हापुड़ देश में प्रदूषित शहरों में पहले नंबर पर पहुंचा, लोगों को सांस लेने में हो रही परेशानी
सर्दी बढ़ने के साथ हापुड़ देश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया है। हवा की गति कम होने और तापमान गिरने से प्रदूषण और बढ़ गया है। शहर में कूड़ा जलाने और निर् ...और पढ़ें

हापुड़ में प्रदूषण देश में सबसे ज्यादा।
जागरण संवाददाता, हापुड़। सर्दी बढ़ने के साथ ही बुधवार को हापुड़ देश में प्रदूषित शहरों में पहले नंबर पर पहुंच गया। शहर की हवा में प्रदूषण उच्च स्तर बना हुआ था। ऐसे में यह दो दिन से देश के प्रदूषित शहरों की श्रेणी में दूसरे स्थान पर था। वहीं हवा की गति कम होने और तापमान गिरने से प्रदूषण और घना हो गया।
सुबह से ही हापुड़ का एक्यूआई ऊपर बना रहा। देर रात तक एक्यूआइ के स्तर में कमी तो आई, लेकिन यह देशभर में सबसे ज्यादा रहा। वहीं तापमान में कमी के कारण लोग सुबह से ही गर्म कपड़ों में लिपटे नजर आए। कोहरे व स्माग के कारण सुबह को दृश्यता कम रही।
वाहनों के बढ़ते दबाव, टूटी पड़ी सड़कों और जगह-जगह जलाए जा रहे कूड़े पर नियंत्रण नहीं हो रहा है। धड़ल्ले से निर्माण कार्य हो रहा है और धूल उड़ रही है। पालिका की गाड़ियां कलक्ट्रेट के आसपास छिड़काव करती रहती है, जिससे पास में लगे प्रदूषण यंत्र की गणना में कमी लाई जा सके। उसके बावजूद हवा में प्रदूषण का जहर घुल रहा है।
दो सप्ताह से हापुड़ प्रदूषित हवा की चपेट में है। पिछले सप्ताह नोएडा, गाजियाबाद और दिल्ली से ज्यादा प्रदूषण हापुड़ का रहा था। अब दो दिन से जिले की हवा का प्रदूषण देशभर में दूसरे नंबर पर था। वहीं बुधवार को हापुड़ का एक्यूआई देशभर में सबसे ज्यादा रहा। इससे प्रदूषण का स्तर सर्वोच्च होने का प्रभाव भी दिखने लगा।
लाेगों को सांस, फेफड़े , गले, आंख व त्वचा संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। अस्पताल में मरीजों की भीड़ लग रही है। उसके बावजूद जिम्मेदार प्रदूषण के स्तर में नियंत्रण को प्रयासरत नहीं है। बुधवार को भी शहर में पालिका के कर्मियों व अन्य लोगों द्वारा धड़ल्ले से कूड़ा जलाया जाता रहा।
कूड़ा जलाने के साथ ही शहर में दर्जनों स्थानों पर पालीथिन और प्लास्टिक भी जलाई जा रही है। वहीं रेलवे आरओबी के बराबर में खानाबदोश बस्ती में धड़ल्ले से ई-कचरा जलाया जा रहा है। उसके बावजूद किसी जिम्मेदार को इसकी चिंता नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी गाजियाबाद में बैठते हैं। वह कंपनियों के लाइसेंस जारी करने और अपने निहित स्वार्थ के चलते ही हापुड़ में आते है। इस साल प्रदूषण फैलाने में एक भी कार्रवाई जिम्मेदारों द्वारा नहीं की गई है।
वहीं पालिका व प्रशासन के अधिकारियों द्वारा कूड़ा जलाने और बड़े स्तर पर कूड़े के ढ़ेरों में आग लगाने के एक भी मामले में कार्रवाई नहीं की गई है। यही कारण है कि प्रदूषण का स्तर नियंत्रित नहीं हो पा रहा है। खटारा, आयु पूरी कर चुके और जुगाड़ वाहनों के कारण भी प्रदूषण फैल रहा है। बुधवार को भी फ्री-गंज रोड पर एक अस्पताल के बराबर में मेडिकल वेस्ट जलाने की शिकायत अधिकारियों से की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
यह भी जानें
वायु की गुणवत्ता मापने के लिए एक्यूआी में आठ प्रदूषक तत्वों का परीक्षण किया जाता है। अगर इनकी मात्रा सीमा से ज्यादा है तो हवा का स्तर खराब है। यह आठ तत्व इस प्रकार पीएम-10, पीएम-2.5, एनओ-2 (नाइट्रोजन डाईआक्साइड), एसओ-2 (सल्फर डाईआक्साइड), सीओ (कार्बन मोनोआक्साइड), ओजोन-3 (ओजोन का उत्सर्जन), एनएच-3 (अमोनिया) और पीबी (सीसा) होता है। एक्यूआई का इंडेक्स यह बताता है कि हवा में किन गैसों की कितनी मात्रा घुली हुई है।
ग्रेप के प्रतिबंध लागू हो गए हैं। उनका सभी को गंभीरता से फालो करना है। प्रदूषण से बचकर रहने की जरूरत है। प्रदूषण के सीधे संपर्क में आने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। लोगों को मास्क लगाकर रहने और ज्यादा प्रदूषण वाले स्थानों पर नहीं जाने की सलाह दी गई है। - डॉ. अशोक कुमार, मौसम विशेषज्ञ, कृषि विज्ञान केंद्र, हापुड़

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।