी आरोपितों को सजा दिलाने के लिए पुलिस प्रतिबद्ध हैं। - ज्ञानंजय सिंह, एसपी

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