Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Kharmas 2025: 16 दिसंबर से शुरू होगी खरमास, इस पवित्र महीने में जरूर करें ये काम; पूरी होगी मनोकामना

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 06:59 PM (IST)

    ज्योतिर्विद पंडित केसी पांडेय के अनुसार, 4 दिसंबर को शुक्र अस्त होने के बाद विवाह आदि शुभ कार्य बंद हो गए थे। 15 दिसंबर को खरमास शुरू हो जाएगा, जिसका ...और पढ़ें

    Hero Image

    15 दिसंबर की देर रात्रि में सूर्य के धनु राशि में पहुंचते ही खरमास भी प्रारंभ हो जाएगा।

    संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर। चार दिसंबर रविवार को पौष मास में शुक्र अस्त होने के साथ समस्त शुभ मंगल कार्य जैसे विवाह, गृहप्रवेश, उपनयन (जनेऊ), अन्नप्राशन, मुंडन, कुआं पूजन आदि शुभ कार्य बंद हो गए थे। भारतीय ज्योतिष कर्मकांड महासभा अध्यक्ष ज्योतिर्विद पंडित केसी पांडेय ने बताया कि 15 दिसंबर की देर रात्रि में सूर्य के धनु राशि में पहुंचते ही खरमास भी प्रारंभ हो जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    खरमास का समापन 14 जनवरी 2026 दिन बुधवार को माघ मास में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही होगा। उन्होंने बताया कि खरमास का समापन 14 जनवरी को होने के बाद भी शुक्र के 31 जनवरी 2026 तक अस्त रहने के कारण वैवाहिक एवं शुभ मंगल कार्य की शुरुआत तीन फरवरी से होगी।

    अतः इससे पहले डेढ़ महीने तक मंत्रजप, तप, पूजा, कथा, दान आदि धार्मिक कार्य होते रहेंगे। मकर संक्रांति के बारे में धर्मग्रंथों के अनुसार जिस दिन सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करता है, उसी दिन मकर संक्रांति होता है 14 जनवरी 2026 कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि को सर्वार्थसिद्धि योग एवं अमृतसिद्धि शुभ योग के साथ सूर्य अपरांह 03: 04 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे।

    अतः 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति पर्व मनाया जाएगा, जिसका पुण्यकाल सूर्योदय से मान्य होगा। इसमें स्नान, दान करना अत्यंत पुण्यफल प्रदान करने वाला होगा। इस दिन दान करने से समस्त पाप समाप्त हो जाते है। 14 जनवरी को षटतिला एकादशी, अनुराधा नक्षत्र, बुधवार के दिन मकर संक्रांति होने से मंदाकिनी नामक संक्रांति है, जो शुभ फलदायी होगा।

    सूर्यास्त से दो घंटे का समय विशेष फालदायी रहेगा। स्नान के बाद सूर्य, शनि, बुध, राहु आदि मंत्रों के जप, हवन के लिए अनुकूल दिन है मकर संक्रांति के दिन ही राजा सागर के 60 हजार पुत्रों को मोक्षप्राप्ति राजा भागीरथ के प्रयास से हुई थी।

    अतः इस दिन गंगासागर स्नान का विशेष विधान है। इस दिन स्नान करने से दस अश्वमेध यज्ञ तथा एक हजार गायों के दान का फल मिलता है। इसी दिन प्रयागराज में माघ मेला भी प्रारंभ हो जाएगा।