दिल्ली-NCR में अपना घर का सपना होगा पूरा, HPDA 20 साल बाद लाया हरिपुर आवासीय योजना
Hapur Pilkhuwa Development Authority हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण 25 जुलाई को बोर्ड बैठक करेगा जिसमें दो आवासीय योजनाओं पर मुहर लग सकती है। प्राधिकरण 20 साल बाद बाबूगढ़ में हरिपुर आवासीय योजना लाया है। गढ़मुक्तेश्वर में गंगाधाम योजना की समस्याएं सुलझाई जा रही हैं। प्राधिकरण सिंभावली में भी एक आवासीय योजना विकसित करने की तैयारी कर रहा है। स्टाफ की कमी के बावजूद योजनाओं को लागू करने की तैयारी है।

जागरण संवाददाता, हापुड़।Hapur Pilkhuwa Development Authority: हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण की बोर्ड बैठक 25 जुलाई को बुलाई गई है। मेरठ में कमिश्नर की अध्यक्षता में आयोजित होने वाली बोर्ड बैठक में दो आवासीय योजनाओं पर मूहर लग सकती है। प्राधिकरण में आनंद विहार योजना 2005 में आई थी।
तब से अब 20 साल बाद प्राधिकरण बाबूगढ़ में हरिपुर आवासीय योजना लेकर आया है। वहीं गढ़मुक्तेश्वर में गंगाधाम योजना की समस्याओं का समाधान करके कार्य आरंभ करने की तैयारी है।
हरिपुर योजना के साथ ही दो और आवासीय योजना आने से प्राधिकरण लोगों को आवास उपलब्ध कराने में सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ निकलेगा। इसके साथ ही पिछली बोर्ड बैठक में रोक दिए गए लैंड यूज चेंज करने के चार प्रस्तावों को भी अबकी बार स्वीकृति मिल सकेगी।
हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकारण की अंतिम आवासीय योजना 2005 में आई थी। बाईपास के पास प्राधिकरण ने आनंदविहार योजना तैयार की थी। उसके बाद से जिले में कोई आवासीय योजना प्राधिकरण नहीं ला पाया है।
इन 20 साल में कई योजनाओं को धरातल पर लाने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। उसके बाद अब 2025 में प्राधिकरण हरिपुर आवासीय योजना लेकर आया है।
उसमें आधे से ज्यादा किसानों ने जमीन के बैनामा करा दिए हैं। जल्द ही इस योजना का जमीन अधिग्रहण करने के बाद कार्य आरंभ हो जाएगा। यह मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाली योजनाओं में शामिल है।
इससे पहले प्राधिकरण ने गंगा धाम योजना को विकसित करने की तैयारी 2010 में की थी। इस योजना के लिए 198 किसानों की कुल 34.153 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना था। योजना में कुल 23 खातेदार हैं।
उस दौरान किसानों को आठ सौ रुपया प्रति मीटर के हिसाब से 5.55 हेक्टेयर भूमि का मुआवजा दिया गया था। जबकि 4.5 हेक्टेयर भूमि के किसानों ने मुआवजा नहीं उठाया था। वहीं 14.21 हेक्टेयर भूमि पर काबिज किसान मुआवजा बढ़ाने की मांग को लेकर हाईकोर्ट चले गए थे।
ऐसे में करीब 10 हेक्टेयर जमीन वाले किसान ऐसे थे, जो न तो हाईकोर्ट गए और न ही प्राधिकरण उनसे अनुबंध कर पाया। अब प्राधिकरण की ओर से ऐसे किसानों को संतुष्ट कर लिया गया है। इनके मध्य हुई बैठक में सकारात्मक संकेत सामने आए हैं। यह किसान जमीन देने को सहमत हो गए हैं।
इन किसानों को मुआवजा उठाना है। दरअसल यह मुआवजा गाजियाबाद से उठाया जाएगा। जिसे समय गंगाधाम योजना को आरंभ किया था, तब 2005 में यह क्षेत्र गाजियाबाद जिले में ही था।
ऐसे में जमीन संबंधी सभी रिकॉर्ड भी गाजियाबाद में ही है। हापुड़ को 2011 में जिला बनाया गया था। इस योजना पर अभी तक की तैयारी व स्थिति को बोर्ड बैठक में रखने के साथ ही आगे के कार्यों की स्वीकृति प्राप्त की जाएगी।
इसके साथ ही प्राधिकरण ने सिंभावली क्षेत्र में एक और आवासीय योजना विकसित करने की तैयारी की है। इसका खाका भी बोर्ड बैठक में प्रस्तुत किया जा सकता है। दरअसल कॉलोनियों को विकसित करने के लिए एक विशेषज्ञ टीम को भी तैनात किया जाएगा।
इनमें इंजीनियर, आर्किटेक्ट, प्लानिंग व फाइनेंस के विशेषज्ञ शामिल होंगे। इसकी तैयारी आरंभ कर दी गई हैं। अभी प्राधिकरण में स्टाफ की बड़ी कमी है। अवर अभियंता, सहायक अभियंता, ओएसडी, तहसीलदार, सचिव और राजस्व विभाग में भी कई पद खाली हैं।
ऐसे में प्राधिकरण के स्तर से कई कार्यों में देरी हो रही है। अब बड़ी योजनाओं को सही और आधुनिक तरीके से लागू करने के लिए यह तैयारी की जा रही है।
प्राधिकरण 20 साल बाद हरिपुर के रूप में आवासीय योजना लेकर आया है। वहीं गंगाधाम योजना का अवरोध भी हट गया है। विरोध कर रहे किसान न्यायालय में दो बार हार चुके हैं। इसके साथ ही हमारे पास आवासीय योजनाओं के पांच से ज्यादा प्रस्ताव विचाराधीन हैं। स्टाफ नहीं होने से हम इन पर आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। शासन से हमकाे जल्द ही स्टाफ मिल जाएगा। उसके साथ ही सिंभावली क्षेत्र की आवासीय योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। हमने बोर्ड बैठक का एजेंडा तैयार करना आरंभ कर दिया है। दो-तीन दिन में इसको अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
डॉ. नितिन गौड - उपाध्यक्ष -एचपीडीए।
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