PVVNL: मनमानी पड़ी भारी, चार अधिकारियों पर गिरी गाज, जांच के बाद सस्पेंड
पीवीवीएनएल की एमडी ईशा दूहन ने लापरवाही और निगम को दो करोड़ रुपये के नुकसान पहुंचाने के आरोप में दो एक्सईएन एक एसडीओ और एक जेई को निलंबित कर दिया है। बाबूगढ़ पावर स्टेशन पर ट्रांसफॉर्मर क्षतिग्रस्त होने और मामले को छिपाने का प्रयास करने पर यह कार्रवाई हुई। अधिकारियों की लापरवाही के कारण निगम को भारी नुकसान हुआ।

जागरण संवाददाता, हापुड़। पीवीवीएनएल (पश्चमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड) की आईएएस एमडी ईशा दूहन की बृहस्पतिवार को की गई कड़ी कार्रवाई से निगम में हड़कंप मच गया। कर्तव्य में लापरवाही करने, अधिकारियों के आदेशों का पालन नहीं करने और निगम को करीब दो करोड़ का नुकसान पहुंचाने के आरोप में यह कार्रवाई की गई है।
पावर कॉरपोरेशन में एक साथ दो एक्सईएन, एक एसडीओ व एक जेई के सस्पेंड होने से अधिकारियों में हड़कंप मचा है। इन अधिकारियों की लापरवाही से 10 व आठ केवीए का पावर स्टेशन ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हो गया।
उसके बावजूद इस मामले को अधिकारियों से छिपाकर लीपा-पोती का प्रयास किया गया। एमडी का आदेश आते ही चारों अधिकारियों को कार्यमुक्त कर दिया गया है। चारों अधिकारियों के सील पैक लिफाफे उनके कार्यालयों में पहुंचे। एक साल के अंदर यह तीसरी बड़ी कार्रवाई हुई है।
यह था मामला
बाबूगढ़ पावर स्टेशन पर 10 केवीए का ट्रांसफार्मर का 11 मई को क्षतिग्रस्त हो गया था। दरअसल इस ट्रांसफॉर्मर का ऑयल कई सप्ताह से लीक कर रहा था। जिम्मेदार अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में 11 मई काे इसमें फॉल्ट आ गया और पावर स्टेशन ट्रिप हो गया।
बाबूगढ़ में 33 केवीए और 132 केवीए पावर स्टेशन बराबर के कैंपस में ही हैं। ऐसे में ट्रांसफॉर्मर के फॉल्ट से बड़ा पावर स्टेशन भी ट्रिप हो गया। मामला संज्ञान में होने और बड़ा पावर स्टेशन बराबर में होने के बावजूद वहां पर सूचना नहीं दी गई। ऐसे में 132 केवीए पॉवर स्टेशन से सप्लाई दोबारा से आरंभ कर दी गई। इसमें 10 केवीए का ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हो गया। इसकी कीमत करीब एक करोड़ रुपये हैं।
जिम्मेदार अधिकारियों ने इसकी सूचना एसई, चीफ इंजीनियर, डायरेक्टर और एमडी किसी को नहीं दी। वहीं चुपचाप इसके स्थान पर एक आठ केवीए का ट्रांसफॉर्मर रखकर मामले को दबाने का प्रयास किया। वहीं क्षतिग्रस्त ट्रांसफॉर्मर को ठीक कराने के नाम पर भी आठ-दस लाख रुपये खर्च कर डाले।
इस पॉवर स्टेशन पर 28 एमवीए के तीन ट्रांसफॉर्मर लगे हुए थे। इनमें दो 10-10 केवीए और एक आठ केवीए का था। इससे पहले दिसंबर में आठ केवीए का एक ट्रांसफॉर्मर और क्षतिग्रस्त हो गया था। उसकी सूचना भी किसी बड़े अधिकारी को नहीं दी गई थी।
एक्सईएन वितरण और एक्सईएन टेस्ट अपने अधिनस्थों के साथ मिलकर इस मामले को अंजाम देते रहे। जिस कारण इससे जुड़े दर्जनों गांवों की सप्लाई भी ठप हो गई। पहले अधिकारी इस मामले को छिपाने में लगे रहे और फुंकने के जगह फॉल्ट होने की बात चला दी।
लेकिन जांच में सब कुछ स्पष्ट हो गया। तीन दिन से अधिकारी अधिकांश समय बिजलीघर पर ही दे रहे थे। साथ ही उन्हें भनक भी लग गई थी कि बड़ी कार्रवाई हो सकती है। इस मामले की जांच के लिए एमडी ने तीन अधिकारियों की जांच टीम गठित की थी।
टीम ने जांच में पाया उक्त अधिकारियों की लापरवाही से 10 और आठ केवीए के दो ट्रांसफॉर्मर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। इनसे निगम को करीब दो करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। वहीं मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। अधिकारियों को फाल्ट की रिपोर्ट भेजकर गुमराह करने का भी प्रयास किया गया।
ऐसे में चारों अधिकारियों को दोषी पाया गया। बृहस्पतिवार दोपहर में हापुड़ डिवीजन के अधिशासी अभियंता आरपी वर्मा, मीटर एक्सईन राजवीर सिंह, एसडीओ तृतीय तुषार श्रीवास्तव और अवर अभियंता अवधेश कुमार को सील पैक लिफाफा दे दिया गया।
इस संबंध में एमडी ईशा दुहन-आईएएस ने बताया कि अधिकारियों / कर्मचारियों द्वारा कर्तव्यों एवं दायित्वों के निर्वाहन में शिथिलता बरतने, विभाग को वित्तीय हानि पहुंचाने पर किसी भी दशा में बक्शा नहीं जायेगा। निगम के लिए उपभोक्ता हित सर्वोपरि है। निगम की छवि धूमिल करने, कार्य में लापरवाही परिलक्षित होने पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
चारों अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया है। एमडी आफिस से इसके आदेश प्राप्त हो गए हैं। उसके बाद सभी को तत्काल कार्यमुक्त कर दिया गया है। वहीं एमडी आफिस की टीम इस मामले में अभी गहनता से जांच कर रही है। - एसके अग्रवाल- अधीक्षण अभियंता।
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