'मैं हूं असली पत्नी...', पति की मौत के बाद सामने आईं दो बीवियां; नौकरी के लिए उलझा मामला
हापुड़ में एक कर्मचारी की मौत के बाद नौकरी पाने के लिए दो महिलाओं ने खुद को पत्नी बताकर दावा किया है। दोनों ने अलग-अलग जगहों के मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल किए हैं जिससे मामला उलझ गया है। असली पत्नी चमोली की रहने वाली है जबकि दूसरी हापुड़ की। प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है और नियुक्ति रोक दी गई है।

जागरण संवाददाता, हापुड़। यह कहानी पूरी तरह से फिल्मी है, जितना जानने की कोशिश की जा रही है, रहस्य उतना ही गहराता जा रहा है। मामला एक कर्मचारी की मौत के बाद मृतक आश्रित के तौर पर सरकारी नौकरी पाने के लालच से जुड़ा है।
स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मचारी की मौत के बाद एक दिलचस्प मामला सामने आया है। मृतक आश्रित के तौर पर नौकरी पाने के लिए दो महिलाएं कर्मचारी की पत्नी बनकर सामने आई हैं। इनमें से एक चमोली की रहने वाली है, जबकि दूसरी हापुड़ की रहने वाली है।
इस घटना से जहां हर कोई हैरान है, वहीं दोनों महिलाओं ने कर्मचारी का मृत्यु प्रमाण पत्र दाखिल किया है। एक महिला ने कर्मचारी का अंतिम संस्कार चमोली में दिखाया है, जबकि दूसरी ने चमोली से 300 किलोमीटर दूर हापुड़ में एक ही दिन और लगभग एक ही समय पर अंतिम संस्कार होना दिखाया है।
फिलहाल, विभाग ने कर्मचारी की असली पत्नी का पता चलने तक नियुक्ति रोक दी है। जिला प्रशासन ने मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने की जांच शुरू कर दी है। पूरे मामले में हापुड़ नगर पालिका के कर्मचारी और पार्षद शक के दायरे में आ रहे हैं। उधर, मामला सामने आने के बाद हापुड़ में रहने वाली महिला भूमिगत हो गई है।
यह है मामला?
उत्तराखंड के चमोली जिले के गोपेश्वर थाना क्षेत्र निवासी चंद्रकला वर्मा ने हापुड़ के एसपी को बताया है कि उसकी शादी 20 साल पहले बुलंदशहर जिले के स्याना निवासी अरुण वर्मा से हुई थी। अरुण वर्मा गोपेश्वर जिला अस्पताल में वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी थे। 1 जून 2024 को ड्यूटी के दौरान दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई।
पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया। 19 जून 2024 को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्णप्रयाग से मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हुआ। उसने अपने पति के स्थान पर मृतक आश्रित के रूप में नौकरी और परिवार के भरण-पोषण के लिए आवेदन किया।
फिर पता चला कि हापुड़ के स्वर्ग आश्रम रोड स्थित एक कॉलोनी में रहने वाली महिला ने मृतक की पत्नी होने का दावा करते हुए नौकरी के लिए आवेदन किया है। उसने नगर पालिका द्वारा बनाया गया मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है, जिसमें दिखाया गया है कि अंतिम संस्कार हापुड़ में हुआ था। यह प्रमाण पत्र एक महीने बाद 19 जुलाई 2024 को जारी किया गया।
चंद्रकला ने बताया कि वह कर्मचारी की असली पत्नी हैं। उनके तीन बच्चे हैं। जब पति अरुण वर्मा की गोपेश्वर में मृत्यु हो गई थी, तब पोस्टमार्टम भी हो चुका था। फिर हापुड़ नगर पालिका ने किस आधार पर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिया?
अधिकारी हैरान
मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए मृतक का आधार कार्ड, श्मशान घाट की पर्ची, आवेदक का आधार कार्ड, चार गवाहों के आधार कार्ड और उनकी संस्तुति तथा पार्षद के लेटरहेड पर संस्तुति की आवश्यकता होती है। इसके बाद नगर पालिका कार्यालय से एक कर्मचारी मौके पर जाकर सत्यापन करता है। सभी के फोटो फाइल में लगाए जाते हैं।
फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद नगर पालिका अधिकारियों ने संबंधित फाइल खंगाली। अधिकारी यह देखकर हैरान रह गए कि फाइल की औपचारिकताएँ पूरी कर दी गई हैं। इसमें चौराखी श्मशान घाट की पर्ची और पार्षद अमित शर्मा मोनू बजरंग के लेटरहेड पर मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का आवेदन लिखा हुआ है।
हापुड़ के स्वर्ग आश्रम रोड स्थित एक मोहल्ले की महिला ने खुद को अरुण वर्मा की पत्नी बताते हुए आवेदन किया था।
साक्ष्य प्रस्तुत करने के निर्देश
अब नगर निगम अधिकारियों ने आवेदक, पार्षद, चार गवाहों और उनके अनुशंसाकर्ता कर्मचारी को नोटिस जारी किए हैं। जिसमें उनसे साक्ष्य मांगे गए हैं कि उन्होंने किस आधार पर मृतक का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदन किया या गवाही दी। नोटिस का जवाब संतोषजनक न मिलने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
दूसरा मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे बना
पूरे देश में मृत्यु और जन्म प्रमाण पत्र के लिए एक ही पोर्टल है। ताकि जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने में कोई धोखाधड़ी न हो। इसके बावजूद, मृतक के अलग-अलग राज्यों में दो मृत्यु प्रमाण पत्र बन गए। इससे अधिकारी हैरान हैं। साथ ही, लोगों ने पोर्टल पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं।
यह मामला तब सामने आया जब पीड़िता ने एसपी से शिकायत की। संबंधित फाइल खोल दी गई है। जिन लोगों के आधार कार्ड इसमें लगे हैं, उन सभी को नोटिस जारी किए गए हैं। नोटिस का जवाब मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
- संजय कुमार मिश्रा, ईओ
श्मशान घाट की पर्ची देखने के बाद, मैं प्रमाण पत्र जारी करने के लिए लेटरहेड पर आवेदन करता हूँ। मृत्यु के मामले में झूठ बोलने की कोई संभावना नहीं है। मुझे समझ नहीं आ रहा कि श्मशान घाट की पर्ची कैसे बनी। मैं जाँच में पूरा सहयोग करूंगा।
- अमित शर्मा, मोनू बजरंग, पार्षद
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