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    तीर्थ नगरी ब्रजघाट बनेगी औषधीय जंगल! पहली बार इतनी बड़ी संख्या में देशी-धार्मिक पौधे से महकेगा जिला

    Updated: Sat, 06 Dec 2025 01:40 PM (IST)

    ब्रजघाट की नर्सरी में इस साल धार्मिक और औषधीय महत्व वाले पौधे उगाए जा रहे हैं। इनमें चंदन, सीता अशोक जैसे विशेष पौधे शामिल हैं। सरकार पर्यावरण सुधार क ...और पढ़ें

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    ब्रजघाट की नर्सरी में इस साल धार्मिक और औषधीय महत्व वाले पौधे उगाए जा रहे हैं। फाइल फोटो

    ध्रुव शर्मा, गढ़मुक्तेश्वर। तीर्थ नगरी ब्रजघाट में कई एकड़ में फैली फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की नर्सरी हर साल लाखों पौधे उगाती है और उन्हें पूरे जिले में लगाती है। इस साल नर्सरी में धार्मिक अनुष्ठानों में इस्तेमाल होने वाले पौधों के साथ-साथ औषधीय पौधे भी उगाए जा रहे हैं। ये पौधे पूरे जिले में अलग-अलग जगहों पर लगाए जाएंगे।

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    धरती को हरा-भरा करने और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए सरकार पिछले कुछ सालों से पूरे राज्य में लगातार पेड़ लगाने के अभियान चला रही है। इसी कोशिश में पूरे जिले में लाखों पौधे लगाए जाते हैं। इसी मकसद से तीर्थ नगरी ब्रजघाट में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की तीन हेक्टेयर की नर्सरी में चार से पांच लाख पौधे उगाए जाते हैं।

    इन पौधों में जामुन, शीशम, अमरूद, सागौन, पीपल, आम, पिलखन, बरगद, इमली, करहल, अर्जुन, काला बांस, कंजी, UK लेप्टिस, सहजन, अशोक वगैरह शामिल हैं। जुलाई में मॉनसून शुरू होने के साथ ही पौधे लगाने का काम शुरू हो जाता है। अलग-अलग डिपार्टमेंट और सोशल ऑर्गनाइजेशन पौधे लगाने का काम करते हैं। इस साल, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने अगले साल के पेड़ लगाने की तैयारी शुरू कर दी है।

    तैयार किए जा रहे हैं कई नए पौधे 

    इस साल, आम पौधों के अलावा, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट कुछ नए पौधे भी उगा रहा है। इनमें लाल और सफेद चंदन, सीता अशोक का पेड़ (नॉर्मल अशोक के पेड़ के पत्ते ऊपर की ओर होते हैं, जबकि सीता अशोक के पेड़ के पत्ते ज़मीन की ओर मुड़े होते हैं। यह पेड़ श्रीलंका में रावण की अशोक वाटिका में था, जहां रावण ने माता सीता को रखा था), औषधीय पौधे जैसे रीठा, महुआ, बहेड़ा, हरड़, कमरख, सिंदूर, खिरनी और बालमखीरा शामिल हैं।

    जुलाई तक तैयार हो जाएंगे

    इनमें से कुछ पौधे पॉलीथीन बैग में उगाना शुरू हो गए हैं, जबकि कुछ को मिट्टी में खाद डालकर तापमान के हिसाब से लगाने के लिए तैयार किया जा रहा है। ये पौधे छह से सात महीने में तीन से चार फीट की ऊंचाई तक पहुंच जाएंगे। इसके बाद, इन्हें पूरे जिले में अलग-अलग जगहों पर लगाया जाएगा। इस साल तीन हेक्टेयर में फैली इस नर्सरी में 629,000 पौधे तैयार किए जा रहे हैं। 

    पहली बार इतनी बड़ी संख्या में तैयार होने वाले देशी पौधे
    पौधे का नाम संख्या
    आंवला 35,000
    बहेड़ा 5,000
    बालमखीरा 5,000
    सीता अशोक 1,000
    रीठा 1,000
    महुवा 1,000
    हर (हरड़) 1,000
    कमरख 1,000
    सिंदूर 1,000
    चंदन 1,000
    खिरनी 1,000
    कुल पौधे 52,000

    पिछले साल इस नर्सरी में सहजन और काले बांस समेत कई औषधीय पौधे तैयार किए गए थे। हालांकि, इस साल धार्मिक और औषधीय कामों में इस्तेमाल होने वाले पेड़ों के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। खास पेड़ों में चंदन, सिंदूर और सीता अशोक शामिल हैं। - करण सिंह, फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर