हापुड़ पावर कॉर्पोरेशन टेंडर में धांधली के आरोप, जांच शुरू
हापुड़ पावर कॉर्पोरेशन की टेंडर प्रक्रिया फिर सवालों के घेरे में है। गढ़मुक्तेश्वर और पिलखुवा डिवीजन में ट्रांसफार्मर सामग्री के दामों में भारी अंतर पाया गया है। एक ही कंपनी को अलग-अलग दरों पर टेंडर मिलने से धांधली के आरोप लग रहे हैं। एसई कार्यालय से फाइलें एमडी कार्यालय भेज दी गई हैं अधिकारी जांच का दावा कर रहे हैं। पहले भी टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता के आरोप लगे थे।
जागरण संवाददाता, हापुड़। पावर कॉर्पोरेशन में टेंडर प्रक्रिया पारदर्शी नहीं हो पा रही है। टेंडरों में धांधली के आरोपों से घिरे कई अधिकारियों और कर्मचारियों को जिले से हटा दिया गया। इसके बावजूद टेंडरों में मनमानी थम नहीं रही है। एक बार फिर पावर कॉर्पोरेशन की टेंडर प्रक्रिया सवालों के घेरे में है।
इस बार एक ही कंपनी द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों में लिए गए टेंडरों की रकम बड़ी होने वाली है। मामला सामने आने के बाद एसई कार्यालय से फाइलें एमडी कार्यालय भेज दी गई हैं। हालांकि अधिकारी दावा कर रहे हैं कि सब कुछ नियमानुसार हुआ है।
यह है मामला?
गढ़मुक्तेश्वर और पिलखुवा डिवीजन में 70 लाख रुपये के डिपॉजिट टेंडर विवादों में हैं। इन दोनों जगहों के टेंडरों में ट्रांसफार्मर प्लिंथ-प्लेटफॉर्म, एबीसी, ट्रांसफार्मर किराया, गार्डिंग और पीसीसी पिलर समेत अन्य सामग्री के दामों में भारी अंतर सामने आया है।
पिलखुवा डिवीजन में ट्रांसफार्मर प्लेटफार्म 4500 रुपये में बन रहा है। गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र में इसे 20 हजार की लागत से बनाने का टेंडर निकाला गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि एक ही फर्म ने अलग-अलग दरें बताईं और उसे टेंडर भी मिला है।
गढ़ डिवीजन में डिपॉजिट कार्य के लिए 30 लाख का टेंडर जारी किया गया था। इसमें अलग-अलग फर्मों ने भाग लिया। बोली खुलने पर आवश्यक गणना के अनुसार एक फर्म को 2.45 लाख रुपये में टेंडर दिया गया।
इसके बाद पिलखुवा डिवीजन के निर्धारित क्षेत्र के लिए 40 लाख का डिपॉजिट टेंडर जारी किया गया। इसमें चार फर्मों ने टेंडर डाले, लेकिन बोली खुलने पर दो फर्में अस्वीकृत पाई गईं।
टेंडर में कम दरें बताई जाने के कारण यह टेंडर भी उसी फर्म को दिया गया, जिसे गढ़ डिवीजन का टेंडर मिला था। टेंडर करीब 97 हजार रुपये में दिया गया। अब दोनों टेंडरों में सामग्री की दरों को लेकर सवाल उठ रहे हैं। अब यह मामला बढ़ गया है।
इससे पहले भी पावर कॉर्पोरेशन की टेंडर प्रक्रिया सवालों के घेरे में रही है। हाल ही में एमडी कार्यालय से एक टीम टेंडर में हुए घोटाले की जांच के लिए एसई कार्यालय पहुंची थी।
इसके साथ ही, कृषि क्षेत्र के ट्रांसफार्मर से आवासीय कॉलोनी में बिजली आपूर्ति करने और बिल्डर कॉलोनियों में सरकारी योजना के खंभे व तार लगाने की शिकायत भी मिली थी।
बाबूगढ़ क्षेत्र की एक बिल्डर कॉलोनी में आरडीएसएस (पुनरुद्धार वितरण क्षेत्र सुधार योजना) के बिजली के खंभे लगाए गए थे। उक्त खंभे पर निगम की योजना की मुहर भी लगी हुई थी।
टेंडर की कीमतों में अंतर महज एक संयोग है। सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी को टेंडर दिया गया। टेंडर प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर कोई अनियमितता नहीं हुई है। सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया गया है। इसके बावजूद, टेंडर प्रक्रिया की जांच के लिए दोनों फाइलें एमडी कार्यालय भेज दी गई हैं।
- एसके अग्रवाल - एसई-हापुड़।
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