तीर्थ नगरी ब्रजघाट बनेगी औषधीय जंगल! पहली बार इतनी बड़ी संख्या में देशी-धार्मिक पौधे से महकेगा जिला
ब्रजघाट की नर्सरी में इस साल धार्मिक और औषधीय महत्व वाले पौधे उगाए जा रहे हैं। इनमें चंदन, सीता अशोक जैसे विशेष पौधे शामिल हैं। सरकार पर्यावरण सुधार क ...और पढ़ें

ब्रजघाट की नर्सरी में इस साल धार्मिक और औषधीय महत्व वाले पौधे उगाए जा रहे हैं। फाइल फोटो
ध्रुव शर्मा, गढ़मुक्तेश्वर। तीर्थ नगरी ब्रजघाट में कई एकड़ में फैली फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की नर्सरी हर साल लाखों पौधे उगाती है और उन्हें पूरे जिले में लगाती है। इस साल नर्सरी में धार्मिक अनुष्ठानों में इस्तेमाल होने वाले पौधों के साथ-साथ औषधीय पौधे भी उगाए जा रहे हैं। ये पौधे पूरे जिले में अलग-अलग जगहों पर लगाए जाएंगे।
धरती को हरा-भरा करने और पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए सरकार पिछले कुछ सालों से पूरे राज्य में लगातार पेड़ लगाने के अभियान चला रही है। इसी कोशिश में पूरे जिले में लाखों पौधे लगाए जाते हैं। इसी मकसद से तीर्थ नगरी ब्रजघाट में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की तीन हेक्टेयर की नर्सरी में चार से पांच लाख पौधे उगाए जाते हैं।
इन पौधों में जामुन, शीशम, अमरूद, सागौन, पीपल, आम, पिलखन, बरगद, इमली, करहल, अर्जुन, काला बांस, कंजी, UK लेप्टिस, सहजन, अशोक वगैरह शामिल हैं। जुलाई में मॉनसून शुरू होने के साथ ही पौधे लगाने का काम शुरू हो जाता है। अलग-अलग डिपार्टमेंट और सोशल ऑर्गनाइजेशन पौधे लगाने का काम करते हैं। इस साल, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने अगले साल के पेड़ लगाने की तैयारी शुरू कर दी है।
तैयार किए जा रहे हैं कई नए पौधे
इस साल, आम पौधों के अलावा, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट कुछ नए पौधे भी उगा रहा है। इनमें लाल और सफेद चंदन, सीता अशोक का पेड़ (नॉर्मल अशोक के पेड़ के पत्ते ऊपर की ओर होते हैं, जबकि सीता अशोक के पेड़ के पत्ते ज़मीन की ओर मुड़े होते हैं। यह पेड़ श्रीलंका में रावण की अशोक वाटिका में था, जहां रावण ने माता सीता को रखा था), औषधीय पौधे जैसे रीठा, महुआ, बहेड़ा, हरड़, कमरख, सिंदूर, खिरनी और बालमखीरा शामिल हैं।
जुलाई तक तैयार हो जाएंगे
इनमें से कुछ पौधे पॉलीथीन बैग में उगाना शुरू हो गए हैं, जबकि कुछ को मिट्टी में खाद डालकर तापमान के हिसाब से लगाने के लिए तैयार किया जा रहा है। ये पौधे छह से सात महीने में तीन से चार फीट की ऊंचाई तक पहुंच जाएंगे। इसके बाद, इन्हें पूरे जिले में अलग-अलग जगहों पर लगाया जाएगा। इस साल तीन हेक्टेयर में फैली इस नर्सरी में 629,000 पौधे तैयार किए जा रहे हैं।
| पौधे का नाम | संख्या |
|---|---|
| आंवला | 35,000 |
| बहेड़ा | 5,000 |
| बालमखीरा | 5,000 |
| सीता अशोक | 1,000 |
| रीठा | 1,000 |
| महुवा | 1,000 |
| हर (हरड़) | 1,000 |
| कमरख | 1,000 |
| सिंदूर | 1,000 |
| चंदन | 1,000 |
| खिरनी | 1,000 |
| कुल पौधे | 52,000 |
पिछले साल इस नर्सरी में सहजन और काले बांस समेत कई औषधीय पौधे तैयार किए गए थे। हालांकि, इस साल धार्मिक और औषधीय कामों में इस्तेमाल होने वाले पेड़ों के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। खास पेड़ों में चंदन, सिंदूर और सीता अशोक शामिल हैं। - करण सिंह, फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर

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