Shri Ramcharitmanas Latest News: कांच की प्लेट पर सूइयों से लिख डाला श्रीरामचरितमानस
Shri Ramcharitmanas Latest News अजय ने सूइयों से कांच की प्लेट पर सूक्ष्मतम हस्त-उत्कीर्णित एक-पृष्ठीय रामचरितमानस अंकित की है जिसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉ ...और पढ़ें

हापुड़ [विशाल गोयल]। Shri Ramcharitmanas Latest News: नगर के मोहल्ला शिवपुरी निवासी एवं शांति स्वरूप कृषि इंटर कॉलेज में भौतिक विज्ञान (फिजिक्स) के प्रवक्ता अजय मित्तल ने श्रीरामचरितमानस को कांच की छोटी प्लेट पर अंकित करके एक और कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। उनकी इस उपलब्धि को इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। अजय मित्तल की पत्नी रश्मि मित्तल भी बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापिका हैं और इस लेखन कार्य में उन्होंने भी अजय की भरपूर मदद की है। बहुमुखी प्रतिभा-संपन्न शिक्षक दंपती ने पहले भी विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल की हैं।
इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल हुई उपलब्धि
अजय ने बताया कि उन्होंने सूइयों से कांच की प्लेट पर सूक्ष्मतम हस्त-उत्कीर्णित एक-पृष्ठीय श्रीरामचरितमानस अंकित की है जिसे इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया है। इसका विमोचन 28 अगस्त की सुबह श्री शांति स्वरूप कृषि इंटर कॉलेज में विधायक, नगर पालिका परिषद के चेयरमैन, को-ऑपरेटिव सोसायटी के चेयरमैन, सीएमओ व अन्य अतिथियों की उपस्थिति में होगा।
कागज की बचत की आदत ने रिकॉर्ड बनाने में की मदद
अजय बताते हैं कि कम कागज पर अधिक शब्द लिखना उनकी बचपन से आदत रही है। वह परीक्षाओं में भी उत्तर पुस्तिकाओं पर छोटे शब्दों में और सीधी लाइन में लिखा करते थे। उनकी इसी आदत ने रिकॉर्ड बनाने में मदद की। अजय बताते हैं कि वह पिछले पांच साल से कांच की प्लेट पर श्रीरामचरितमानस लिख रहे थे। लॉकडाउन में अधिक वक्त मिला। 27 मार्च से लिखना शुरू किया और 17 अप्रैल तक कार्य को पूरा कर लिया। इस दौरान श्री रामचरित मानस की 12,585 लाइनें लिखीं, जिसे लिखने में करीब 500 घंटे लगे।
वहीं, लखनऊ की रहने वाली गृहणी अनुराधा बंसल ने तो राम नाम से गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखित श्रीराम चरित मानस को लिख डाला। बिजनेसमैन पति के साथ दो बच्चों को संभालने वाली अनुराधा ने 37 लाख बार राम-राम लिखकर संपूर्ण रामायण का लेखन किया है। बहरहाल अनुराधा बंसल 5 अगस्त को श्रीराम मंदिर के शिलान्यास से काफी खुश हैं। अनुराधा बंसल ने वर्ष 2010 में श्रीराम नवमी के दिन मैने गोस्वामी तुलसी दास हर चौपाई को पेपर पर राम राम के माध्यम से लिखना शुरू कर दिया था। दशहरे के दिन 12 अक्टूबर 2012 को लेखन का कार्य पूरा हो गया, लेकिन इसे प्रिंट कराने के लिए मैं श्रीराम मंदिर निर्माण का इंतजार कर रही थी। हाथों से लिखकर पीडीएफ तैयार कर लिया है। पूरी रामायण लिखने में मुझे 37 लाख बार राम नाम की पुनरावृत्ति करनी पड़ी। मेरे पति के बड़े भाई पुरुषोत्तम जी मेरा हौसला बढ़ाते थे। ऐसे में लोगों की सराहना और हिम्मत से यह कार्य पूर्ण हो गया।

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