Hapur Flood: बाढ़ के पानी में गोते लगा रही खादरवासियों की जिंदगी, दहशत में गुजर रहे लोगों के दिन और रात
गंगा के किनारे बसे खादर क्षेत्र में बाढ़ ने तबाही मचाई है जिससे लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लगातार बारिश और गंगा के बढ़ते जलस्तर ने स्थिति को गंभीर बना दिया है। फसलें बर्बाद हो गई हैं और कई घर पानी में डूब गए हैं। स्थानीय लोग प्रशासन और समाजसेवियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं।

राममोहन शर्मा, ब्रजघाट (हापुड़)। गंगा के आंचल में बसा खादर का इलाका पिछले एक माह से दुश्वारियों के भंवर में फंसा हुआ है। जिंदगी पूरी तरह से वाढ़ के पानी में गोते लगा रही है। एक तरफ आसमान से आफत बनकर बरस रहा वर्षा का पानी और नीचे गंगा का उफान लोगों की जिंदगी को भंवर में फंसा रहा है।
वहीं, कच्चे एवं कमजोर मकानों की दीवार पानी के बहाव से ध्वस्त हो रही है तो वर्ष भर की रोजी रोटी का इंतजाम करने वाली फसल को गंगा का तेज बहाव में अपने साथ बहाकर ले गया हैं।
गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र में प्रत्येक वर्ष बाढ़ का प्रकोप होता है, लेकिन दो से तीन दिन के जलभराव के बाद गंगा का ऊफान शांत हो जाता था, जिसके बाद लोगों की जिंदगी अपने पटरी पर वापस आने लगती थी। लेकिन वर्ष 1973 एवं वर्ष 2012 में भी यहां गंगा ने खतरा बिंदू 199.33 को पार किया था, लेकिन चंद दिनों के अंदर ही पानी वापस हो गया था, लेकिन इस वर्ष गंगा का जलस्तर खतरा 199.33 को पार करके 199.57 तक पहुंच गया था।
बताया गया कि कई दिन खतरा बिंदू से गंगा ऊपर रहने के बाद वापस हुई और रेड अलर्ट 199.00 बिंदू के ऊपर रही। इस दौरान खादर के अनेक गांवों में जलभराव हो गया तथा लोगों को अपनी छत पर रात गुजारनी पड़ी तो कुछ लोगों ने अपने कीमती सामान को दूसरे स्थानों पर पहुंचा दिया।
वहीं, लोग पशुओं का पेट भरने के लिए जंगलों में बाढ़ के बीच गोते लगाकर चारे का इंतजाम करते रहे तो वहीं आवागमन करने के लिए नाव अथवा जिंदगी दांव पर लगाकर जलभराव के बीच से निकलना पड़ा। अब करीब एक माह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन लोगों की जिंदगी आज भी बाढ़ के पानी के बीच गोते खा रही है। फसल बर्बाद हो चुकी हैं, अनेक मकान एवं घर भी जल समाधि ले चुके हैं।
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लोग जलीय एवं विषैले जीवों के बीच अपना जीवन गुजार रहे है। धरती का सीना चीरकर फसल उगाने वाले मेहनत कश लोग प्रशासन एवं समाज सेवियों की मदद का इंतजार कर रहे हैं। हालत यह है कि करीब दो से तीन हजार बीघा जमीन पर खड़ी फसल बर्बाद हो चुकी है अथवा होने के कगार पर है।
गंगानगर बस्ती में पिछले एक माह से पानी भरा हुआ है, लोगों के लिए आवागमन का एक मात्र रास्ता नाव ही बचा है। ऐसे में यहां के लोग बाढ़ के पानी में गोते लगाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।
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