Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Hapur News: आनंद विहार योजना के तहत किसानों को मिलेगा मुआवजा? प्राधिकरण ने मामला किया साफ

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 11:34 PM (IST)

    विकास प्राधिकरण की आनंद विहार योजना में भूमि अधिग्रहण का मामला अटक गया है। राजमार्ग किनारे जमीन पर अधिकार के लिए प्राधिकरण किसानों से समझौते का प्रयास करेगा। सहमति न बनने पर मुआवजा देना पड़ सकता है। किसानों का आरोप है कि प्राधिकरण ने नियमों का पालन नहीं किया और मुआवजा भी नहीं दिया।

    Hero Image
    विकास प्राधिकरण की आनंद विहार योजना में भूमि अधिग्रहण का मामला अटक गया है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, हापुड़। आनंद विहार योजना के भूमि अधिग्रहण मामले में प्राधिकरण के सामने पेंच फंस गया है। आनंद विहार योजना को सफल बनाने के लिए हाईवे किनारे की जमीन पर प्राधिकरण का अधिकार होना जरूरी है। ऐसे में अधिकारी किसानों से समझौता कराने का प्रयास करेंगे। इसके लिए जल्द ही किसानों से संपर्क किया जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यदि किसानों और प्राधिकरण के बीच सहमति नहीं बनती है तो नए सिरे से निर्धारण के साथ मुआवजा देना पड़ सकता है। साथ ही, मामला सुलझने तक प्राधिकरण को नोटिस जारी करने का अभियान भी रोकना होगा। हालांकि, प्राधिकरण के अधिकारियों का मानना ​​है कि इससे कुछ नहीं होने वाला, यह दबाव बनाने की राजनीति का हिस्सा है।

    हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण की दो महत्वपूर्ण योजनाएं आनंद विहार और प्रीत विहार दिल्ली रोड पर स्थापित हैं। यहां हाईवे के एक तरफ आनंद विहार और दूसरी तरफ प्रीत विहार योजना है। धौलाना विधायक धर्मेश तोमर ने बताया कि नई भूमि अधिग्रहण नीति एक जनवरी 2014 से लागू हुई।

    इससे ठीक एक दिन पहले 31 दिसंबर 2013 को प्राधिकरण ने किसानों का अवार्ड घोषित कर दिया। इससे किसानों को नुकसान हुआ है। नियमानुसार, प्राधिकरण को अवार्ड घोषित करने से एक माह पूर्व नोटिस जारी करना होता है। ऐसे में नियमों का पालन नहीं किया गया।

    प्राधिकरण की स्थापना से पहले ही उक्त भूमि पर लोगों के व्यापारिक प्रतिष्ठान और भवन थे। अधिग्रहण के समय प्राधिकरण ने इन्हें नहीं हटाया। अधिग्रहण के बाद भी उक्त भूमि पर कब्जा नहीं लिया गया। वहां दुकान और मकान बनाकर रह रहे किसानों को नोटिस तक नहीं दिया गया।

    उक्त भूमि की निशानदेही भी नहीं की गई। ऐसे में अधिग्रहण के एक दशक बाद भी किसान और व्यापारी उक्त भूमि पर मालिक बनकर रह रहे हैं। इस क्षेत्र के सैकड़ों किसानों ने अपनी भूमि का मुआवजा भी नहीं लिया था। अब प्राधिकरण उनकी भूमि के रखरखाव के नाम पर पैसे ले रहा है।

    इससे किसानों में रोष है। वहीं, विवादित भूमि पर सड़क से 100 मीटर की पट्टी छोड़ने और वर्ष 2018 में हुए समझौते के अनुसार किसानों को छह प्रतिशत विकसित भूखंड शीघ्र सौंपने की मांग को लेकर चमरी से बालाजी मंदिर तक किसानों और प्राधिकरण के बीच विवाद चल रहा है। अब इस मामले में प्राधिकरण के सामने सबसे आसान रास्ता समझौते का ही है। 

    प्राधिकरण ने अधिसूचना जारी करने, भूमि अधिग्रहण करने और मुआवजा देने में किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है। किसानों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुँचाया गया है। किसानों को किसी भी तरह से गुमराह करने, दबाने या शोषण करने का कोई आरोप नहीं है।

    अब भूमि मार्ग बढ़ने से किसान लालची हो रहे हैं। प्राधिकरण को उक्त भूमि पर कब्जा कर भूमि अधिग्रहण के साथ ही चारदीवारी का निर्माण करवाना चाहिए था। अब किसानों के साथ बैठकर उन्हें समझाया जाएगा। कुछ लोग किसानों के नाम पर राजनीति कर रहे हैं।

    - अमित कादियान - सचिव प्राधिकरण।