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    वेस्ट यूपी में सामने आई चौंकानी वाली बात, कोल्हू चलने से हो रहा वायु प्रदूषण

    By Jp YadavEdited By:
    Updated: Thu, 07 Oct 2021 11:38 AM (IST)

    कोल्हू में ईंधन के तौर पर पुराने टायरों का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में इसका जहरीला धुआं ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। हापुड़ जिले के गढ़मुक्तेश्वर बहादुरगढ़ और सिंभावली इलाकों में लगभग 15-20 गन्ना कोल्हू वर्तमान समय में चल रहे हैं।

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    वेस्ट यूपी में सामने आई चौंकानी वाली बात, कोल्हू चलने से हो रहा वायु प्रदूषण

    हापुड़/गढ़मुक्तेश्वर [प्रिंस शर्मा]। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अलग-अलग स्थानों पर खोले गए कोल्हू की चिमनी से निकल रहे प्रदूषित धुआं यहां की वायू को भी प्रदूषित कर रहे हैं। प्रदूषित वायु से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन जानकर भी अंजान बने हुए हैं। यहां पर बता दें कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal) के आदेश के बाद दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लगातार कवायद की जा रही है, लेकिन क्षेत्र में बड़ी संख्या में संचालित कोल्हू भी वायु प्रदूषण फैला रहे हैं। 

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    बताया जा रहा है कि इसकी एक बड़ी वजह यह है कि कुछ कोल्हू में ईंधन के तौर पर पुराने टायरों का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में इसका जहरीला धुआं ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। हापुड़ जिले के गढ़मुक्तेश्वर, बहादुरगढ़ और सिंभावली इलाकों में लगभग 15-20 गन्ना कोल्हू वर्तमान समय में चल रहे हैं। इनकी चिमनियों से निकलने वाले धुएं से क्षेत्र में दिन प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ रहा है। गन्ना कोल्हू होने के कारण यहां पर सबसे ज्यादा प्रदूषण फैल रहा है। यह स्थिति हापुड़ के अलावा, इससे सटे जिलों में भी है।

    गौरतलब है कि एनजीटी ने वायु प्रदूषण के मद्देनजर आदेश तो जारी किया है, लेकिन कोल्हू पर सब बेअसर है। ऐसे में वायु प्रदूषण के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। ग्रामीण दिनेश, महेंद्र, विनोद, हरपाल, राजेंद्र, बिट्टू आदि ने बताया कि क्षेत्र में वायु प्रदूषण का स्तर दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है।

    ग्रामीणों ने मांग की है कि एनजीटी ने क्षेत्र में वायु प्रदूषण फैला रहे कोल्हू पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। कोल्हू में ईंधन के लिए खोई या सूखी पत्तियां जलाई जाती हैं, लेकिन ईंधन की खपत अधिक होने के कारण कोल्हू में पुराने टायर भी झोंक दिए जाते हैं। इससे अधिक वायु प्रदूषण फैलता है।

    इस संबंध में उपजिलाधिकारी अरविंद द्विवेदी (Deputy Collector Arvind Dwivedi) का कहना है कि वातावरण का प्रदूषित करने वाले कोल्हू की जांच कराई जाएगी। जहां पर इंधन के रूप में रबर, टायर आदि जलते पाए गए वहां पर संबंधित कोल्हू संचालक के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।