कैसे अकूत संपत्ति का मालिक बना 10वीं पास विजेंद्र? 100 से ज्यादा केस हैं दर्ज; BJP में शामिल होने को कर रहा था मारामारी
मोनाड यूनिवर्सिटी के चेयरमैन विजेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया गया है। विजेंद्र सिंह पर धोखाधड़ी और जालसाजी के कई मामले दर्ज हैं। वह राजनीतिक संरक्षण पाने के लिए लगातार भाजपा में शामिल होने की कोशिश कर रहा था। एसटीएफ ने एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है जिसके बाद विजेंद्र सिंह को डासना जेल भेज दिया गया है। विजेंद्र सिंह पहले भी बाइकबोट घोटाले में शामिल रह चुका है।

ठाकुर डीपी आर्य, हापुड़। चौधरी विजेंद्र सिंह, मोनाड यूनिवर्सिटी का चेयरमैन, अकूत संपत्ति का मालिक, राजनीतिज्ञ व सामाजिक कार्यकर्ता। यह वह परिचय है जिसको वह चेहरे पर दर्प लाकर बयां करता था। यह उसका समाज में दिखावे के जीवन का ओरा था। इस कथित छवि को बचाने के लिए वह पांच साल से राजनीतिक संरक्षण पाने को मारामारी कर रहा था।
बहुचर्चित बाइकबोट घोटाले में भी आ चुका है नाम
कक्षा 10 पास और जालसाजी-धोखाधड़ी के 100 से अधिक मामलों में न्यायालय का सामना कर रहे विजेंद्र को सत्ता का आश्रय चाहिए था। जिससे वह किसी बड़ी कार्रवाई से बच सके। हालांकि इससे पहले ही एसटीएफ ने बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश कर दिया। इसके साथ ही विजेंद्र का नया ठिकाना गाजियाबाद की डासना जेल हो गया है। मेरठ के विजेंद्र सिंह का नाम बहुचर्चित बाइकबोट घोटाले में भी सामने आ चुका है।
लोकदल में हासिल किया बड़ा पद
कोविड के जिस दौर में लोग जिंदगी बचाने को मारे-मारे फिर रहे थे, तभी विजेंद्र सिंह का कारोबार विकास कर रहा था। उसी दौर में उसने 2022 में मोनाड यूनिवर्सिटी को खरीद लिया। इसके साथ ही उसको राजनीतिक संरक्षण की जरूरत पड़ने लगी थी, जिससे वह किसी बड़ी कार्रवाई से बच सके।
वह भाजपा में शामिल होना चाहता था, लेकिन बाइकबोट घोटाले के बाद उसको एंट्री नहीं मिल सकी। इसके बाद 2022 में उसने सुनील सिंह के साथ लोकदल में बड़ा पद हांसिल कर लिया।
बसपा से लड़ चुका चुनाव
कई रैली और प्रदर्शन करने के बावजूद जब मजबूत मुकाम नहीं मिल सका, तो उसने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का दामन थाम लिया। वह बसपा के टिकट पर बिजनौर से 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़ा, जिसमें पराजय हाथ लगी। उसके बाद उसने फिर से भाजपा में प्रवेश करने का प्रयास किया, लेकिन स्थानीय जाट व ठाकुर नेताओं के विरोध के चलते कामयाब नहीं हो सका।
रालोद के भाजपा के साथ आने से उसको नई उम्मीद दिखने लगी। वह रालोद के साथ जुड़कर सत्ता पक्ष का करीबी बने हुए रहना चाहता था। हालांकि उससे पहले ही पुलिस द्वारा उसको गिरफ्तार कर लिया गया और वह कामयाब नहीं हुआ।
धोखाधड़ी के कई मामलों का पहले ही कर रहा है सामना
- लोकसभा चुनाव में दी गई जानकारी में विजेंद्र सिंह ने बताया कि वह कक्षा 10 पास है।
- उस पर धोखाधड़ी करने की धारा 420, वसीयत में जालसाजी करने की धारा 467, जालसाजी करने की धारा 468, बैंक आदि मामलों में धोखाधड़ी की धारा 409, साक्ष्य मिटाने की धारा 201, फर्जी दस्तावेज बनाने की धारा 471 और आपराधिक षड़यंत्र रचने की धारा 120 बी के तहत अभियोग दर्ज हैं।
- एसटीएफ के अनुसार विजेंद्र सिंह पर विभिन्न जिलों में 100 से अधिक मामले दर्ज हैं। वह इनका गाजियाबाद, दिल्ली और गौतमबुद्धनगर के न्यायालयों में सामना कर रहा है।
- विजेंद्र सिंह ने अपने शपथपत्र में जानकारी दी थी कि 2024 में उसके पास 28 करोड़ की संपत्ति थी, जबकि 230 करोड़ की देनदारी थी। उसकी 2022-23 में वार्षिक आय मात्र 15 लाख रुपये ही थी।
सोनीपत के गैंग से हो सकते हैं संबंध
विजेंद्र सिंह के संबंध सोनीपत में फर्जी डिग्री बनाने और परीक्षा पास कराने वाले गैंग से भी हो सकते हैंं। उसको दिल्ली पुलिस का सिपाही चलाता था। इस मामले का पर्दाफास सोनीपत एसटीएफ ने किया था। इसमें 60 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
वहीं फर्जी डिग्री से नौकरी पाने वाले लेखपाल व शिक्षक भी गिरफ्तार किए गए थे। सूत्रों का कहना है कि मोनाड यूनिवर्सिटी से डिग्री तैयार करके हरियाणा भेजी जाती थीं। वहां पर इस मामले को विजेंद्र का बेटा संदीप चलाता था।

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