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    एक महीने के भीतर मोनाड यूनिवर्सिटी पर हो सकता है बड़ा फैसला, फर्जी डिग्री देने के मामले में सुर्खियों में आई

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 01:05 PM (IST)

    हापुड़ की मोनाड यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री और मार्कशीट बेचने के मामले में शासन ने जांच शुरू कर दी है। राज्यपाल द्वारा रिपोर्ट तलब किए जाने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने एक उच्च स्तरीय टीम गठित की है जो एसटीएफ से सबूत मांग रही है। डीएम ने यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द करने का आग्रह किया था जिसके बाद यह कार्रवाई हुई। जांच टीम अगस्त में राजभवन को रिपोर्ट सौंपेगी।

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    राज्यपाल एक महीने में ले सकते हैं माेनाड यूनिवर्सिटी मामले में निर्णय।

    ठाकुर डीपी आर्य, हापुड़। मोनाड यूनिवर्सिटी के फर्जी डिग्री-मार्कशीट की बिक्री करने का मामला अब लगातार गंभीर हाेता जा रहा है। डीएम द्वारा यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द करने के मामले में शासन स्तर पर संज्ञान लेकर जांच आरंभ करा दी है। पिछले दिनों इस मामले में पत्रावली राज्यपाल ने तलब की थी।

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    राजभवन से यूनिवर्सिटी के संचालन संबंधी रिपोर्ट मांगी गई जिला प्रशासन व उच्च शिक्षा विभाग से मांगी गई थी। उच्च शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार इस मामले की जांच के लिए उच्च स्तरीय टीम का गठन किया गया है। टीम ने एसटीएफ से भी जांच में जुटाए गए साक्ष्य मांगे हैं।

    माना जा रहा है कि टीम एक महीने में राजभवन को अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। यूनिवर्सिटी में एसटीएफ ने फर्जी डिग्री-मार्कशीट बनाकर बेचने का बड़ा धंधा पकड़ा था। अभी तक करीब पांच लाख फर्जी डिग्री बिक्री किए जाने के साक्ष्य एसटीएफ को मिल चुके हैं।

    उसके चलते डीएम और एसपी ने यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द करने की रिपोर्ट शासन को भेजी थी। उसके आधार पर उच्च शिक्षा विभाग भी मामले की जांच कर रहा है। निजी यूनिवर्सिटी की मान्यता दो स्तर पर प्रदान की जाती है।

    सबसे पहले यूनिवर्सिटी के संचालन की मान्यता विधानसभा से स्वीकृत होने के बाद राजभवन को भेजी जाती है। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद ही इसका संचालन आरंभ हो पाता है। एक्सपर्ट के अनुसार यूनिवर्सिटी की मान्यता राज्यपाल से मिलने के पांच साल बाद यूजीसी से स्वीकृति करानी होती है।

    यूजीसी द्वारा यूनिवर्सिटी के मानकों का पालन कराने का निरीक्षण किया जाता है। यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े के मामले में एसटीएफ की ओर से एक रिपोर्ट पिलखुवा थाने में दर्ज कराई गई है। उस रिपोर्ट की जांच भी एसटीएफ ही कर रही है।

    इसके साथ ही डीएम द्वारा शासन को लिखे गए पत्र पर भी कार्रवाई आरंभ हो गई है। डीएम अभिषेक पांडेय ने 19 मई को शासन के उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजा था। फर्जीवाड़े के चलते मोनाड की मान्यता और पंजीकरण रद्द करने का आग्रह किया गया था।

    डीएम के पत्र के बाद शासन स्तर से जांच टीम का गठन किया गया था। इस मामले में पांच सदस्यीय टीम ने यूनिवर्सिटी की पत्रावली की जांच कर अपनी रिपोर्ट शासन को भेज दी थी।

    यूनिवर्सिटी के सूत्रों के अनुसार उनके यहां पर राजभवन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन किया जाता रहा है। उनकी मान्यता भी राज्यपाल से है। ऐसे में यह राजभवन के प्रति उत्तरदायी हैं।

    पिछले दिनों राजभवन से यूनिवर्सिटी की पत्रावली को तलब किया गया था। इस मामले में जिलाधिकारी और एसटीएफ के साथ ही उच्च शिक्षा विभाग की टीम द्वारा भी महत्वपूर्ण फाइल शासन को उपलब्ध कराई गई थी।

    उनको ही राजभवन में मंगवा लिया गया था। राजभवन द्वारा इस मामले में गोपनीय एक्सपर्ट टीम का गठन किया था। विभागीय सूत्रों का कहना है कि टीम ने एसटीएफ से अभी तक की जांच के साक्ष्य प्राप्त कर लिए हैं।

    वहीं प्रशासन, उच्च शिक्षा विभाग, यूजीसी और समाज कल्याण विभाग से भी जरूरी साक्ष्य जुटाए हैं। एसटीएफ द्वारा जिन युवकों के पास फर्जी डिग्री पकड़ी गई हैं, उनकी भी रिपोर्ट मांगी गई है।

    वहीं यूनिवर्सिटी के स्टाफ से भी गोपनीयता के साथ पूछताछ की गई है। उच्चस्तरीय सूत्रों का कहना है कि इस मामले में टीम राजभवन को अगस्त में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। उसके आधार पर आगे का निर्णय लिया जाएगा।

    यूनिवर्सिटी का संचालन मानकों के अनुसार किया जा रहा है। इसमें किसी स्तर पर नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है। यूनिवर्सिटी में प्रवेश से लेकर परीक्षा व डिग्री-मार्कशीट तक सभी मानक के अनुरूप हैं। यूनिवर्सिटी के स्तर पर कोई फर्जीवाड़ा नहीं किया गया है। अब यूनिवर्सिटी में परिसर में आने-रहने वाला कोई व्यक्ति क्या कर रहा है, यह उसका निजी मामला है। हम मांगे जा रहे सभी कागजात उपलब्ध करा रहे हैं और किसी भी जांच के लिए तैयार हैं। इस मामले को राजनीतिक साजिश के तहत बेवजह का तूल दिया जा रहा है।

     डॉ. एक जावेद, कुलपति- मोनाड यूनिवर्सिटी।