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    शर्मनाक! सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई मां-बेटी, खाकी ने खेल कर खत्म किया मुकदमा

    Updated: Wed, 21 Aug 2024 03:59 PM (IST)

    खाकी एक बार फिर दागदार हुई है। मामला यूपी के हापुड़ जिले का है जहां दारोगा ने सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई मां-बेटी को न्याय दिलाने की बजाय मुकदमा ही खत्म कर दिया। पुलिस ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता के बयान बाल कल्याण समिति के समक्ष नहीं कराए। हालांकि मुकदमा दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर नाबालिग को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश करने का नियम है।

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    दुष्कर्म पीड़िता ने पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    केशव त्यागी, हापुड़। इसे नाकामी कहें या मनमानी, मगर करीब साढ़े सात माह बाद भी सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुई मां और उसकी नाबालिग बेटी को जिला पुलिस न्याय नहीं दिला पाई। आरोपित पक्ष से सांठगांठ कर मामले की विवेचना कर रहे दारोगा ने मुकदमे को ही खत्म कर दिया है।

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    मनमानी का आलम देखिए कि मुकदमा दर्ज होने पर पुलिस ने करीब दो माह बाद नाबालिग को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया। जबकि, हाईकोर्ट के नियमानुसार मुकदमा दर्ज होने के 24 घंटे बाद नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को समिति के समक्ष पेश किए जाने का नियम है।

    दारोगा ने नाबालिग की काउंसलिंग व बयान भी समिति के समक्ष दर्ज नहीं कराए। कारण बताओ नोटिस जारी करने पर दारोगा ने बाल कल्याण समिति के पदाधिकारियों से अभद्रता की। ऐसे में मां-बेटी न्याय मिलने की उम्मीद लगभग समाप्त हो गई है।

    तमंचे के बल पर किया था मां-बेटी का अपहरण

    उत्तराखंड के जिला उधम सिंह नगर के रुद्रपुर की महिला ने बताया कि तीन जनवरी को महिला अपने दस वर्षीय नाबालिग बेटी के साथ मुजफ्फरनगर गई थी। यहां से कार सवार मुजफ्फरनगर के अनस, आरिफ व दो अज्ञात आरोपितों ने तमंचे के बल पर पीड़िता व उसकी बेटी का अपहरण कर लिया था।

    हापुड़ में लाकर आरोपितों ने नशीला पदार्थ सुंघाकर दोनों से सामूहिक दुष्कर्म किया और मेरठ रोड स्थित फ्लाईओवर के नीचे फेंककर फरार हो गए। शिकायत करने पर कोतवाली पुलिस ने उसे मुजफ्फरनगर में मुकदमा लिखाने के लिए कहा। मां-बेटी का उपचार कराना भी उचित नहीं समझा।

    नौ जनवरी को एसपी से शिकायत की मगर, कार्रवाई नहीं की गई। मामले में न्यायालय के आदेश पर छह जून को नगर कोतवाली में दो नामजद व दो अज्ञात आरोपितों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी।

    दारोगा ने नहीं कराई नाबालिग की काउंसलिंग

    बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष अभिषेक त्यागी ने बताया कि यौन उत्पीड़न के शिकार किसी भी नाबालिग को 24 घंटे के अंदर समिति के समक्ष पेश किराए जाने का नियम है। मामले में छह जून को मुकदमा दर्ज हुआ था।

    मगर, दारोगा ने जेब भरने के लालच में नाबालिग को काउंसलिंग के लिए पेश नहीं कराया। दो जुलाई को समिति द्वारा कोतवाली पुलिस को कारण बताओ नोटिस जारी किया। जिसकी एक प्रति एसपी कार्यालय भी भेजी गई।

    नोटिस में तीन कार्य दिवस के अंदर लिखित स्पष्टीकरण समिति के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया गया। इसके बावजूद दारोगा एक महिला व पुरुष कॉन्स्टेबल के साथ तीन अगस्त को सामूहिक दुष्कर्म का शिकार मां-बेटी को लेकर समिति के समक्ष पेश हुआ था।

    नाबालिग की समय से काउंसलिंग न करने व नोटिस का जवाब न देने की जानकारी मांगने पर दारोगा ने धमकी दी कि सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।

    एसपी को पत्र लिखने के बाद नहीं हुई कार्रवाई

    अभिषेक त्यागी ने बताया कि दारोगा व उसके साथ महिला व पुरुष कॉन्स्टेबल पुलिस की वर्दी में समिति के कार्यालय पहुंचे थे। जो किशोर न्याय अधिनियम 2015 का उल्लंघन है। मामले में एसपी को पत्र लिखकर तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया था। मगर, अभी तक मामले में कार्रवाई नहीं की गई है।

     पीड़िता ने लगाए गंभीर आरोप

    पीड़ित महिला ने बताया कि मुकदमा खत्म होने पर न्याय मिलने की भी आस खत्म हो गई है। पुलिस ने रुपये लेकर आरोपितों को बचाने का काम किया है। कार्रवाई करने की बजाए पुलिस ने उसके व पुत्री के साथ अमानवीय व्यवहार किया। मामले में वह उच्चाधिकारियों से शिकायत करेगी।

    क्या बोले जिम्मेदार?

    दारोगा ने बताया कि विवेचना के दौरान मिले साक्ष्य के आधार पर मुकदमे को खत्म किया गया है। विवेचना के दौरान किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती गई है। उनपर लगाए गए आरोप निराधार हैं।

    मामले में बाल कल्याण समिति द्वारा भेजा गया पत्र प्राप्त हुआ है। मामले की जांच अधिकारिक स्तर पर कराई जा रही है। जांच के उपरांत कार्रवाई की जाएगी।  -  ज्ञानंजय सिंह, एसपी